यूपी के थोक दवा बाजार में करोड़ों के कफ सिरप की बिक्री बंद, MRP को लेकर भी सामने आ गई ये सच्चाई

LHC0088 2025-10-28 18:15:23 views 838
  

यूपी के थोक दवा बाजार में करोड़ों के कफ सिरप की बिक्री बंद, MRP को लेकर भी सामने आ गई ये सच्चाई






जागरण संवाददाता, आगरा। कफ सिरप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में भी सख्ती की गई है। प्रदेश भर में पिछले छह दिन से कफ सिरप के नमूने लिए जा रहे हैं, दो वर्ष से कम आयु के बच्चों में कफ सिरप के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इससे थोक दवा बाजार में कफ सिरप की बिक्री नहीं हो रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

खुदरा दवा कारोबारियों ने भी डाक्टर के पर्चे के बिना कफ सिरप की बिक्री बंद कर दी है। ऐसे में मौसम बदलने से सर्दी जुकाम और खांसी के मरीज बढ़ने के बाद भी थोक दवा बाजार में करोड़ों का कफ सिरप फंस गया है। आगरा में ही थोक दवा कारोबारियों पर 50 करोड़ से अधिक का कफ सिरप का स्टाक है।

सर्दी जुकाम और खांसी में कफ सिरप की सबसे ज्यादा बिक्री होती है। मेडिकल स्टोर से 30 प्रतिशत कफ सिरप की डाक्टर के पर्चे से बिकता है, 70 प्रतिशत कफ सिरप मेडिकल स्टोर संचालक खुद अपने स्तर से सर्दी जुकाम और खांसी के मरीजों को बेचते हैं। सूखी खांसी और बलगम वाली खांसी के लिए अलग अलग तरह के कफ सिरप हैं, कफ सिरप की मांग ज्यादा होने से ब्रांडेड कंपनियों के साथ ही मोनोपाली ( ऐसी कंपनी जिनकी दवाएं चुनिंदा क्लीनिक और हास्पिटल पर मिलती है) दवा कंपनियों के 500 से अधिक तरह के कफ सिरप बाजार में उपलब्ध हैं।

सहायक औषधि आयुक्त, आगरा मंडल अतुल उपाध्याय ने बताया कि पांच अक्टूबर को कफ सिरप के संबंध में एडवाइजरी जारी की गई थी, दो वर्ष तक के आयु के बच्चों में कफ सिरप का इस्तेमाल ना करने और पांच वर्ष तक के आयु के बच्चों में डाक्टर के पर्चे पर ही कफ सिरप की बिक्री करने की सलाह दी गई है।

छह अक्टूबर से आगरा सहित प्रदेश भर में कफ सिरप के नमूने लिए जा रहे हैं, छह दिन में आगरा में 23 तरह के कफ सिरप के नमूने लिए गए हैं। प्रदेश में 500 कफ सिरप के नमूने लिए जा चुके हैं, नमूने लेने के बाद गूगल फार्म पर कफ सिरप की निर्माता कंपनी, उसमें मौजूद दवाएं, बैच नंबर सहित अन्य ब्योरा दर्ज किया जा रहा है। जिससे एक कफ सिरप और बैच नंबर का प्रदेश भर में एक ही नमूना लिया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा कफ सिरप की गुणवत्ता की जांच हो सके।

उधर, औषधि विभाग द्वारा नमूने लिए जाने और डाक्टर के पर्चे के बिना कफ सिरप की बिक्री पर कार्रवाई के डर से खुदरा मेडिकल स्टोर संचालकों ने कफ सिरप की बिक्री बंद कर दी है। डाक्टर भी कुछ ही केस में कफ सिरप लिख रहे हैं। इससे थोक और खुदरा बाजार में कफ सिरप की बिक्री नहीं हो रही है।

आर्गेनाइजेशन आफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट उत्तर प्रदेश (ओसीडीयूपी) महामंत्री सुधीर अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश भर में कफ सिरप की बिक्री बहुत कम हो गई है। प्रदेश में दवा की आगरा, लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, बनारस और मेरठ सहित छह बड़ी मंडी हैं इनमें कफ सिरप की बिक्री नहीं हो रही है।

