आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) ने केवल कामकाजी लोगों का ही जीवन आसान नहीं किया है, बल्कि गृहणियों की जीवनशैली और सोच को भी तेजी से बदल रहा है। अब उन्हें किसी भी मामले में पति या अपने करीबी विशेषज्ञोंसे राय लेने की जरूरत कम पड़ने लगी है। किसी भी जिज्ञासा से लिए वे तुरंत चैट जीपीटी से बेहिचक मश्विरा कर लेती हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
माइक्रोसाफ्ट और लिंक्डइन की 2024 वर्क ट्रेंड इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 92 प्रतिशत कामकाजी लोग एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि वैश्विक औसत 75 प्रतिशत है। इसके अलावा, अमेरिका के बाद भारत ओपनएआइ का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन चुका है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदलाव का सबसे गहरा असर शहरी कामकाजी महिलाओं पर दिख रहा है, जो सरकारी आंकड़ों के अनुसार पुरुषों की तुलना में घर और देखभाल की जिम्मेदारियां अधिक उठाती हैं। एम्स्टर्डम स्थित डिजिटल संस्कृति शोधकर्ता पायल अरोड़ा का कहना है कि ये टूल अब सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि साथी बन गए हैं। ये महिलाओं को उस व्यवस्था में टिके रहने में मदद करते हैं, जहां उनसे परिवार, रिश्तेदार और प्रोफेशनल जिम्मेदारियां एक साथ निभाने की उम्मीद की जाती है।
महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा रहा एआइ
महिलाओं का कहना है कि एआइ के इस्तेमाल से वे ज्यादा शांत, रचनात्मक और नियंत्रित महसूस करती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि जहां नीतियां और सामाजिक मानदंड महिलाओं का बोझ कम नहीं कर पाए, वहां एआइ खाली जगह भर रहा है।
दो बच्चों की मां स्तुति अग्रवाल का कहना है कि मुझे चैट जीपीटी इसलिए पसंद है क्योंकि यह आलोचनात्मक नहीं होता। आप एक पल उदास होने की बात कर सकती हैं और अगले ही पल बच्चे के जन्मदिन के लिए केक बनाने का तरीका पूछ सकती हैं।\“\“
दिल्ली की काउंसलिंग मनोविज्ञानी दिविजा भसीन के अनुसार, छोटे-छोटे मानसिक काम एआइ को सौंपने से तनाव कम होता है और समय बचता है, जो महिलाओं की सेहत के लिए फायदेमंद है। लेकिन, गोपनीयता चिंता का विषय है। पायल अरोड़ा के अनुसार, कई महिलाएं चैटबाट से निजी बातें साझा करती हैं- बच्चों की दिनचर्या, स्वास्थ्य या घर की जानकारी।
दिल्ली के डाटा प्राइवेसी वकील विजयंत सिंह चेतावनी देते हैं कि बच्चे का नाम, स्कूल का समय या स्वास्थ्य संबंधी जानकारी टाइप करते ही जोखिम बढ़ जाता है और डाटा को पूरी तरह वापस पाना आसान नहीं होता। विशेषज्ञों का कहना है कि एआइ को लेकर जिज्ञासा और सावधानी के बीच संतुलन जरूरी है।
(समाचार एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ) |