कांग्रेस के अविश्वास पर भारी पड़ा नायब का आत्मविश्वास। फोटो जागरण
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा की भाजपा सरकार के विरुद्ध लाए गए कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आत्मविश्वास भारी पड़ गया। करीब साढ़े चार घंटे की चर्चा के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री नायब सिंह का जवाब पूरा होने से पहले ही कांग्रेस विधायक सदन छोड़कर चले गये। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्यमंत्री से बार-बार आग्रह किया गया कि वे अपने जवाब को समेट लें, लेकिन मुख्यमंत्री अविश्वास प्रस्ताव में लगाए गए विपक्ष के हर आरोप का आंकड़ों व तथ्यों के साथ जवाब देने में लगे रहे।
रात करीब 10 बजे स्पीकर की चेयर पर बैठे डिप्टी स्पीकर डा. कृष्ण मिढा ने जब सदन का समय आधे घंटे के लिए बढ़ाने की घोषणा की तो कांग्रेस विधायक सदन छोड़कर चले गये। 22 फरवरी 2024 को भी कांग्रेस की ओर से भाजपा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, मगर तब भी मतदान से पहले ही कांग्रेस विधायक वाकआउट कर चले गये थे।
कांग्रेस विधायकों के सदन छोड़कर जाने के बाद संसदीय कार्य मंत्री महीपाल ढांडा और परिवहन मंत्री अनिल विज ने स्पीकर हरविन्द्र कल्याण के समक्ष प्रस्ताव रखा कि अब विपक्ष सदन में मौजूद नहीं है, इसलिए कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया जाए।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी उनका समर्थन करते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में हरियाणा में विपक्ष नाम की चीज नहीं रहेगी। मेरे पास विपक्ष के हर सवाल का जवाब है। फिर भी मैं संसदीय कार्य मंत्री के प्रस्ताव से सहमत हूं और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को सर्वसम्मति से खारिज करने के पक्ष में हूं। अंतिम फैसला स्पीकर ही करेंगे। विपक्ष के आठ और सत्ता पक्ष के पांच विधायकों को इस प्रस्ताव पर बोलने का मौका मिला।
विपरीत सदन में प्रक्रिया पूरी कराने को प्राथमिकता दी
स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री के प्रस्ताव के विपरीत सदन में प्रक्रिया पूरी कराने को प्राथमिकता दी और कहा कि भले ही विपक्षी विधायक सदन में नहीं हैं, लेकिन वे अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया को पूरी कराएंगे।
इस दौरान सदन में विपक्षी विधायकों की गैर मौजूदगी में सत्तारूढ़ भाजपा के विरुद्ध लाए गए कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को सर्वसम्मति से गिरा दिया गया।
संसदीय कार्य मंत्री महीपाल ढांडा और समाज कल्याण मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन फिर भी वह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए। सरकार उनके हर सवाल का जवाब दे रही थी, लेकिन विपक्षी विधायक कुछ भी सुने बिना ही सदन छोड़कर चलते बने।
इससे पहले वीरवार शाम को पांच बजकर 26 मिनट पर कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई। कांग्रेस के 37 विधायकों में से बेरी के विधायक एवं पूर्व स्पीकर डा. रघुबीर कादियान समेत 32 विधायकों के इस अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर थे।
सदन में 18 विधायकों ने खड़े होकर प्रस्ताव के समर्थन में चर्चा शुरू कराने की मांग स्पीकर से की। डा. रघुबीर कादियान ने हालांकि स्पीकर से अनुरोध किया कि इस प्रस्ताव पर सोमवार को चर्चा करा ली जाए, लेकिन स्पीकर तैयार नहीं हुए।