आगरा फार्मा एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पुनीत कालरा ने बताया कि फव्वारा थोक दवा बाजार में 35 करोड़ की दवाओं की बिक्री प्रतिदिन होती है, इसमें से 10 प्रतिशत कफ सिरप की बिक्री है। सर्दी में बिक्री बढ़ जाती है, थोक दवा कारोबारी 10 से अधिक कार्टून स्टाक में रखते हैं एक कार्टून में 25 से लेकर 100 कफ सिरप तक होते हैं। पिछले छह दिन से कफ सिरप की बिक्री नहीं हो रही है, थोक दवा बाजार में 50 करोड़ का स्टाक फंसा हुआ है।

बाजार में कोल्ड्रिफ जैसे बड़ी मात्रा में कफ सिरप

मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिरप की सप्लाई नहीं होती है, मेडिकल स्टोर पर भी कोल्ड्रिफ सिरप की उपलब्धता नहीं है लेकिन सर्दी जुकाम और खांसी के लिए कोल्ड्रिफ जैसे सिरप बड़ी मात्रा में बिक रहे हैं। इसमें भी 70 प्रतिशत कफ सिरप मोनोपाली ( ऐसी कंपनी जिनकी दवाएं चुनिंदा क्लीनिक और हास्पिटल पर मिलती है) कंपनी के हैं।

कमीशन के लिए डाक्टर ब्रांडेड की जगह मोनोपाली की दवाएं लिख रहे हैं। सर्दी जुकाम के लिए इस्तेमाल होने वाले कोल्ड्रिफ सिरप में तीन दवाओं का मिश्रण होता है। सिरप तैयार करने के लिए बेस के रूप में प्रोपिलीन ग्लाइकाल का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ज्यादा कमाई करने के लिए प्रोपिलीन ग्लाइकाल की जगह सस्ता होने के कारण मोनोपाली कंपनी डाइएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) का इस्तेमाल कर रही हैं। डीईजी जहरीला इंडस्ट्रियल केमिकल होता है इससे गुर्दा फेलियर और अन्य गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं, इसका इस्तेमाल गाड़ियों के ब्रेक, इंजन और पेंट में किया जाता है।

आठ से 10 रुपये के सिरप की एमआरपी 80 से 150 रुपये

कफ सिरप की मांग अधिक है, इसमें इस्तेमाल होने वाले साल्ट सस्ते आते हैं। इसलिए हिमाचल, उत्तराखंड में आठ से 10 रुपये में कफ सिरप मिल जाते हैं, इन कफ सिरप पर एमआरपी 80 से 150 रुपये होती है। मोनोपाली कंपनी संचालित करने वाले डाक्टर को कमीशन और मेडिकल स्टोर संचालकों को अच्छा डिस्काउंट देते हैं इसलिए भी कफ सिरप की ज्यादा बिक्री होती है।


अधिकांश बच्चों में कफ सिरप की जरूरत नहीं

एसएन मेडिकल कालेज के बाल रोग विशेषज्ञ डा. नीरज यादव ने बताया कि खांसी आना शरीर की प्रोटेक्टिव मैकेनिज्म है, खांसी इसलिए आती है कि फेफड़ों में बगलम है तो वह बाहर निकल जाए। दवा देखकर खांसी रोकने से बलगम बाहर नहीं निकलता है और फेफड़ों में संक्रमण बढ़ता जाता है। इसलिए बलगम पतला करने वाली दवा दी जाती है, खांसी रोकने वाले सिरप नहीं दिए जाते हैं।

मगर, बड़ी संख्या में लोग मेडिकल स्टोर से खांसी रोकने वाले सिरप लेकर बच्चों को दे देते हैं, इससे दो तीन दिन में ही बच्चों का संक्रमण बढ़ जाता है और गंभीर हालत में बच्चे को लेकर स्वजन अस्पताल पहुंचते हैं। डाक्टर से भी माता पिता बच्चे को कफ सिरप लिखने के लिए कहते हैं।

कोल्ड्रिफ सिरप में तीन दवाओं का मिश्रण

  • क्लोरफेनिरामाइन यह एंटी एलर्जिक होता है और सर्दी जुकाम और खांसी के लिए दी जाती है
  • पैरासीटामोल यह बुखार और दर्द में राहत देती है
  • फिनाइलएफ्रिन यह सर्दी जुकाम से राहत देती है
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