अनिल अंबानी की RHFL से लेकर JP Associates तक, 21वीं सदी में बर्बाद हुईं ये 5 बड़ी कंपनियां; देखें लिस्ट
नई दिल्ली। 21वीं सदी के 25 साल पूरे होने को है। 2025 का दिसंबर महीने अपने आखिरी चरण में है। ये साल खत्म होते ही नया साल लग जाएगा और 21वीं सदी के 25 साल भी पूरे हो जाएंगे। इन पच्चीस सालों में भारत ने आर्थिक तौर पर बड़ी तरक्की की है। भारत की इस तरक्की में प्राइवेट सेक्टर का बड़ा योगदान रहा है। इस दौरान कई कंपनियों ने बड़ा मुकाम हासिल किया। कंपनियों के बढ़ने से भारत की जीडीपी में इजाफा हुआ। लेकिन कुछ ऐसी भी कंपनियां रहीं, जिन्हें असफलता नसीब हुई।
21वीं सदी के 25 साल में वैसे सैकड़ों कंपनियों में ताला लगा। लेकिन हम भारत की उन 5 दिग्गज कंपनियों के बारे में बताएंगे जिनकी कभी तूती बोला करती थी। ऐसा लगता था कि ये कंपनियां बहुत आगे तक जाएंगी। लेकिन कर्ज के जाल में ये कंपनियां ऐसी फंसी की फिर उठ नहीं पाई। इनमें जयप्रकाश एसोसिएट्स (JP Associates) से लेकर अनिल अंबानी की Reliance Home Finance तक का नाम शामिल हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
21वीं सदी के इस 25 साल में बर्बाद हुईं ये 5 बड़ी कंपनियां
- जयप्रकाश एसोसिएट्स (Jaiprakash Associates )
- रिलायंस होम फाइनेंस (Reliance Home Finance)
- वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज (Videocon Industries)
- किंगफिशर एयरलाइंस (Kingfisher Airlines)
- दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन (DHFL)
JP Associates हुई दिवालिया
एक समय उत्तर भारत की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी कही जाने वाली जयप्रकाश एसोसिएट्स अब गौतम अदाणी की होने वाली है। JP Associates को खरीदने की बोली अदाणी ग्रुप ने जीती है। JAL द्वारा अपने फाइनेंशियल दायित्वों को पूरा न करने के बाद इन्सॉल्वेंसी प्रोसेस शुरू किया गया।
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ICICI बैंक ने सबसे पहले 2018 में ट्रिब्यूनल से संपर्क किया, जिसके बाद 2022 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने संपर्क किया, जिसके कारण NCLT ने 3 जून, 2024 को केस स्वीकार किया था।
DHFL भी हुई बर्बाद
इस नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) पर धोखाधड़ी और फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट के आरोप लगे और यह भारत के सबसे बड़े दिवालियापन केस से गुजरी, जिसमें 13.93 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के क्लेम किए गए थे।
DHFL दिवालियापन एक ऐतिहासिक मामला था, जो भारत के इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत किसी फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर का पहला मामला था। यह मामला कई सालों की कानूनी लड़ाई के बाद अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ खत्म हुआ, जिसके बाद पीरामल ग्रुप ने कंपनी का सफल अधिग्रहण कर लिया।
अनिल अंबानी की Reliance Home Finance भी फेल
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली यह कंपनी, अपने कर्ज की देनदारियों को पूरा न कर पाने के कारण, सितंबर 2025 में इंसॉल्वेंसी कार्यवाही में शामिल हो गई। डिफॉल्ट राशि लगभग ₹7.81 करोड़ थी, जो एक इंटर-कॉर्पोरेट लोन सुविधा से संबंधित थी।
भारत की पहली कलर टीवी लॉन्च करने वाली कंपनी भी हुई दिवालिया
वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज जून 2018 में दिवालिया प्रक्रिया में चली गई, क्योंकि बिजनेस के असफल विस्तार और उससे जुड़े लोन फ्रॉड स्कैंडल के कारण कंपनी पर भारी कर्ज़ हो गया था। कंपनी को वेदांता ग्रुप की कंपनी ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज खरीदने वाली थी, लेकिन अधिग्रहण प्रक्रिया को बड़ी कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और आखिरकार एक अपीलीय ट्रिब्यूनल ने इसे रद्द कर दिया।
अलग-अलग वीडियोकॉन ग्रुप कंपनियों के कुल क्लेम ₹88000 करोड़ थे, जिसने अब तक देखे गए सभी दिवालियापन मामलों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। आप सोच रहे होंगे कि अगर यह प्रोसेस 2018 में शुरू हुआ था, तो अब तक खत्म हो जाना चाहिए था।
लेकिन जब 13 कंपनियों का यह बड़ा ग्रुप दिवालिया हो रहा है, तो हम और क्या उम्मीद कर सकते हैं? तेरह दिवालियापन की कार्यवाही में बहुत समय लगेगा, और COVID-19 महामारी ने इन कार्यवाही में और भी देरी कर दी है।
विजय माल्या की किंगफिशर भी फेल
किंगफिशर एयरलाइंस ने 20 अक्टूबर, 2012 को अपना ऑपरेशन बंद कर दिया, क्योंकि बढ़ते कर्ज, जमा हुए नुकसान और कर्मचारियों और लेनदारों को पेमेंट न कर पाने की वजह से डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने उसका फ्लाइंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था।
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