जिस तरह से चर्चा के दौरान बार-बार सदन का समय बढ़ाया जाता रहा, उससे साफ लग रहा था कि भाजपा सरकार विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने की पूरी तैयारी में है, भले ही सदन रात 12 बजे तक चलाना पड़े। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने 13 माह में 54 संकल्प पूरे किए हैं।
कांग्रेसी छोड़कर चले गये तो वोट भी खिसक गये
विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर भिड़ंत हुई। डा. रघुबीर कादियान ने जब यह कहा कि मुख्यमंत्री अपनी मर्जी से कोई बदली नहीं कर सकते तो समाज कल्याण मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने खड़े होकर इसका कड़ा प्रतिवाद किया और कहा कि ऐसे एक भी शब्द को नहीं सुना जाएगा, भले ही सदन चलने से रुक जाए।
कृष्ण बेदी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं नवीन जिंदल, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी, श्रुति चौधरी, डा. अरविंद शर्मा समेत विभिन्न नेताओं के नाम लेकर कहा कि आखिर कौन से ऐसे कारण थे, जिनकी वजह से उन्हें कांग्रेस छोड़नी पड़ी।
उन्होंने उदाहरण दिया कि कांग्रेस जब जनता का भरोसा खो चुकी वह वोट चोरी के आरोप लगाने लगी। थानेसर के कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने सदन में पूछा कि मतगणना से पहले मुख्यमंत्री ने सरकार बनाने के लिए सारे इंतजाम होने का जो दावा किया था, वह क्या इंतजाम थे।
इनेलो का नहीं मिला कांग्रेस विधायकों को साथ
इनेलो के दो विधायकों अर्जुन चौटाला और आदित्य देवीलाल का साथ विपक्षी कांग्रेस विधायकों को नहीं मिल पाया। आदित्य देवीलाल ने कांग्रेसियों पर जमकर आरोप लगाए और कहा कि वे न तो भाजपा के समर्थन में हैं और न ही कांग्रेस के समर्थन में हैं।
इसलिए वह सदन से वाकआउट करते हैं। अर्जुन चौटाला ने कहा कि कांग्रेस की वजह से ही हरियाणा में भाजपा की सरकार बनी है, जिस पर विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अगर इनेलो वालों की भैंस भी दूध देने से नाट गई तो यह कहते हैं कि हुड्डा की वजह से ऐसा हुआ है।
इनको कोई गंभीरता से नहीं लेता। कांग्रेस विधायक कुलदीप वत्स ने कहा कि जो लोग हुड्डा पर आरोप लगाते हैं, उन्हें अपने गिरेहबान में झांकना चाहिए। रिटायर्ड आइपीएस आरएस यादव ने इनेलो की सारी सच्चाई सामने ला दी है। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल की कृपा से ही इनेलो के दो विधायक जीतकर आए हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रुति चौधरी ने कांग्रेस पर क्षेत्रवाद अपनाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस विधायक इंदुराज नरवाल से जवाब मांगा। नरवाल ने कहा था कि राज्यसभा के चुनाव में श्रुति चौधरी की माता किरण चौधरी ने क्रास वोटिंग की थी। इस बात पर श्रुति चौधरी ने कांग्रेसियों को जमकर घेरा।
नायब ने टनल और तंत्र लोक में उलझाए रखा पूरा विपक्ष
हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान वोट चोरी, टनल सोच (यानी संकीर्णता) और तंत्र लोक जैसे शब्दों पर काफी देर तक हंगामा होता रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र को तंत्र लोक बनाने का आरोप कांग्रेस ने हम पर लगाया था, लेकिन इन लोगों को नहीं पता कि यह कितना गंभीर और व्यापक शब्द है।
टनल सोच को लेकर जब मुख्यमंत्री ने देश-प्रदेशों की टनल के निर्माण की जानकारी दी तो पूरा विपक्ष अशांत हो गया। उन्हें समझ नहीं आया कि आखिर मुख्यमंत्री ने टनल के बारे में इतनी जानकारियां देनी क्यों चालू कर दी हैं। मुख्यमंत्री को बार-बार विपक्षी विधायक कहते रहे कि आप टनल से आगे बढ़ो।
