केरल पंचायत चुनाव 2015 के नतीजे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले केरल से कांग्रेस के लिए राहत देने वाली खबर आई है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने केरल के स्थानीय निकाय चुनावों में निर्णायक जीत हासिल की है, जिससे माकपा नीत एलडीएफ को झटका लगा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यूडीएफ ने अधिकांश नगर निगमों, नगरपालिकाओं, ब्लाक पंचायतों और ग्राम पंचायतों पर कब्जा कर लिया है, जो स्थानीय शासन में स्पष्ट बदलाव का संकेत है। जीत से उत्साहित कांग्रेस ने विश्वास जताया कि यूडीएफ को विधानसभा चुनावों में भी ऐसा ही जनादेश मिलेगा और कहा कि आने वाले समय में कई \“\“लाल किले\“\“ ढह जाएंगे।
कांग्रेस नेतृत्व गदगद
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्य इकाई विधानसभा चुनावों में पूरी जिम्मेदारी के साथ प्रचार करेगी। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह नतीजा दर्शाता है कि केरल जवाबदेह शासन चाहता है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने स्वीकार किया कि एलडीएफ को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। उन्होंने कहा कि इसके कारणों की विस्तारपूर्वक जांच कर सुधारात्मक उपाय किए जाएंगे।
यूडीएफ को भी फायदा
यूडीएफ ने 2020 के चुनावों की तुलना में स्थानीय निकाय में अपनी सीटों में वृद्धि की है। इस वर्ष यूडीएफ ने 87 नगरपालिकाओं में से 54, छह निगमों में से चार पर जीत हासिल की और ग्राम, ब्लाक तथा जिला पंचायत में भी महत्वपूर्ण बढ़त बनाई। 2020 के नगर निगम चुनाव में उसने ग्राम, ब्लाक, जिला पंचायत, नगरपालिका और निगम को मिलाकर कुल 7757 वार्ड जीते थे।
इस बार इसने त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली में निर्णायक बढ़त बनाते हुए 17337 ग्राम पंचायत वार्डों में से 8020 में, 2267 ब्लाक पंचायत वार्डों में से 1241 में और 346 जिला पंचायत वार्डों में से 195 में जीत हासिल कर ली है या आगे चल रही है।
दूसरी तरफ 2020 के नगर निगम चुनावों में अपने प्रदर्शन की तुलना में एलडीएफ को सभी स्तरों पर भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस परिणाम के कारण उसे आगामी राज्य विधानसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। स्थानीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी भी अपना खाता खोलने में कामयाब रही और ग्राम पंचायत के तीन वार्ड में उसे सफलता मिली है।
वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि केरल में स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम जनता की उस उम्मीद को दर्शाते हैं कि सरकार उनकी समस्याओं को समझेगी और ईमानदारी से उनका समाधान करेगी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दावा किया कि केरल की जनता ने एलडीएफ को बेनकाब कर दिया है, जिसने खुद को एक भ्रष्ट, निरंकुश और जनविरोधी शासन में बदल दिया है।
भाजपा क्यों है खुश?
इन चुनावों में भाजपा सबसे अप्रत्याशित पार्टी बनकर सामने आई। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित 101 सदस्यीय नगर निगम में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने 50 सीटें जीतकर पहली बार इतना बड़ा जनादेश प्राप्त किया है। भाजपा ने पिछले साल दक्षिणी राज्य में अपनी पहली लोकसभा सीट जीती थी और अब तक वहां उसका केवल एक ही विधायक रहा है।
शशि थरूर ने क्या कहा?
केरल में कांग्रेस और यूडीएफ की जीत पर बधाई देते हुए शशि थरूर ने तिरुवनंतपुरम में भाजपा की जीत पर भी बधाई दी और कहा कि यह राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव का संकेत है।
थरूर ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “केरल के स्थानीय स्वशासन चुनावों में आज के दिन शानदार नतीजे देखने को मिले! जनादेश स्पष्ट है और राज्य की लोकतांत्रिक भावना स्पष्ट रूप से झलकती है। विभिन्न स्थानीय निकायों में प्रभावशाली जीत के लिए यूडीएफ को हार्दिक बधाई! यह एक बड़ा समर्थन है और राज्य विधानसभा चुनावों से पहले एक सशक्त संकेत है। कड़ी मेहनत, सशक्त संदेश और सत्ता-विरोधी लहर का स्पष्ट रूप से फल मिला है और 2020 की तुलना में कहीं बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं। मैं तिरुवनंतपुरम में भाजपा के ऐतिहासिक प्रदर्शन को भी स्वीकार करना चाहता हूं और नगर निगम में उनकी महत्वपूर्ण जीत पर विनम्र बधाई देता हूं।“
उन्होंने आगे कहा, “यह मजबूत प्रदर्शन राजधानी के राजनीतिक परिदृश्य में एक उल्लेखनीय बदलाव का प्रतीक है। मैंने 45 वर्षों के एलडीएफ कुशासन से मुक्ति के लिए प्रचार किया था, लेकिन मतदाताओं ने अंततः एक ऐसी पार्टी को पुरस्कृत किया है जिसने शासन में स्पष्ट बदलाव की मांग की थी। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। जनता के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए, चाहे वह यूडीएफ के लिए हो या मेरे निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के लिए। हम केरल की बेहतरी के लिए लगातार काम करते रहेंगे, जनता की जरूरतों की वकालत करेंगे और सुशासन के सिद्धांतों को कायम रखेंगे. आगे बढ़ते रहो!“
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