अपने-अपने राम की कथा के लिए कानपुर पहुंचे कुमार विश्वास, कहा-कर्म पर विश्वास करना ही होता है सच्ची भक्ति

cy520520 2025-12-28 01:27:37 views 671
  

सीएसए मैदान में श्री महाराजा अग्रसेन जयंती समिति द्वारा आयोजित अपने-अपने राम कार्यक्रम में बोलते डा. कुमार विश्वास । जागरण



जागरण संवाददाता, कानपुर। कवि व लेखक डा. कुमार विश्वास ने कहा कि कैकई राम कथा के लिए उत्प्रेरक हैं। कैकई बुरी नहीं, वह शिव तत्व है। कैकई ने लोक कल्याण के लिए राम को वनवास भेजा था। हर परिवार में शिव तत्व होता है, वह बहुधा मां के रूप में होता है। सब कुछ बुरा-भला सुनने के बाद भी परिवार का कल्याण चाहती हैं। जिस घर में लक्ष्मण और भरत जैसे भाई होते हैं, वही राम की नगरी अयोध्या है और जिस घर में सुई की नोंक के बराबर भी जमीन न देने की बात करने वाले हो तो समझ लेना कि महाभारत तय है। कर्म पर विश्वास करना ही सच्ची भक्ति है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

श्री महाराजा अग्रसेन जयंती समिति के तत्वावधान में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में अपने-अपने राम की कथा के दूसरे दिन शनिवार को उन्होंने कहा कि जीवन में अचानक कष्ट आ जाएं तो दुखी नहीं होना चाहिए, समझना चाहिए कि कुछ अच्छा होने वाला है। राम का वन जाना इस बात की प्रतीक है कि जीवन में सुख और दुख आते-जाते हैं। भगवान खुद कष्ट सह सकते हैं, लेकिन भक्त को नहीं सहने देते हैं। कलियुग में देवता और दानव दोनों एक ही शरीर में रहते हैं। बस उन्हें पहचानना है।

  
ज्ञान ऐसा होना चाहिए जिसमें चिंता न हो

उन्होंने कहा, जीवन में अपने सभी कर्म ईमानदारी से पूरे करते हुए शरीर छूटता है तो समझिए मोक्ष मिल गया। शरीर छूटते समय कुछ चिंता रही व कुछ काम न करने का मलाल रहा तो नर्क मिलता है। इसलिए चाहे जैसी स्थित हो कर्म करते रहना चाहिए। ज्ञान ऐसा होना चाहिए जिसमें चिंता न हो। ज्ञान का मतलब ही ईश्वर तक पहुंचना होता है। लंका में लक्ष्मण मूर्छित पड़े थे और हनुमान संजीवनी लेकर जा रहे थे। भरत ने अयोध्या के ऊपर से उन्हें जाते देखा तो बाण मारकर गिरा लिया। पता चलता है कि वह तो राम के दूत हनुमान है तो सभी बारी-बारी से उनके बारे में पूछने लगते हैं।

  
पति की चिंता मैं क्यों करूं, वह बड़े भाई राम की गोद में पड़े हैं

बाद में लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला हनुमान से कहती है को थोड़े फल खाकर जाइएगा तो हनुमान के मन में शंका आती है। वह बिना शंका के समाधान के अयोध्या से जाना नहीं चाहते। उर्मिला से पूछते हैं कि आप के पति मूर्च्छा में पड़े हैं और फल खाकर जाने के लिए कह रही हैं, आपको तो अपने पति के जीवन की चिंता होनी चाहिए। इस पर उर्मिला ने कहा कि मेरे पति की चिंता मैं क्यों करूं, वह बड़े भाई राम की गोद में पड़े हैं, ऐसे में महाकाल भी उन्हें वहां से नहीं ले जा सकता। जेठ पर ऐसा भरोसा, कुछ समय पहले अपने घरों में भी यही स्थिति थी।

  
परिवार में एक दूसरे पर भरोसा रहता था

परिवार में एक-दूसरे पर इतना भरोसा रहता था। बड़े बोलते थे तो छोटों के बोलने की हिम्मत नहीं होती थी। अब पश्चिम से हम क्या सीख रहे हैं। बच्चों को क्या संस्कार दे रहे हैं। अगर पिता अपने बेटे को किसी बात पर डांट देता है तो मां उनसे कहती है कि बेटे का गुस्सा शांत कर दो, कहीं ऐसा न हो कि अवसाद में आ जाए। परिवारों में संवाद खत्म हो रहे हैं। सात जन्मों तक साथ निभाने का वाद कर सात फेरे लेने वाली पत्नी कोर्ट में इसलिए तलाक मांगने लगती हैं कि पति खर्राटे भरता है। छोटे भाई पर मुकदमा कर कथा सुनना किस काम का, ऐसे लोग तर्क देते हैं कि वह लक्ष्मण की तरह नहीं है। कभी खुद के मन में झांका है कि तुम भी तो राम की तरह नहीं हो। राम धर्म हैं तो सीता शांति है। बिना शांति के धर्म नहीं बचेगा। इस अवसर पर उन्नाव के सदर विधायक पंकज गुप्ता, रश्मि गुप्ता, योगेश अग्रवाल, समिति अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल, महामंत्री मनीष दर्पण, संयोजक अभिषेक अग्रवाल, आरएसएस के प्रांत प्रचारक श्रीराम, मुकुंद मिश्रा और ज्ञानेन्द्र विश्नोई मौजूद रहे।
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