जीआरपी के चार कर्मी निलंबित
जागरण संवाददाता, पटना। हावड़ा–जोधपुर (बीकानेर) सुपरफास्ट एक्सप्रेस से एक किलो सोना लूटकांड की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आने के बाद रेल पुलिस में हड़कंप मच गया है। मामले में गयाजी रेल थाना में पदस्थापित चार जीआरपी कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन का आदेश रेल पुलिस अधीक्षक, पटना की ओर से जारी किया गया है। वहीं, तत्कालीन थानाध्यक्ष के खिलाफ भी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह मामला 21 नवंबर का है, जब ट्रेन संख्या 22307 हावड़ा–जोधपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में कानपुर के एक सोना कारोबारी के कुरियर कर्मी के साथ मारपीट कर उससे एक किलो सोना लूट लिया गया था। इस संबंध में उपनिरीक्षक-सह-थानाध्यक्ष गयाजी रेल थाना राजेश कुमार सिंह के आवेदन पर रेल थाना गयाजी में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि कोडरमा-गयाजी रेलखंड के बीच चार अज्ञात पुलिसकर्मियों ने कुरियर कर्मी को ट्रेन से उतारकर उसके पास से सोना छीन लिया।
जांच के दौरान तकनीकी साक्ष्यों, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और टावर लोकेशन के विश्लेषण में कई अहम खुलासे हुए। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इस मामले में उपनिरीक्षक राजेश कुमार सिंह समेत कई जीआरपी कर्मियों की भूमिका संदिग्ध रही है। संदिग्ध पाए गए लोगों में सिपाही करण कुमार, अभिषेक चतुर्वेदी, रंजय कुमार, आनंद मोहन, परवेज आलम, चालक सीताराम का नाम भी शामिल है।
आरोप प्रथम दृष्टया सत्य पाए जाने के बाद सिपाही करण कुमार, अभिषेक चतुर्वेदी, रंजय कुमार और आनंद मोहन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं, उपनिरीक्षक-सह-थानाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह के निलंबन का प्रस्ताव वरीय अधिकारियों को भेजा गया है, जिस पर जल्द निर्णय लिए जाने की संभावना है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए आगे की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। एसआईटी को लूट में शामिल सभी आरोपितों की भूमिका की गहन जांच कर साक्ष्य जुटाने का निर्देश दिया गया है। रेल पुलिस का कहना है कि दोषी पाए जाने वाले किसी भी कर्मी को बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ सख्त विभागीय व कानूनी कार्रवाई की जाएगी। |