जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं में देरी और अव्यवस्थाओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव और आरएमएल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट को अगली सुनवाई पर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अदालत ने कहा कि आइसीयू, इमरजेंसी और रेडियोलाजी जैसी बुनियादी सेवाओं में देरी अस्वीकार्य है। हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख सात जनवरी 2026 तय की है और तब तक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि नेक्स जेन ई- हास्पिटल सिस्टम और अन्य डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के लागू होने में काफी देरी हुई है, जिससे मरीजों की जान को खतरा पैदा हो रहा है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार सिर्फ कंसल्टेंट नियुक्त करने और प्रक्रियाओं में उलझी हुई है, जबकि मरीज अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि डा. एसके सरीन कमेटी की सिफारिशों को गंभीरता से लागू किया जाए। वहीं, गरीब मरीजों के इलाज के लिए ईडब्ल्यूएस आय सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी कोर्ट ने कहा कि इसे जल्द मंजूरी दी जाए। |