निजी क्षेत्र की भागीदारी खोलने वाला परमाणु ऊर्जा विधेयक संसद से पारित (सांकेतिक तस्वीर)
पीटीआई, नई दिल्ली। संसद ने गुरुवार को परमाणु ऊर्जा विधेयक पारित कर दिया। कड़े नियंत्रण वाले असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने का प्रविधान करने वाले इस विधेयक \“सस्टेनेबल हॉर्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफार्मिंग इंडिया\“ (शांति) को राज्यसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
साथ ही प्रस्तावित कानून को संसदीय समिति को भेजने के लिए विपक्ष की ओर से पेश कई संशोधनों को खारिज कर दिया। लोकसभा ने विधेयक को बुधवार को ही पारित कर दिया था।
परमाणु ऊर्जा विभाग के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसका उद्देश्य भारत को परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाना और ऊर्जा के अन्य स्त्रोतों पर निर्भरता कम करना है।
उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति का विश्वसनीय स्त्रोत है, जबकि अन्य नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों के मामले में ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि 2025 में देश ने 8.9 गीगावाट की परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है और रोडमैप का पालन किया तो 2047 तक 100 गीगावाट की क्षमता हासिल कर लेंगे।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि बड़े पैमाने पर एआइ के आने से भारत की ऊर्जा की जरूरत परमाणु स्त्रोतों पर बहुत ज्यादा निर्भर होगी।असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने का बचाव करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिए खोलने के परिणाम बेहद फायदेमंद रहे हैं।
साथ ही आश्वस्त किया कि विधेयक में सुरक्षा प्रविधानों से किसी तरह का समझौता नहीं किया गया है। सुरक्षा प्रविधान और उनकी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) वही हैं जो 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम में थे, जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में लागू किया गया था। इस एसओपी में साफ तौर पर \“पहले सुरक्षा, फिर उत्पादन\“ का उल्लेख है।
विकिरण के डर को दूर करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब तक जनता को विकिरण से जुड़े किसी खतरे की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। उन्होंने कहा, \“\“पिछले 10-11 वर्षों में भारत ने वैश्विक भूमिका निभाई है। भारत अब दूसरों का अनुगामी नहीं है, अब हम पहली पंक्ति के देश हैं। 2014 के बाद यह पहली बार है जब जलवायु, ऊर्जा, ऊर्जा सुरक्षा या स्वच्छ ऊर्जा जैसी वैश्विक चिंताओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि 2014 से पहले परमाणु ऊर्जा विभाग का बजट सिर्फ 13,879 करोड़ रुपये था, जो वर्तमान में 37,483 करोड़ रुपये है। 2014 में परमाणु ऊर्जा क्षमता सिर्फ 4.7 गीगावाट थी; दो अब 8.9 गीगावाट है।
संसद के दोनों सदनों से \“शांति\“ विधेयक पारित होना भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए बदलाव लाने वाला पल है। यह भारत में निवेश करने, नवाचार करने और निर्माण करने का सबसे अच्छा समय है। यह विधेयक निजीक्षेत्र और युवाओं के लिए कई मौके खोलता है।- नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री |