बुलंदशहर में प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुई नरौरा की आर्द्रभूमि, फ्लेमिंगो की प्रतीक्षा

cy520520 2025-12-27 22:27:38 views 189
  



जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। उत्तर भारत में शीत ऋतु के आगमन के साथ ही नरौरा की आर्द्रभूमि एक बार फिर प्रवासी पक्षियों के आगमन से गुलजार होने लगी है। वन विभाग द्वारा विभिन्न 40 प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों के आगमन की पुष्टि की गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

नरौरा के गंगा बेसिन में प्रतिवर्ष सर्दियों के प्रारंभ में प्रवासी पक्षियों का आना प्रारंभ हो जाता है। यह सभी प्रवासी पक्षी अधिक बर्फीले इलाकों में प्रजनन काल की समाप्ति के बाद हजारों मील की दूरी तय कर भोजन व ठहरने की तलाश मे यहां आते हैं।

नवंबर से मार्च के शीतकालीन मौसम के दौरान यहां प्रवासी पक्षियों की सक्रियता अपने चरम पर रहती है। प्रत्येक वर्ष लगभग 40 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी नरोरा आर्द्रभूमि में आते हैं।

वन क्षेत्राधिकारी मोहित सिंह ने बताया कि 26 दिसंबर 2025 को जंतु विशेषज्ञ डॉ अनिल कुमार द्वारा किए गए क्षेत्रीय सर्वेक्षण में जलाशय, दलदली क्षेत्रों तथा सरकंडों के बीच बड़ी संख्या में पक्षियों को भोजन खोजते और विश्राम करते हुए देखा गया।

पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में पक्षी विविधता का अध्ययन कर रहे जंतु विशेषज्ञ डॉ अनिल कुमार के अनुसार इस वर्ष नरौरा के आर्द्रभूमि में बार-हेडेड गूज (कलहंस), नॉर्दर्न पिंटेल, कॉमन टील, गैडवॉल, कॉमन पोचार्ड, टफ्टेड डक, यूरेशियन कूट, रिवर टर्न, पैलस गल, ब्राउन-हेडेड गल, वेस्टर्न मार्श हैरियर पक्षी मध्य एशिया, साइबेरिया, मंगोलिया तथा यूरोप के ठंडे क्षेत्रों से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर पहुंचे हैं।

वनस्पति विशेषज्ञ बृजेश कुमार ने बताया कि नरौरा आर्द्रभूमि में पाई जाने वाली देशी जलीय एवं तटीय वनस्पतियां जैसे टाइफा, फ्रैग्माइट्स, तथा साइपरस रहित प्राकृतिक घास प्रजातियां प्रवासी पक्षियों को आश्रय, भोजन और प्रजनन के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करती हैं।

उन्होंने बताया कि यदि आर्द्रभूमि की प्राकृतिक वनस्पति संरचना बनी रहती है तो यह क्षेत्र भविष्य में और अधिक दुर्लभ पक्षी प्रजातियों को आकर्षित कर सकता है।
ग्रेटर फ्लेमिंगो के पुनः आगमन की उम्मीद

नरौरा आर्द्रभूमि के लिए फरवरी 2024 में ग्रेटर फ्लेमिंगो की एक जोड़ी का दिखना एक विशेष और दुर्लभ घटना थी। हालांकि वर्तमान शीतकाल में अब तक इनका अवलोकन नहीं हो पाया है। फिर भी पक्षी विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि 2026 की शुरुआत में यदि जलस्तर और भोजन की उपलब्धता अनुकूल रही तो फ्लेमिंगो पुनः इस क्षेत्र में आ सकते हैं।
संरक्षण की आवश्यकता

क्षेत्रीय वन अधिकारी मोहित चौधरी ने बताया कि प्रवासी पक्षियों का नियमित आगमन नरौरा की आर्द्रभूमि के पारिस्थितिक महत्व को दर्शाता है। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण, मानवीय हस्तक्षेप में कमी और आर्द्रभूमि संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया।

गंगा नदी तंत्र में नरौरा आर्द्रभूमि प्रवासी पक्षियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण शीतकालीन आवास है। शीतकाल अभी जारी है और आने वाले महीनों में और अधिक प्रवासी पक्षियों के आगमन की संभावना बनी हुई है, जिससे नरौरा आर्द्रभूमि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख पक्षी स्थलों में अपनी पहचान बनाए हुए है।
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