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हजारीबाग सेंट्रल जेल की 21 फीट ऊंची दीवार कैसे लांघ गए 3 दरिंदे, डीजी के निरीक्षण के 5 दिन बाद ही खुली पोल

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हजारीबाग जेल की 21 फीट की दीवार भी नहीं रोक पाई पोक्सो के दोषियों को।



जागरण टीम, रांची/हजारीबाग। हजारीबाग स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा की 21 फीट ऊंची दीवार को फांदकर मंगलवार की रात तीन सजायाफ्ता कैदी फरार हो गए। फरार कैदियों में धनबाद के लोयाबाद का रहने वाला देवा भुइया, केंदुआडीह थाना क्षेत्र गोधर का रहने वाला जितेंद्र रवानी व जोगता थाना क्षेत्र के सिझुआ निवासी राहुल पंजवार शामिल हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

तीनों ही कैदी प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रोम सेक्सुअल अफेंसेज (पोक्सो) अधिनियम के तहत अलग-अलग कांडों के दोषी हैं। इन अपराधियों ने मंगलवार की रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच अपने वार्ड की बाथरूम की खिड़की का राड काटा, चादर की रस्सी बनाई।

तीनों ही आरोपित जेल की गुमटी नंबर चार व पांच के बीच स्थित दीवार की ओर बढ़े। यहां आरोपितों ने पहले लकड़ी की मदद से लोहे के हुक को बिजली के फेंसिंग पोल में फंसाया। 21 फीट ऊंची दीवार पर चढ़े व बिजली फेंसिंग का एक फेज काट दिया।

इसके बाद वे फेंसिंग पार कर दूसरी ओर निकल गए। जिस स्थान से कैदी भागे, वहां दोनों ओर लगभग 50-50 मीटर पर पुलिस की गुमटी, पर्याप्त रोशनी और 360 डिग्री सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। इस पूरे क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी जैप-7 के जवानों के पास है। यह पूरा क्षेत्र खुला है। बताया जाता है कि कैदियों की फरारी का यह रास्ता कोलघट्टी से मंडई की ओर जाने वाली सड़क से सटे खुले इलाके में पड़ता है।

इसी रास्ते से आरोपी आसानी से बाहर निकले और फरार हो गए। जेल की दीवार के बाहर की ओर टूटी फेंसिंग और बिजली तारों में फंसा हुक मिलना इस बात की पुष्टि करता है कि फरारी पूरी योजना के तहत अंजाम दी गई। घटना की सूचना के बाद जेल में मची हड़कंप पर जेल प्रशासन सक्रिय हुआ। हजारीबाग के डीसी, एसपी के अलावा रांची से जेल के आइजी व एआइजी भी मौके पर पहुंचे।

सबने सीसीटीवी फुटेज खंगाला, जिसमें कैदियों के भागने की पूरी घटना कैद हुई है। पदाधिकारियों ने ड्रोन की मदद से भी जेल का निरीक्षण किया। पूरे मामले की जांच चल रही है। जांच में दोषी मिलने वाले पदाधिकारियों-कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी।

  
बैरक नंबर छह में मौजूद 40 की मौजूदगी में तीनों कैदियों ने दिखाया दुस्साहस

फरार होने वाले तीनों ही कैदी जेल के बैरक नंबर छह में बंद थे, जिसमें उनके साथ 40 अन्य कैदी भी थे। अपने 40 साथियों की मौजूदगी में तीनों ही कैदियों ने दिखाया साहस व जेल से फरार होने में सफल हुए।

फरार कैदी देवा भुइया को इसी वर्ष सितंबर में तो राहुल व जितेंद्र रवानी को मार्च महीने में सजा होने के बाद हजारीबाग स्थित उक्त सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था। राहुल को आजीवन कारावास, जितेंद्र को 22 वर्ष और देवा को 20 साल की सजा दी गई है।
जेल में मचा हड़कंप, सभी मुलाकातों पर लगी रोक

घटना के बाद जेल परिसर में हड़कंप मच गया। सभी मुलाकातों पर रोक लगा दी गई है और कैदियों को उनके-अपने वार्डों में शिफ्ट किया गया है। घटना की सूचना के बाद पहुंचे जेल आइजी सुदर्शन मंडल यहां कैंप कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच के निर्देश दिए गए हैं।

डीसी शशि प्रकाश सिंह और एसपी अंजनी अंजन भी पूरे दिन जेल के अंदर मौजूद रहे और ड्रोन से एक-एक कोने को खंगाला। जिला प्रशासन की ओर से रिपोर्ट भी सरकार को भेजा जा रहा है। हालांकि, इसी पूरी घटना के जेल की सुरक्षा पर कई सवाल खड़ा कर दिए हैं।

तीनों कैदियों के पास लोहे का हुक और बिजली फेसिंग काटने का सामान कहां से आया। जेल की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई जब पांच दिन पहले स्वयं डीजीपी तदाशा मिश्रा ने जेपी कारा का निरीक्षण किया था। इस मामले में सुरक्षा में लगे कई जवानों पर गाज गिरनी तय है।
हुई गिनती तो उड़ गए होश, बज उठी पगली घंटी

जेपी कारा सुबह सात बजे जब कैदियों की गिनती शुरू हुई तो जेल प्रशासन के होश उड़ गए। तीनों कैदियों के गायब पाए जाने पर सहसा एक बार जेल प्रशासन को भी विश्वास नही हुआ। इसके बाद बैरक में जाकर छानबीन की गई। तब जाकर सच बाहर आया। इसके बाद करीब 7.30 बजे जेल की पगली घंटी बज उठी। आजादी के बाद पहली बार ऐसी घटना को जेल के अंदर अंजाम दिया गया।

जेल के अंदर कई दुर्दांत कैदी बंद है। कई नक्सली जेल के अंदर बंद है। क्या इससे बड़ी साजिश को अंजाम देने की कोशिश थी, जिसकी भी जांच की जा रही है। पूरे मामले को लेकर लोहसिंघना थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
बिजली बंद थी या नही इसकी हो रही है जांच

52 एकड़ में फैले जेपी कारा में 20 फीट ऊंची दीवार है और उसके उपर पांच फीट की बिजली फेंसिंग है। कुल 10 गुमटियां पूरे परिसर में है। पूरा सिस्टम कंप्यूटराइज है। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है कि तारों में कंरट दौड़ रहा या फिर किसी ने इस साजिश को अंजाम देने के लिए बिजली बंद कर दी थी। मालूम हो कि इसी कैंपस बाहरी भाग में बने डिटेंशन सेंटर से तीन रोहिंग्या कैदी भाग चुके थे।
ड्यूटी पर तैनात दोनों संतरियों और हवलदार से पंच घंटे पूछताछ

बताया जाता है कि चार और पांच नंबर गुमटी पर एक-एक संतरी तैनात थे। इनकी निगरानी के लिए एक हवलदार को लगाया गया था। लेकिन, इनके होने के बावजूद दोनों गुमटियों के बीच से तीनों कैदी फरार हो गए। सुरक्षा में चूक पर तीनों से करीब पांच घंटे तक पूछताछ की गई है। ये भी जैप सात के जवान हैं।



सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था है। इसके बावजूद तीन कैद दीवार फांद कर फरार हुए हैं। मेरे द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले की जांच की जा रही है।


-सीपी सुमन, अधीक्षक
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