यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
संवाद सहयोगी, दरभंगा। बिहार चुनाव में करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हार के झटके से उबरने से पहले ही पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद में महासचिव ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इस इस्तीफे को पार्टी के भीतर बढ़ते असंतोष और संगठनात्मक कमजोरी से जोड़कर देखा जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
चुनावी नतीजों के बाद से ही राजद में आत्ममंथन की मांग उठ रही थी, वहीं अब वरिष्ठ पदाधिकारी के इस्तीफे ने पार्टी नेतृत्व की चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि यह फैसला अचानक नहीं, लंबे समय से चल रही अंदरूनी खींचतान का नतीजा है।
राजद का संगठन सदमे से आज तक उबर नहीं पाया
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद जिले में राजद का संगठन सदमे से आज तक उबर नहीं पाया है। चुनाव के बाद एकमात्र नेता राजद अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सामने आए। विभिन्न मुद्दों पर अपना स्टैंड रखा।
केवटी में मिली पराजय की सार्वजनिक समीक्षा कार्यकर्ताओं के साथ की। लेकिन उनके अलावा राजद के जिलाध्यक्ष समेत कोई कार्यकर्ता आज तक सार्वजनिक रूप से सामने तक नहीं आया है। संगठन स्तर पर राजद की यह खामोशी जनता के बीच रहने वाले कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है। कुछ दिन तो वह चुप रहे।
संगठन की अकर्मण्यता को सहन किया, लेकिन अब पानी सिर से ऊपर होते ही वह अध्यक्ष उदय शंकर यादव का साथ छोड़ने लगे हैं। पार्टी के जिला महासचिव और युवा नेता विनीत कुमार वर्मा ने पद से इस्तीफा दे दिया है।
हालांकि उन्होंने अपने पत्र में त्यागपत्र में पद छोड़ने का कारण अपने स्वास्थ्य को बताया है। लेकिन पार्टी सूत्र कह रहे हैं कि उदय शंकर यादव को अध्यक्ष के रूप में जिले में कार्यकर्ताओं ने कभी स्वीकार नहीं किया।
विशेष रूप से पार्टी जब विपक्ष में हो तो जिलाध्यक्ष के रूप में पढ़ा लिखा,पदाधिकारियों के समक्ष दमदार ,तर्कपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने और सांगठनिक क्षमता वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है। लेकिन ने जब इसकी अनदेखी की ,तो उसे इसका खमियाजा भुगतना भी पड़ा। |