इन मुद्दों पर लाया गया था भाजपा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव
- - हरियाणा में वोट चोरी
- - अशिक्षा, बेरोजगारी,
- - अपराध
- - किसानों के मुआवजे में कमी और देरी
- - लोकतंत्र को तंत्र लोक में बदलना
चंडीगढ़, एसवाईएल और अलग विधानसभा पर पूछा स्टैंड
हरियाणा विधानसभा में अंतरराज्यीय मुद्दों पर भी काफी चर्चा हुई। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस ने भाजपा से जवाब मांगा कि राजधानी चंडीगढ़ को लेकर वह अपना स्टैंड स्पष्ट करें। साथ ही सरकार से पूछा कि क्या हरियाणा की अपनी विधानसभा नहीं बनेगी।
विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एसवाईएल, अलग विधानसभा और अलग राजधानी पर सरकार को अपना स्टैंड बताना चाहिए। विधायक अशोक अरोड़ा ने सुझाव दिया कि कुरुक्षेत्र को हरियाणा की नई राजधानी बनाया जाए।
झज्जर की कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि राज्य में ऐसी कमजोर सरकार बैठी है, जो अपनी राजधानी और एसवाईएल प्राप्त नहीं कर सकती। इनेलो विधायक आदित्य देवीलाल ने कहा कि यदि एक भी गाड़ी फसल एमएसपी पर बिकी हुई होगी तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।
विधायक निर्मल सिंह, शक्ति रानी शर्मा, जगमोहन आनंद, बलराम दांगी, बलवान सिंह दौलतपुरिया, रणधीर पनिहार, आफताब अहमद, कुलदीप वत्स, इंदुराज नरवाल और रणधीर पनिहार ने भी अपनी बात रखी। उद्योग मंत्री राव नरबीर ने कहा कि कांग्रेस ने वोट चोरी का गलत मुद्दा पकड़ लिया है।
कांग्रेस का प्रस्ताव निराशा, हताशा और राजनीतिक कुंठा से ग्रसित- नायब
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सदन में कहा कि विपक्ष ने सरकार पर जो आरोप लगाए हैं, वहतथ्य, सच्चाई और जमीनी हकीकत पर आधारित नहीं है। कांग्रेस के आरोप निराशा, हताशा और राजनीतिक कुंठा से ग्रसित हैं।
कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को मैंने पढ़ा, जिस पर मुझे हैरानी हुई है। यह प्रस्ताव हड़बड़ाहट में लिखा गया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में पहली बार महंगाई शब्द का प्रयोग नहीं किया गया। विपक्ष भी मानता है कि मोदी सरकार ने महंगाई में कमी की है।
उन्होंने कहा कि हमारा विजन संकीर्ण नहीं है। हमारा विजन अर्जुन के लिए मछली की आंख की तरह है। हमारा विजन पीएम मोदी द्वारा लिए गए विकसित भारत २०४७ के संकल्प को साकार करना है। साल २०४७ से पहले ही विकसित हरियाणा के अपने विजन को हम धरातल पर उतारकर दिखाएंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित कार्यक्रम का विपक्ष को निमंत्रण
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विपक्ष को 24 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पंचकूला में आगमन संबंधी कार्यक्रम का निमंत्रण दिया। इस दिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर गृह मंत्री अमित शाह उनकी प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे।
हुड्डा बोले कि मैं हर साल उनके चित्र पर पुष्प चढ़ाता हूं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री इसी दिन हरियाणा के विजन 2047 डाक्यूमेंट को रिलीज करेंगे।
२५ दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। स्पीकर हरविन्द्र कल्याण ने जानकारी दी कि २४ दिसंबर १९८७ को वाजपेयी जी ने इसी दिन में बैठकर हाउस की प्रोसिडिंग देखी थी। नायब सैनी ने दावा किया कि भाजपा सरकार ने अभी तक करीब दो लाख सरकारी पक्की नौकरियां दी हैं। |