LHC0088 • 2025-12-28 02:57:14 • views 710
प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। अक्सर पुलिस की भूमिका कानून पालन कराने तक सीमित दिखती है, लेकिन बृहस्पतिवार की दोपहर विजयनगर पुलिस ने यह धारणा बदल दी। चौराहे पर वाहन चैकिंग कर रही टीम एक सूचना पर जांच की नहीं, जिंदगी बचाने की दिशा में दौड़ पड़ी। एक बंद कमरे में फंदे पर झूलती सांसों को लौटाने की यह कहानी पुलिस के मानवीय चेहरे की मिसाल बन गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
लोहे का दरवाजा अंदर से था बंद
25 दिसंबर को विजयनगर थाना क्षेत्र के टी-प्वाइंट पर दारोगा सतीश धामा, अशोक कुमार और संजीव कुमार चैकिंग अभियान में जुटे थे। तभी एक महिला घबराई हालत में पुलिस के पास पहुंची और बताया कि उनके 25 वर्षीय भाई हीरो ने घर के अंदर फांसी लगा ली है और कमरा भीतर से बंद है। सूचना मिलते ही तीनों पुलिसकर्मी महिला के साथ शिवपुरी गली नंबर छह स्थित मकान पर दौड़ पड़े। कमरे का लोहे का दरवाजा अंदर से बंद था।
युवक लगभग अचेत हो गया
पुलिस ने उसे तोड़ने की कोशिश की, लेकिन सफल न होने पर खिड़की तोड़कर एक बच्चे को कमरे के अंदर भेजा गया। बच्चे ने कुंडी खोली तो पुलिसकर्मियों ने बिना समय गंवाए फांसी का फंदा काट दिया और युवक को नीचे उतारा। युवक हीरो पूरी तरह अचेत था। दारोगा सतीश धामा के मुताबिक उन्होंने अन्य दारोगा के साथ मिलकर युवक को करीब 10 मिनट तक सीपीआर दिया जिससे उसकी धड़कन वापस आ गई। जब उन्होंने उसे फंदे से उतारा था उस समय युवक लगभग अचेत हो गया था।
पुलिसकर्मी किए जाएंगे पुरस्कृत
इसके बाद युवक को प्रताप विहार के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उपचार के बाद अब उसकी हालत पूरी तरह सामान्य और स्थिर बताई जा रही है। जांच में सामने आया कि युवक ने घरेलू कलह और मानसिक तनाव के चलते यह कदम उठाया था। एसीपी कोतवाली रितेश त्रिपाठी ने बताया पुलिसकर्मियों ने बेहतर काम किया है इसलिए उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।
यह भी पढ़ें- गूगल मैप से जुड़ेगा गाजियाबाद का ट्रैफिक सिस्टम, मिलेगा रियल-टाइम स्पीड अलर्ट |
|