असम में CAA के तहत दो और लोगों को मिली भारतीय नागरिकता, पहली बार महिला को भी मिली मंजूरी

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असम में CAA के तहत दो और लोगों को नागरिकता (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। असम में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत दो और लोगों को भारतीय नागरिकता मिली है। इनमें एक महिला भी शामिल हैं। इसके साथ ही राज्य में CAA के तहत नागरिकता पाने वालों की संख्या अब 4 हो गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यह जानकारी इन मामलों को देख रहे वरिष्ठ वकील धर्मानंद देब ने दी। धर्मानंद देब ने बताया कि यह असम में पहली बार है जब किसी महिला को CAA के तहत भारतीय नागरिकता मिली है। खास बात यह भी है कि यह नागरिकता उन्हें रजिस्ट्रेशन के जरिए दी गई है।

गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को दोनों को नागरिकता प्रमाणपत्र जारी किए। वकील ने बताया कि दोनों की नागरिकता भारत में प्रवेश की तारीख से प्रभावी मानी जाएगी। सामाजिक परेशानियों की आशंका के चलते दोनों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए।
कब से भारत में है महिला?

महिला की उम्र 40 साल है और वह 2007 में बांग्लादेश से भारत आई थी। वह असम के श्रीभूमि जिले में रह रही थी। वकील के अनुसार, वह इलाज के लिए एक रिश्तेदार के साथ सिलचर मेडिकल कॉलेज आई थी। यहीं उनकी मुलाकात श्रीभूमि के एक युवक से हुई और फिर दोनों ने शादी कर ली। इसके बाद उन दोनों को एक बेटा हुआ और वह यहीं बस गई।

CAA के नियम लागू होने के बाद उन्होंने पिछले साल जुलाई में नागरिकता के लिए आवेदन किया, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले हुए सीमांकन की वजह से उनके इलाके के अधिकार क्षेत्र को लेकर भ्रम पैदा हो गया और आवेदन खारिज हो गया।

वकील ने बताया कि महिला का मामला दोबा दाखिल किया गया और आखिरकार उसे मंजूरी मिल गई। उन्हें नागरिकता अधिनियम की धारा 5(1)(C) और 6B के तहत नागरिकता दी गई। इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति जो किसी भारतीय नागरिक से शादी कर चुका हो और सात साल से भारत में रह रहा हो, वह रजिस्ट्रेशन के लिए जरिए नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
कौन है दूसरा व्यक्ति?

दूसरा व्यक्ति 61 साल का पुरुष है, जो 1975 में 11 साल की उम्र में बांग्लादेश के मौलविबाजार जिले से भारत आया था। वह सिलचर शहर में रह रहा था। उसने भी असम में ही शादी की और परिवार बसाया। उसे नेचुरलाइजेशन प्रक्रिया के जरिए भारतीय नागरिकता दी गई। इन दोनों के साथ अब असम में ऐसे चार लोग हो गए हैं, जो 1971 की कट-ऑफ तारीख के बाद भारत आए थे और जिन्हें CAA के तहत नागरिकता मिली है।

धर्मानंद देब ने बताया कि पिछले 18 महीनों में उन्होंने करीब 25 आवेदकों की मदद की, लेकिन कई आवेदन खारिज हो गए या अब भी लंबित हैं। CAA के नियम लागू होने के बाद से अब तक करीब 40 लोगों ने ही असम में नागरिकता के लिए आवेदन किया है।

CAA के तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग, जो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 25 मार्च 1971 से 31 दिसंबर 2014 के बीच भारत आए वे नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
CAA पर असम में हुआ था विरोध

CAA को 11 दिसंबर 2019 को संसद से पारित किया गया था। इसके बाद असम में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिनमें पांच लोगों की मौत हुई थी। असम में करीब दो लाख लोगों को संदिग्ध नागरिक के रूप में चिह्नित किया गया है, लेकिन अब तक बहुत कम लोगों ने CAA के तहत आवेदन किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि बांग्लादेश से आए अधिकतर हिंदू 1971 से पहले ही असम आ चुके थे।

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