बाल विवाह मुक्त भारत कार्यक्रम। फाइल फोटो
संवाददाता जागरण, दुमका। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने चार दिसंबर को पूरे देश में बाल विवाह मुक्त भारत कार्यक्रम की शुरुआत की है। केंद्र सरकार वर्ष 2030 तक पूरे भारतवर्ष को बाल विवाह मुक्त घोषित करने का निर्णय लिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शुक्रवार को उपायुक्त अभिजीत सिन्हा ने इस विषय पर बैठक की। उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि पंचायत से लेकर जिला स्तर तक व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाए, ताकि समाज के हर वर्ग तक बाल विवाह के दुष्परिणामों और कानूनी प्रावधानों की जानकारी पहुंच सके।
उपायुक्त ने बताया कि जागरूकता अभियान के अंतर्गत सहिया सेविका, एएनएम, जेएसएलपीएस से जुड़े स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं सहित सभी फ्रंटलाइन वर्कर वचन पत्र भरकर वार्ड सदस्य को समर्पित करेंगे।
इस वचन पत्र में यह संकल्प लिया जाएगा कि वे अपने घर में 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों तथा 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों की शादी नहीं करेंगे और न ही अपने आस-पड़ोस में किसी भी प्रकार के बाल विवाह को होने देंगे।
वार्ड सदस्य एकत्रित वचन पत्र पंचायत के मुखिया को सौंपेंगे। पंचायत स्तर पर मुखिया एवं पंचायत सचिव अपने मैरिज एवं माइग्रेशन रजिस्टर में होने वाली सभी शादियों का नियमित लेखा-जोखा रखेंगे।
रजिस्टर में किसी भी विवाह को दर्ज करने से पूर्व मुखिया एवं पंचायत सचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि संबंधित विवाह बाल विवाह की श्रेणी में नहीं आता है, इसके बाद ही उसे अंकित किया जाएगा।
उपायुक्त ने कहा कि यदि विगत एक वर्ष में किसी पंचायत में किसी भी प्रकार का बाल विवाह नहीं होता है, तो उस पंचायत के मुखिया एवं पंचायत सचिव को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बाल विवाह कराने वाले माता-पिता सहित इसमें शामिल सभी लोगों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर 2 वर्ष तक की सजा एवं ₹1,00,000 तक के जुर्माने का प्रावधान है। |