जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। मां-बेटी से सामूहिक दुष्कर्म करने के पांच दोषी अदालत से भले ही तेजी से निकले हो, लेकिन जिला कारागार की बैरक में पहुंचने के बाद चैन से सो नहीं पाए। पांचों ने खाना भी आधा-अधूरा खाया और देररात तक सजा को लेकर चर्चा करते रहे, कि पता नहीं कौन से कितनी सजा भुगतनी पड़ेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लगभग नौ वर्ष पुरानी दरिंदगी की घटना 20 दिसंबर को पोक्सो कोर्ट ने पांच आरोपितों को दोषी करार दिया। शनिवार की सुनवाई के लिए आरोपित जुबेर उर्फ सुनील उर्फ परवेज और साजिद पुत्र वाहिद जिला कारागार बुलंदशहर से कोर्ट में पेश किया गया था, जबकि धर्मवीर उर्फ राका उर्फ जितेंद्र, नरेश उर्फ संदीप उर्फ राहुल और सुनील उर्फ सागर को हरियाणा की नूह जेल से लाकर अदालत में पेश किया गया।
दोष सिद्ध होने के बाद शाम के समय पांचों को जिला कारागार बुलंदशहर भेज दिया गया। जेल अधिकारियों के मुताबिक पांचों दोषियों को जेल की बैरक संख्या 11 बी में रखा गया। जेल की बैरक में पहुंचते ही नूह से आए तीनों दोषी आपस में और जिला कारगार के दोनों दोषी आपस में बात करने के लिए।
कुछ देर बाद फिर पांचों आपस में घटना और फैसले को लेकर बात करते रहे। शाम को खाना पहुंचा तो पांचों ने खाना भी बिना मन के आधा अधूरा ही खाया। देर रात तक पांचों आपस में बात करते रहे। बैरक के बाहर तक आवाज सुनाई दे रही थी।
सजा आजीवन कारावास होगी या बीस साल या फिर फांसी इसको लेकर आपस में पांचों बात करते रहे। जेलर अशोक का कहना है कि पांचों को बैरक 11 बी में रखा गया और खाना भी दिया गया। जेलकर्मियों ने बताया कि काफी देर तक पांचों बातें करते रहे।
इन धाराओं में इतनी सजा
- धारा-394 में आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की सजा।
- धारा-395 में आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की सजा।
- धारा-397 में कम से कम सात वर्ष की सजा।
- धारा-376-डी में 20 साल कठोर कारावास से आजीवन कारावास तक की सजा।
- धारा-342 में एक साल तक का कारावास और एक हजार रुपये तक का जुर्माना।
- धारा-120बी- दो साल कारावास, आजीवन कारावास या फिर मृत्युदंड की सजा।
- धारा 5/6-पाक्सो में 20 साल की सजा और आजीवन कारावास की सजा।
- धारा-4-25- धारा केवल जुबैर पर लगी थी। इसमें सात वर्ष कारावास की सजा हो सकती है।
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