Sai Baba Katha: श्रद्धा और सबुरी की शक्ति, शिरडी वाले साईं बाबा की अनूठी कथा

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Sai Baba Katha: साईं बाबा की कथा (AI-generated image)



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शिरडी के साईं बाबा (Sai Baba) महज एक संत नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का वह केंद्र हैं, जहां \“सबका मालिक एक\“ का नारा गूंजता है। उनके दरबार में न कोई छोटा है, न बड़ा और न ही कोई धर्म की दीवार। बाबा कहते थे कि अगर आप अपनी झोली फैलाकर उन पर विश्वास रखेंगे, तो वह आपके जीवन के हर अंधेरे को दूर कर देंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वह चमत्कार: जब पानी से जल उठे थे दीये

साईं बाबा की कथाओं में सबसे प्रचलित कहानी उनके शिरडी आगमन के शुरुआती दिनों की है। बाबा को शाम के समय मस्जिद (द्वारकामाई) में दीये जलाना बहुत पसंद था। वे रोज दुकानदारों से तेल मांगकर लाते और दीये जलाते थे।

एक दिन दुकानदारों ने मजाक में बाबा को तेल देने से मना कर दिया। बाबा शांत रहे और खाली हाथ मस्जिद लौट आए। लेकिन उस शाम जो हुआ, उसने पूरे शिरडी को हिलाकर रख दिया। बाबा ने दीयों में तेल की जगह पानी डाला और उन्हें प्रज्वलित किया। चमत्कार यह हुआ कि वे दीये पूरी रात रोशनी बिखेरते रहे। यह देखकर दुकानदार उनके चरणों में गिर पड़े। यह कथा हमें सिखाती है कि अगर \“श्रद्धा\“ (विश्वास) हो, तो ईश्वर असंभव को भी संभव कर देता है।

साईं बाबा की आरती

शिरडी में बाबा की चार समय की आरती काकड़, मध्याह्न, धूप और शेज आरती (सुबह, दोपहर, शाम और रात ), विशेष महत्व है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध है- “आरती साईं बाबा, सौख्यदातर जीवा...“।

इस आरती की रचना माधवराव अडकर (Madhavrao Adkar) ने की थी। माना जाता है कि जब भक्त सच्चे मन से यह आरती गाते हैं, तो उन्हें बाबा की उपस्थिति का एहसास होता है। आरती के शब्द केवल प्रार्थना नहीं हैं, बल्कि बाबा से यह गुहार है कि वे हमारे अहंकार को मिटा दें और हमें शांति प्रदान करें। शिरडी में आरती के समय का माहौल ऐसा होता है जैसे साक्षात ईश्वर वहां मौजूद हों।

आरती और कथा की सीख

साईं बाबा के जीवन का सार दो शब्दों में छिपा है- \“श्रद्धा\“ और \“सबुरी\“ यानी विश्वास और धैर्य। उनकी कथाएं हमें बताती हैं कि मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर मन में धीरज है, तो बाबा रास्ता जरूर दिखाते हैं। उनकी आरती पढ़ने या सुनने मात्र से मन का तनाव दूर हो जाता है और एक नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

चाहे वह पानी से दीये जलाना हो या भक्तों के कष्टों को अपने ऊपर लेना, साईं बाबा ने हमेशा मानवता की सेवा को ही सबसे ऊपर रखा। आज भी शिरडी की धूल माथे पर लगाते ही भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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