नवाजुद्दीन सिद्दीकी और चित्रांगदा (फोटो-इंस्टाग्राम)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। सस्पेंस,परतदार किरदार और यथार्थ की गहराई को लेकर गढ़ी गई फिल्म ‘रात अकेली है’ की रिलीज के करीब पांच वर्ष बाद निर्देशक हनी त्रेहन फिर दर्शकों को उसी अंधेरी और बेचैन दुनिया में ले जाने के लिए तैयार हैं। ‘रात अकेली है 2’ में नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक बार फिर जटिल यादव के रूप में लौट रहे हैं, इस बार उन्हें सुलझानी है बंसल परिवार की मर्डर मिस्ट्री। फिल्म में उनके साथ हैं चित्रांगदा सिंह। उनसे बात की स्मिता श्रीवास्तव ने, जानिए बातचीत के अंश - विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
1. इस साल की सबसे अच्छी बात क्या रही ?
चित्रांगदा :फिल्म रात अकेली है 2 में मीरा का जो पात्र मिला है वैसी भूमिकाएं निभाने का मौका अक्सर नहीं मिलता है। मीरा एक प्रभावशाली परिवार से है। सत्ता, संवेदनशीलता और व्यक्तिगत संघर्ष की झलक पात्र में दिखेगी। अब महिला को केंद्र में रखकर पात्र लिखे जाते हैं। वे बहुत परतदार पात्र होते हैं। फिल्म के निर्देशक हनी त्रेहन ने कहा कि अपनी सीमाओं से आगे आकर इस पात्र को निभाओ, इसलिए लगता है कि इस साल की बेस्ट चीज रहा ये पात्र।
नवाजुद्दीन : मेरे लिए यह फिल्म खास है। फिल्म करने के बाद से ही इसकी रिलीज का इंतजार था। इसकी कहानी मूल कहानी से अलग है।
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2. पात्र को जीने का आपका तरीका क्या रहा?
चित्रांगदा : एक अभिनेता के अंदर एक आदत बन जाती है कि कैसे रोना है, कैसे हंसना है, लेकिन हनी ने मुझे सिखाया कि जब आप किसी इमोशन या शॉट को बार-बार करते बोर हो जाते हैं, तो उसके आगे भी फोकस कैसे बनाए रखना है वर्ना मानसिक ब्लाक आ जाता है। उससे आगे जाकर परफार्म करना मैंने हनी से सीखा।
क्या एक ही पात्र को बार-बार निभाना आसान होता है...
नवाजजुद्दीन- नहीं, यह थोड़ा जोखिम भरा होता है। अगर आपने सोचा कि यह तो मैं कर ही लूंगा, तो वही किरदार आपको नुकसान पहुंचा सकता है। हर बार आपको शून्य से शुरुआत करनी होती है। आधार जरूर होता है, लेकिन नए पात्रों से आपका रिश्ता, उनकी प्रतिक्रिया सब कुछ बदल जाता है। उसी हिसाब से आपकी परफार्मेंस भी बदलती है।
3. आप दोनों तो पहले भी साथ काम करने वाले थे, लेकिन विवाद हो गए और फिल्म नहीं की...
चित्रांगदा : मैं हमेशा से नवाज के साथ काम करना चाहती थी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं हो पाया। हमारी इक्वेशन कभी खराब नहीं रही। कई बार फिल्में किसी वजह से पूरी नहीं हो पातीं, लेकिन लोगों के लिए यह कह देना आसान है कि दो कलाकारों के बीच समस्या थी। मैंने हनी से भी यही कहा था कि मैं उनके साथ काम करना चाहती हूं। मैं कई सीन में अटकी थी, तो नवाज ने मुझे बहुत सपोर्ट किया।
4. डार्क रोल निभाना ज्यादा कठिन है या उससे निकलना ?
चित्रांगदा: नवाज तो डार्क रोल के मास्टर हैं। मुझे लगता है कि डार्क रोल में उतरना मुश्किल है। सेट पर आप हंस रहे हैं, बात कर रहे होते हैं। ऐसे में कैमरा आन होते ही पात्र की मानसिक गहराई में उतरना चुनौती होती है। हालांकि उससे निकलना थोड़ा आसान लगता है। नवाजुद्दीन: पात्र से निकलना भी मुश्किल होता है और उसे निभाना भी। मैंने डार्क से ज्यादा ग्रे किरदार किए हैं। कुछ किरदार साथ रह जाते हैं। निजी तौर पर रमन राघव 2.0 का पात्र थोड़ा भारी पड़ गया था, लेकिन फिल्म रात अकेली है की जब तक शूटिंग चली, मुझे जटिल के पात्र में रहना बहुत अच्छा लगा। दो-तीन महीने किसी पात्र की जिंदगी जीना बहुत खूबसूरत अनुभव होता है।
5. शाट में अटकने पर वापस बार-बार परफार्म करना कठिन होता होगा ?
नवाजुद्दीन : एकाध शाट में हर एक कलाकार अटकता है, लेकिन फाइनल शाट जो आता है वो बहुत ही मजेदार होता है।
6. जटिल यादव पुलिस में है और मीरा बंसल मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े परिवार से, पावर के मायने आपके लिए क्या हैं ?
चित्रांगदा : मुझे ऐसा लगता है पावर यह है कि आप वो काम कर सकें, जो आप करना चाहते हैं। काम करने का मन है तो करो, नहीं है तो मत करो, जैसे चाहो वैसी जिंदगी जियो। यही असली ताकत है वर्ना ताकत की कोई सीमा नहीं है कि आप किससे क्या करवा सकते हो वो अलग चीजें हैं।
नवाजुद्दीन : यह बेहतरीन जवाब है। हमारे लिए पावर यही है कि हम अपने मन का काम कर सकें वर्ना ताकतवर लोग अक्सर उसका गलत इस्तेमाल करते हैं।
7. इस साल सितारों की लंबी चौड़ी टीम, आठ घंटे की शिफ्ट और फिल्मों में हिंसा के मुद्दे छाए रहे। आपकी क्या राय है इन मुद्दों पर ?
नवाजुद्दीन: ये सब चीजें आपसी समझ पर निर्भर करती हैं। अगर हिंसा सिर्फ सनसनी के लिए दिखाई जाए, तो गलत है, लेकिन अगर स्क्रिप्ट की मांग है, तो उसे समझना होगा।
चित्रांगदा: मेरा मानना है कि जहां ऐसा लगता है कि कलाकारों से बहुत काम कराया जा रहा है, तो वहां पर फिल्मकारों के साथ बातचीत होनी चाहिए। अगर फिल्मकारों को लगता है कलाकारों की टीम लंबी चौड़ी है तो कलाकारों को समझना होगा। सिनेमा में सहयोग से काम बेहतर हो पाता है। यह एकतरफा हो ही नहीं सकता। आप किसी एक पर आरोप नहीं लगा सकते हैं। अच्छा काम तभी निकलता है जब सब मिलकर कर काम करें।
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