प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फाइल फोटो)
अजीत कुमार, फुलकाहा (अररिया)। विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तापमान चरम पर है और सभी प्रत्याशी अब नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र में जोर-शोर से प्रचार में जुट चुके हैं, जहां हर पार्टी और उम्मीदवार अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
चुनाव की सरगर्मी अब गांव से लेकर शहर तक साफ नजर आने लगी है। चाहे वह सड़क किनारे लगे फ्लैक्स हों, पोस्टर-बैनर हों, प्रचार वाहन या घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क, संपन्न प्रत्याशी और उनके समर्थक हर प्रकार की साधन-संपन्नता का इस्तेमाल कर रहे हैं।
चुनावी मैदान में अब फील्डिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है और प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्रों में पैदल और वाहन से घर-घर जाकर मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं। गांवों में कई ऐसे प्रत्याशी दिखाई दे रहे हैं जो लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं और अपनी जेब खोलकर धन खर्च कर रहे हैं।
वहीं, कुछ उम्मीदवार सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने का दावा कर गरीब जनता से रुपये तक कमीशन वसूलने में लगे हुए हैं। कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां लोगों को माई बहिन मान योजना या परिवार लाभ कार्ड बनवाने का बहाना देकर वोट के लिए तैयार किया जा रहा है, जबकि असल में इसके पीछे व्यक्तिगत लाभ और राजनीतिक फायदे छिपे हैं।
शहरों और कस्बों में भी स्थिति अलग नहीं है, यहां संपन्न और प्रभावशाली प्रत्याशी प्रचार वाहन, पर्चे और बैनर के माध्यम से मतदाताओं को रिझाने में जुटे हैं।
इस चुनावी मेला में दारू और मुर्गा का वितरण भी व्यापक स्तर पर हो रहा है, जिससे ग्रामीण और मोहल्लों के लोग इसका आनंद ले रहे हैं और चुनावी माहौल और अधिक जीवंत हो गया है।
पार्टी प्रत्याशी और उनके समर्थक हर इलाके में जाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की रणनीति अपनाए हुए हैं, जिसमें घर-घर जाकर बातचीत, व्यक्तिगत संपर्क और आर्थिक प्रलोभन देने जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
इसके अलावा, कई प्रत्याशी सोशल मीडिया और डिजिटल प्रचार के माध्यम से भी मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन परंपरागत तरीके जैसे गांव-घर में जाकर संपर्क करना अभी भी सबसे प्रभावशाली साबित हो रहा है।
चुनावी अभियान में प्रत्याशियों का प्रयास है कि वे हर वर्ग और समुदाय तक अपनी पहुंच बनाए रखें और वोटरों में अपने पक्ष में आकर्षण पैदा करें। वहीं, विपक्षी दलों के समर्थक भी अपने उम्मीदवार के लिए समान ऊर्जा के साथ प्रचार में जुटे हैं।
चुनाव के दौरान यह देखा गया है कि कई प्रत्याशी चुनावी रणनीति के तहत स्थानीय समस्याओं को उठाकर वोटरों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं, जबकि कुछ केवल योजनाओं और लाभ का झांसा देकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस पूरे चुनावी परिदृश्य में जनता की भागीदारी और प्रतिक्रिया भी अब धीरे-धीरे स्पष्ट हो रही है, जहां लोग अपने हित और लाभ के लिए अलग-अलग उम्मीदवारों और पार्टियों की नीतियों और उनके प्रभाव की समीक्षा कर रहे हैं।
गांवों और मोहल्लों में चर्चा का केंद्र अब प्रत्याशियों की हर चाल और गतिविधि बन चुका है। कई जगह यह देखा जा रहा है कि संपन्न और प्रभावशाली प्रत्याशी अपने प्रचार में खर्च करने से पीछे नहीं हट रहे हैं, और गांव के लोग इसे चुनावी नाटक के रूप में देख रहे हैं।
वहीं, गरीब और मध्यम वर्ग के मतदाता अपने लाभ और योजनाओं के वादों को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं। यह चुनाव न केवल प्रत्याशियों की रणनीति का परीक्षण है, बल्कि जनता की समझ और जागरूकता का भी आईना है।
इस चुनावी घमासान में कुछ प्रत्याशी व्यक्तिगत लाभ और राजनीतिक फायदा पाने के लिए हर संभव चालें आजमा रहे हैं, जबकि कुछ केवल अपने उम्मीदवार की जीत के लिए मेहनत कर रहे हैं।
चुनावी अभियान के दौरान गांवों और मोहल्लों में मतदाताओं के साथ प्रत्यक्ष संवाद, मुर्गा मछली वितरण, फ्लैक्स और प्रचार वाहन, योजना लाभ का वादा और व्यक्तिगत संपर्क जैसी गतिविधियों ने पूरी प्रक्रिया को जीवंत और गतिशील बना दिया है।
इसके अलावा, चुनावी माहौल में इंटरनेट मीडिया का भी बड़ा प्रभाव देखा जा रहा है, जहां प्रचार सामग्री, वीडियो और पोस्ट के माध्यम से मतदाताओं को रिझाने की कवायद चल रही है। विधानसभा चुनाव अब केवल राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए ही नहीं, बल्कि जनता और मतदाताओं के लिए भी महत्वपूर्ण मोड़ बन चुका है।
हर मतदाता अब जागरूक होकर अपने अधिकार का प्रयोग कर रहा है और प्रत्याशियों की चालों, वादों और प्रचार गतिविधियों को बारीकी से देख रहा है। संपन्न उम्मीदवार जहां हर साधन से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में हैं, वहीं गरीब और ग्रामीण मतदाता भी अपने लाभ और अधिकारों को लेकर सतर्क हैं।
यह चुनाव इस बात का प्रतीक बन गया है कि किस प्रकार राजनीतिक रणनीति, आर्थिक प्रलोभन और व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से मतदाताओं को प्रभावित किया जा सकता है। चुनावी प्रक्रिया में प्रत्याशियों की यह सक्रियता और उत्साह दर्शाता है कि यह विधानसभा चुनाव अपने आप में सबसे बड़े चुनावों में से एक बन गया है।
चाहे गांव हो या शहर, मोहल्ला हो या कस्बा, प्रचार और प्रत्याशियों की गतिविधियों की चर्चा अब आम जनमानस में जोरों से हो रही है। इसके साथ ही, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा अपनाए जा रहे विभिन्न तरीके जैसे योजनाओं का लाभ दिखाना, घर-घर जाना, व्यक्तिगत संपर्क, धन और प्रलोभन का इस्तेमाल करना, इस चुनाव को और अधिक गतिशील और जटिल बना रहा है।
जनता अब इस चुनावी वातावरण में सतर्क होकर अपनी पसंद बनाने और उम्मीदवारों की नीतियों, उनकी गतिविधियों और उनके व्यवहार का विश्लेषण करने लगी है।
इस चुनावी लड़ाई में प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और मतदाता भी अब अपने निर्णय को सोच-समझ कर लेने लगे हैं। |