जिला स्कूल मैदान में 26 दिसंबर से भव्य आयोजन।
जागरण संवाददाता, रांची। किताबों की खुशबू, पन्नों की सरसराहट और ज्ञान का संसार... रांची के पुस्तक प्रेमियों का इंतजार खत्म होने वाला है। इस बार नए साल का स्वागत आतिशबाजी से नहीं, बल्कि ज्ञान के उजाले के साथ होगा। राजधानी के जिला स्कूल मैदान में आगामी 26 दिसंबर से 10 दिवसीय \“राष्ट्रीय पुस्तक मेला\“ का भव्य आयोजन होने जा रहा है, जो 4 जनवरी 2026 तक चलेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
2003 से शुरू हुआ शब्दों का यह सफर
झारखंड में पुस्तक मेले की यह गौरवशाली परंपरा कोई नई नहीं है। \“समय इंडिया\“ के प्रबंध न्यासी चंद्र भूषण ने बताया कि राज्य में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने का यह सिलसिला वर्ष 2003 में \“समय इंडिया\“ और उसकी सहयोगी संस्था \“पुस्तक मेला समिति\“ ने शुरू किया था। वर्ष 2009 से इस संस्था ने रांची के पाठकों के किताबों के प्रति गहरे अनुराग को देखते हुए इसे हर साल आयोजित करने का संकल्प लिया। 2017 के बाद एक अंतराल जरूर आया, लेकिन 2023, 2024 और अब 2025 (दिसंबर) में यह मेला फिर से अपनी पूरी रंगत के साथ लौट रहा है।
नई-पुरानी किताबों का अनूठा संसार
इस मेले की सबसे खास बात यह है कि यहां केवल नई पुस्तकें ही नहीं, बल्कि दुर्लभ पुरानी किताबों का भी खजाना होगा। हिंदी, अंग्रेजी और झारखंड की स्थानीय भाषाओं में साहित्य, विज्ञान, दर्शन और बच्चों की कहानियों का अद्भुत संग्रह एक ही छत के नीचे मिलेगा। पुस्तक प्रेमी दिन के 11 बजे से रात 7:30 बजे तक किताबों के इस संसार में खो सकते हैं।
अपनों को दें \“शब्दों का उपहार\“
संस्था की ओर से इस बार एक खास अपील की गई है। आयोजकों का कहना है कि नए साल पर अपने प्रियजनों को फूल या प्लास्टिक के उपहार देने के बजाय \“किताबें उपहार में दें\“। यह न केवल एक स्थाई उपहार होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ी में पढ़ने की आदत को भी विकसित करेगा। रांची और आसपास के क्षेत्रों के लिए यह मेला एक अनूठे \“न्यू ईयर गिफ्ट\“ जैसा होगा।
कुछ नई और दुर्लभ पुस्तकें भी होंगी
इस बार मेले में दुर्लभ व नई पुस्तकें भी होंगी। सस्ता साहित्य मंडल के संजीव ने बताया कि मेले में कई दुर्लभ व नई पुस्तकें लेकर आ रहे हैं। लोकेश कुमार शरण की भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की क्रांतिकारी धाराएं, श्रीभगवान सिंह की डा राजेंद्र प्रसाद, एलन कैम्पबेल जान्सन की भारत विभाजन की कहानी आदि किताबें भी आ रहीं।
विकल्प प्रकाशन के पवन श्रीवास्तव ने बताया कि झारखंड पर कई नई पुस्तकें प्रकाशित की हैं। पाठकों को पुस्तकें पसंद आएंगी। मुंडारी भाषा के विद्वान जगदीश त्रिगुणायत की पहली बार छोटानागपुर में अपने पांच दशकों के प्रवास पर छावते कुटीर आ रही है। उनके मरणोपरांत यह पुस्तक प्रकाशित हुई है। राजपाल व प्रकाशन संस्थान भी आदिवासी साहित्य पर कुछ नई पुस्तकें लेकर आ रहे हैं।
मेले में भाग ले रहीं प्रमुख संस्थाएं
पुस्तक मेले में राजपाल एंड संस, प्रकाशन संस्थान, समय प्रकाशन, यश प्रकाशन, योगदा सत्संग सोसायटी आफ इंडिया, क्राउन पब्लिकेशन, झारखंड झरोखा, गीता प्रेस, श्री कबीर ज्ञान प्रकाशन केन्द्र, बोधकृति प्रकाशन, त्रिदेव बुक कलेक्शन, सस्ता साहित्य मंडल, उपकार प्रकाशन आदि प्रमुख हैं।
वाणी प्रकाशन, राजकमल प्रकाशन, राधाकृष्ण प्रकाशन, पुस्तक महल, मनोज पब्लिकेशन, किताब घर की पुस्तकें भी पुस्तक प्रेमियों के लिए उपलब्ध रहेंगी। मेले में भारतीय मंडप एक ऐसा अनूठा स्टाल बनाया जा रहा है जिस पर अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें पाठकों के आकर्षण का केंद्र होंगी। |