दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए सख्त नियम लागू
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली की हवा एक बार फिर गंभीर स्थिति में है। घना स्मॉग, कम होती विजिबिलिटी और बहुत खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंचता AQI। ये सब दिल्ली के लोगों के लिए रोजाना की चुनौती बन चुके हैं। इसी बीच, दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, जिनका सीधा असर आम वाहन चालकों पर पड़ने वाला है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बिना PUC अब नहीं मिलेगा फ्यूल
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के अनुसार 18 दिसंबर से जिन वाहनों के पास वैध पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट नहीं होगा, उन्हें पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा। इस नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए पेट्रोल पंपों पर कैमरा-बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाएगा, ताकि किसी तरह की ढिलाई न हो।
GRAP-IV के तहत सबसे सख्त पाबंदियां
ये फैसले GRAP-IV (Graded Response Action Plan) के तहत लिए गए हैं, जो तब लागू होता है जब हवा की गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच जाती है।
- दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड ट्रक और कमर्शियल वाहनों की एंट्री पर रोक (जरूरी सेवाओं को छोड़कर)
- सभी कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर रोक
- निर्माण सामग्री के ट्रांसपोर्ट पर प्रतिबंध, उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई
AQI में हल्का सुधार, लेकिन चुनौती बरकरार
मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के मुताबिक AQI में हल्का सुधार दर्ज किया गया है। जहां यह पहले करीब 380 था, वहीं अब 360 के आसपास पहुंचा है। हालांकि, मंगलवार सुबह AQI 377 (बहुत खराब श्रेणी) में दर्ज किया गया, जो एक दिन पहले 498 (गंभीर) था। यानी राहत के संकेत हैं, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक हैं।
सरकार के अब तक के कदम
सरकार का दावा है कि प्रदूषण से निपटने के लिए कई मोर्चों पर काम किया गया है।
- लैंडफिल साइट्स की ऊंचाई करीब 15 मीटर तक कम
- 8,000 औद्योगिक इकाइयों पर सख्त निगरानी
- प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री पर कुल 9 करोड़ रुपये का जुर्माना
- लकड़ी जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए 10,000 हीटरों का वितरण
- बैंकेट हॉल्स में DJs के इस्तेमाल पर नियंत्रण
- शहर में 3,427 इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती
साथ ही, दिल्ली में 62 प्रदूषण हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से 13 जगहों पर पिछले साल की तुलना में प्रदूषण कम बताया गया है।
हमारा सुझाव
दिल्ली सरकार के ये कदम सख्त जरूर हैं, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए जरूरी भी लगते हैं। PUC को अनिवार्य बनाना और नियमों का तकनीक के जरिए पालन करवाना एक सही दिशा में कदम है। हालांकि, प्रदूषण जैसी बड़ी समस्या का समाधान तुरंत नहीं हो सकता, जैसा कि मंत्री ने खुद स्वीकार किया है। इसमें सरकार के साथ-साथ आम नागरिकों की भागीदारी भी उतनी ही जरूरी है। वाहन चालक अपने वाहन के दस्तावेज और PUC की वैधता समय-समय पर स्वयं जांचते रहें। |