मेनोपॉज: महिलाओं के लिए सशक्त और बेझिझक जीवन की शुरुआत (सांकेतिक तस्वीर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति )को अक्सर एक बोझ की तरह देखा जाता है। क्योंकि इस दौरान शरीर में आए हार्मोनल बदलाव के चलते महिलाओं को मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन का शिकार होना पड़ता है।
दरअसल, मेनोपॉज अवस्था में आने के बाद महिलाओं के चेहरे पर उदासी छाने लगता है और पुरुष भी ज्यादा ध्यान नहीं देते है। इनके प्रति समाज की नजरें धीरे-धीरे ओझल होने लगती है और लोग इसे \“सनकीपन\“ या \“बुढ़ापे की शुरुआत\“ कहकर खारिज कर देते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
क्या है सच्चाई?
हालांकि, सच्चाई इसके ठीक उलट है। यह वह दौर है जब सालों का दबा हुआ क्रोध बाहर आता है, पुरानी चुप्पी टूटती है और अचानक एक गजब की स्पष्टता जन्म लेती है। यह ऐसी अव्यस्था होती है, जब महिलाओं को न दिखावे की फिक्र, न दूसरों की राय की परवाह।
रजोनिवृत्ति महिलाओं को वह स्वतंत्रता देती है जो युवावस्था में सपनों में भी मुश्किल लगती थी। रजोनिवृत्ति महिलाओं को बेझिझक जीने की और जीवन को अपने नियमों से जीने की आजादी देती है। यह कोई लाइफ का अंत नहीं, बल्कि एक नई, सशक्त शुरुआत है।
रजोनिवृत्ति वह दौर है जब महिलाएं खुद को पूरी तरह मुक्त महसूस करती हैं। पहनाने से लेकर दिखावे तक सब बोझ उतर जाता है। आप जो चाहे पहनो जैसे चाहो रहो। किसी की कोई परवाह नहीं होती। समाज की अपेक्षाओं से आजादी मिलती है।
लेकिन इस दौर की शुरुआत क्रोध और चिड़चिड़ेपन से शुरू होता है, क्योंकि शरीर सालों के अपमान और अस्वीकार को एक साथ याद करता है। लेकिन जल्द ही यह स्पष्टता में बदल जाता है। यह बुरे लोगों से दूर होने का दौर होता है।
रजोनिवृत्ति महिलाओं को वह स्वतंत्रता देती है जो युवावस्था में शायद ही मिलती है। इस दौरान रोमांस उम्र के डर से मुक्त हो जाता है और पुरुषों को परखने की बारी अब महिलाओं की होती है।
क्या होता है रजोनिवृत्ति?
रजोनिवृत्ति (Menopause) कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक और सामान्य अवस्था है। इसका सीधा मतलब मासिक धर्म का स्थायी रूप से बंद होना है। यह शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण होता है। इसकी निर्धारित कोई उम्र नहीं है। यह यह 40 से 55 साल की उम्र के बीच हो सकता है, लेकिन औसतन यह 51 साल के आसपास होता है। |
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