अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हम के संरक्षक सह केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी। जागरण
राज्य ब्यूरो, पटना। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के तेवर एक बार फिर बगावती हो गए हैं। गया में एक कार्यक्रम के खुले मंच से मांझी ने एनडीए को सख्त चेतावनी देकर बिहार की राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मांझी ने न सिर्फ राज्यसभा की एक सीट पर खुला दावा ठोका, बल्कि यह भी साफ कर दिया कि अगर उनकी मांगों की अनदेखी हुई तो वे एनडीए से अलग राह चुनने से पीछे नहीं हटेंगे।
रास्ते अलग करने की चेतावनी
मांझी के बयान में तल्खी और नाराजगी साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा कि एनडीए में रहते हुए उनकी पार्टी और उन्हें लगातार कम आंका गया है। हमारे साथ दो-दो बार बेईमानी की गई। अगर फिर वही गलती दोहराई गई तो हम अपने रास्ते अलग कर लेंगे।
उनके बयान को सहयोगी दलों के लिए सीधे-सीधे चेतावनी माना जा रहा है। राज्यसभा सीट पर दावा ठोकते हुए मांझी ने यह भी संकेत दिया कि दलित और महादलित समाज के प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
उनका तर्क है कि एनडीए की सरकार बनाने और उसे मजबूत करने में उनके सामाजिक आधार की अहम भूमिका रही है, इसलिए सत्ता और प्रतिनिधित्व में भी उन्हें उचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
भ्रष्टाचार और व्यवस्था पर सवाल
मांझी यहीं नहीं रुके। उन्होंने सांसद निधि (एमपी फंड) को लेकर भी सनसनीखेज आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सांसद को मिलने वाले पांच करोड़ रुपये के फंड में 10 प्रतिशत तक कमीशन मिलता है।
मांझी के इस बयान ने भ्रष्टाचार और व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं, हालांकि उन्होंने किसी का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया। कुल मिलाकर, मांझी के ये बगावती तेवर एनडीए के भीतर असहजता बढ़ाने वाले हैं।
पहले भी वे समय-समय पर अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं, लेकिन इस बार मंच से दी गई खुली धमकी और राज्यसभा सीट पर स्पष्ट दावा एनडीए नेतृत्व के लिए चिंता का सबब बन गया है। |