Jharkhand Crime News: इंटरनेट मीडिया पर खोल रखी है दहशत की दुकान, हथियारों का प्रदर्शन कर बेखौफ कर रहे वसूली

Chikheang 2025-10-7 13:36:28 views 1031
  इंटरनेट मीडिया को हथियार बना खौफ कायम करने में जुटे अपराधी





दिलीप कुमार, रांच। झारखंड में अपराधियों के लिए इंटरनेट मीडिया खाैफ फैलाने का बड़ा हथियार बन चुका है।पहले अमन साव ने हथियारों के साथ फोटो को फेसबुक पोस्ट कर अपना बाजार बनाया।  

फिर रंगदारी वसूली तेज की तो बाद में एक-एक कर कई बड़े अपराधी जैसे सुजीत सिन्हा, उत्तम यादव ने भी फेसबुक पर बड़े-बड़े हथियारों के साथ फेसबुक पोस्ट कर दहशत फैलाने की काेशिश की।

झारखंड पुलिस ने भी ऐसे अपराधियों के विरुद्ध अपना अभियान जारी रखा है। पूर्व में अमन साव व उत्तम यादव को झारखंड पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है। जो बचे हैं, उनके विरुद्ध अपना इंटेलिजेंस लगा रखा है।


कोयलांचल शांति सेना के नाम से एक नया गिरोह सक्रिय

अभी कुछ दिन पहले ही कोयलांचल शांति सेना के नाम से एक नया गिरोह फेसबुक पर सक्रिय है। खुद को इस गिरोह का प्रमुख बताने वाले कुबेर ने फेसबुक पर फायरिंग से जुड़े एक वीडियो को पोस्ट कर उसे डोरंडा में फायरिंग का वीडियो बताया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पुलिस को अब उसकी भी तलाश है। इससे पूर्व सुजीत सिन्हा, राहुल दुबे, मयंक सिंह का भी फेसबुक पोस्ट सनसनी फैला चुका है।



कुछ अपराधियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का इस्तेमाल करके भी फेसबुक पोस्ट कर खौफ कायम करने की कोशिश में जुटे हैं, ताकि उनके गिरोह तक रंगदारी की राशि पहुंचती रहे।

ऐसे अपराधियों के निशाने पर कोयला कारोबारी, ट्रांसपोर्टर, जमीन कारोबारी आदि हैं, जहां से इन्हें रंगदारी की राशि मिलती रही है।
कुछ प्रमुख गैंग जो फेसबुक पोस्ट कर खौफ फैलाने का करते रहे प्रयास

अमन साव : 11 मार्च 2025 को रायपुर केंद्रीय कारा से रांची लाने के क्रम में पलामू में मुठभेड़ में मारा गया अमन साव उर्फ अमन साहू फेसबुक पोस्ट से ही सबसे पहले चर्चा में आया था।



उसने एके-47 व इंसास जैसे हथियारों के साथ अपने फोटो को फेसबुक पर पोस्ट कर सबसे पहले अपने गेंग की जानकारी दी थी। कोयला क्षेत्र में दहशत बनाने के लिए उसने फायरिंग भी की और कराई।

दहशत कायम कर रंगदारी, लेवी वसूलनी शुरू की। बहुत कम समय में उसने अपना अंतरराज्यीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भी बनाया। अंतरराष्ट्रीय अपराधी लारेंस विश्नोई गिरोह से जुड़कर अपराध का बड़ा चेहरा बन बैठा था।



सुजीत सिन्हा : यह गिरफ्तारी के बाद से ही न्यायिक हिरासत में है। रांची में पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर पर एक करोड़ रुपये की रंगदारी नहीं देने पर गोली मारने की घटना के बाद चर्चा में आया था।

इसने भी इंटरनेट मीडिया फेसबुक पर हथियारों के साथ फोटो पोस्ट कर दहशत कायम करने की कोशिश की थी। तेतरियाखाड़ कोलियरी में आगजनी, फायरिंग मामले में एनआइए ने भी उसपर चार्जशीट कर रखा है।



अमन साव के मारे जाने के बाद सुजीत सिन्हा ने फेसबुक पोस्ट कर गिरोह के एक साथी आकाश राय उर्फ मोनू को गैंग से निकालने संबंधित जानकारी साझा की थी और कारोबारियों को रंगदारी की राशि गिरोह के राहुल दुबे को देने के लिए कहा था।

उत्तम यादव : 20 सितंबर को चतरा में मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात अपराधी उत्तम यादव ने टाइगर गिरोह बनाकर हजारीबाग व चतरा के कोयला कारोबारियों, व्यवसायियों व ठेकेदारों को धमकाया था।



  

उसने फेसबुक पर एके-56 के साथ अपना एक वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया फेसबुक पर पोस्ट किया था, जिसमें व्यवसायियों को रंगदारी के लिए धमकी दे रहा था। 22 जून को हजारीबाग में एक स्वर्ण व्यवसायी की दुकान पर दिन-दहाड़े फायरिंग भी की थी।

कोयलांचल शांति सेना : अब एक नया गिरोह कोयलांचल शांति सेना नाम से इंटरनेट मीडिया पर सामने आया है। इसने फेसबुक पोस्ट पर खुद को अपराधियों व माओवादियों के विरोध में इस गिरोह के गठन की बात स्वीकारी है।



  

गिरोह के कुबेर नामक कथित शख्स ने फेसबुक पर कोयलांचल शांति सेना नाम से जो लोगो बनाया है, उसमें दो एके-47 हथियार को प्रदर्शित किया है।

इस संगठन ने हाल में रांची के डोरंडा में एक संदिग्ध के ठिकाने पर फायरिंग की जिम्मेदारी लेते हुए एक वीडियो भी फेसबुक पर पोस्ट किया है।

राहुल दुबे : अमन साव के मारे जाने के बाद सुजीत सिन्हा के निर्देश पर राहुल दुबे ने गिरोह की कमान संभाली थी और फेसबुक पोस्ट कर खुद को उत्तराधिकारी घोषित करते हुए कोयला कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों, व्यवसायियों को लेवी देने को कहा था।



मयंक सिंह : अमन साव के मारे जाने के बाद मयंक सिंह ने खुद को अमन साव गिरोह का शूटर बताते हुए गिरोह का प्रमुख घोषित किया था। फेसबुक पोस्ट कर खुद को गिरोह का सुप्रीमो बताते हुए कारोबारियों को धमकाया था।

सुनील सिंह मीणा उर्फ मयंक सिंह : अमन साव गिरोह के शूटर सुनील सिंह मीणा उर्फ मयंक सिंह की अजरबैजान में गिरफ्तारी के बावजूद मयंक सिंह का जब फेसबुक पोस्ट जारी रहा तो एटीएस ने पूरे मामले का पता लगाया।



पता चला कि मयंक की वायस क्लोनिंग व एआइ की मदद से फर्जी मयंक सक्रिय हुआ था और उसके नाम पर फेसबुक पोस्ट कर रंगदारी मांगता था।
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