सुमन सेमवाल, देहरादून: भारतीय नदियों की पारिस्थितिकीय स्थिति को लेकर एक नर्मदा और महानदी जैसी प्रमुख नदियों में भारी धातुओं (हेवी मेटल्स) से प्रदूषण के गंभीर स्तरों की जानकारी समाने आई है। दोनों नदियों के पानी में भारी धातुओं की उपस्थिति 16 प्रतिशत तक पाई गई है। इसके अलावा नदियों की गाद (सेंडिमेट) में भी जलीय पारिस्थितिकी के लिए घातक भारी धातुओं की उपस्थिति पाई गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह अध्ययन वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) की वैज्ञानिक डा. रुचि बडोला और डा. सय्यद ऐनुल हुसैन के नेतृत्व में किया गया है। नर्मदा और महानदी में भारी धातुओं की उपस्थिति का पता लगाने के अध्ययन में विज्ञानियों ने मानसून के बाद के मौसम में नदियों के विभिन्न हिस्सों से जल और अवसाद (सेंडिमेट) के नमूने एकत्र किए और उनमें जिंक (जेडएन), कैडमियम (सीडी) और सीसा (पीबी) जैसी भारी धातुओं की जांच की। विश्लेषण के लिए आइसीपी-एमएस तकनीक और आर्क-जीआइएस साफ्टवेयर का उपयोग कर प्रदूषण के हाटस्पाट पहचाने गए।
नर्मदा नदी के कई हिस्सों में जिंक, कैडमियम और सीसा की मात्रा पानी में निर्धारित मानकों से अधिक थी। विज्ञानियों के अनुसार नदी की कुल लंबाई (1300 किमी) में से लगभग 16.6 प्रतिशत हिस्से में पानी भारी धातुओं से प्रदूषित पाया गया। वहीं, 27.08 प्रतिशत नदी तल (सेडिमेंट) में धातुओं का स्तर अधिक पाया गया, जो दीर्घकालिक पारिस्थितिकीय जोखिम दर्शाता है। प्रदूषण का प्रभाव विशेष रूप से औद्योगिक इलाकों और कृषि अपवाह से प्रभावित क्षेत्रों में अधिक पाया गया।
महानदी के पानी में आक्सीजन का स्तर कम
महानदी के अध्ययन में पाया गया कि नदी में घुलित आक्सीजन (डीओ) का स्तर कई स्थानों पर घटा हुआ है, विशेषकर राजिम क्षेत्र में। यह संकेत देता है कि वहां का मीठा जल तंत्र असंतुलित हो रहा है। जल नमूनों में जिंक और सीसा की मात्रा औद्योगिक इलाकों के पास अधिक पाई गई। नदी के अवसाद में धातुओं की मात्रा अपेक्षाकृत नियंत्रित रही, लेकिन जल में 14 प्रतिशत हिस्से में भारी धातुओं की उपस्थिति दर्ज की गई।
जलीय जीवों के शरीर में भारी धातुओं का जमाव खतरनाक
सीसा, कैडमियम, और जिंक, जब पानी में मिल जाते हैं तो वह धीरे-धीरे जलजीवों के शरीर में जमा हो जाते हैं। इससे मछलियों और अन्य जीवों की मृत्यु दर बढ़ सकती है, प्रजनन क्षमता घट सकती है और पूरा नदी तंत्र प्रभावित हो सकता है।
इन धातुओं का मुख्य स्रोत यह रहा
औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि भूमि से बहकर आने वाले रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक, शहरी क्षेत्रों का असंसाधित सीवेज जल नदी के पानी में भारी धातुओं की उपस्थिति के मुख्य कारक माने गए हैं। |