जागरण संवाददाता, मऊ। कड़ाके के ठंड में पशुओं के समक्ष संकट उत्पन्न हो गया है। ऐसे में पशुपालन विभाग की तरफ से सतर्कता बरतने के लिए किसानों को एडवाजरी जारी कर दी गई है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार गिरि ने बताया कि पशु-पक्षियों को आसमान के नीचे खुले स्थान में न बांधे। घिरे जगह, छप्पर व शेड से ढके हुए स्थानों में रखे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह विशेष ध्यान रखें कि रोशनदान, दरवाजे एवं खिड़कियों को टाट/बोरे से आवश्यकतानुसार ढक दें। पशु बाड़े में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। मूत्र, जल भराव न होने दें। बिछावन में भूसा, लकडी का बुरादा, गन्ने की खोई आदि का प्रयोग करें। पशु-पक्षियों को बाडे की नमी सीलन से बचाएं। पशुओं को ताजा पानी पिलाएं।
पशुओं को जूट के बोरे का झूल पहनाएं तथा ध्यान रखें कि झूल खिसके नहीं। उन्होंने बताया कि आवश्यकतानुसार अलाव जलाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अलाव पशुओं के बच्चे की पहुंच से दूर रखने के लिए पशु के गले में रस्सी बांधे कि पशु अलाव तक न पहुंच सके।
बाड़े में अलाव जलाने पर गैस बाहर निकलने के लिए रोशनदान खोल दें। संतुलित आहार पशुओं को दें। आहार में खली, दाना, चोकर की मात्रा बढ़ा दें। उन्होंने बताया कि दूध निकालने पर पशु को अवश्य ही बाहर खुले स्थान पर धूप में खड़ा करें। नवजात बच्चों को खीस (कोलस्ट्रम) पिलाएं। इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। प्रसव के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी मिलाकर पिलाएं।
भेड बकरियों में पीपीआर बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है। अतः बीमारी से बचाव का टीका अवश्य लगवाएं। गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें एवं प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा को ध्यान में रख कर शीत लहर से बचाव करें। ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं तो तत्काल निकटतम पशु चिकित्सक को दिखाएं। उनसे प्राप्त परामर्श का पूर्ण रूपेण पालन करें। आपदा से पशु की मृत्यु होने पर राहत राशि प्राप्त करने के लिए राजस्व विभाग से संपर्क स्थापित करें। उन्होंने बताया कि पशु से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या, असुविधा,जानकारी के लिए टोल फ्री नम्बर-1962 पर संपर्क कर सकते हैं। |