राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। यमुना में झाग समाप्त करने के लिए रसायन का छिड़काव बंद कर दिया गया है। मध्य अक्टूबर से हो रहे छिड़काव का पर्यावरणविद विरोध कर रहे थे। लंबे समय तक छिड़काव से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचने का तर्क देकर इसे बंद करने की मांग की गई थी। छिड़काव तो रोक दिया गया है, परंतु नदी में प्रदूषण की स्थिति बनी हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कालिंदी कुंज के पास यमुना में झाग की समस्या उत्पन्न होती है। सतह पर जहरीला झाग तैरता रहता है। पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली जल बोर्ड छठ पूजा के समय झाग हटाने के लिए रसायन का छिड़काव करता है। पहले कुछ दिनों के बाद इसे बंद कर दिया जाता था। इस बार 15 अक्टूबर से लगातार छिड़काव हो रहा था। पर्यावरणविद इसे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नुकसानदायक बताकर नदी को साफ करने के लिए स्थायी कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
अर्थ वारियर्स के संस्थापक पंकज कुमार ने पिछले सप्ताह डीपीसीसी, उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसके नुकसान की जानकारी देकर बंद करने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में लिखा कि कई अध्ययन से यह स्पष्ट है कि सिलिकान आधारित डिफार्मर का अत्यधिक उपयोग गंभीर नुकसान पहुंचाता है।
लगातार छिड़काव से नदी की सतह पर हाइड्रोफोबिक फिल्म की परत बनने से पानी में आक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे जलीय जीव को नुकसान पहुंचता है। पानी के साथ मिट्टी भी प्रदूषित होती है। उनका कहना है कि शिकायत के बाद पिछले पांच दिनों से छिड़काव तो बंद कर दिया गया है लेकिन, बड़ी मात्रा में रसायन नदी के किनारे उड़ेल दिया गया है। यह नुकसानदायक है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि यमुना में प्रदूषण का मुख्य कारण पानी की कमी और नालों से गिरने वाली गंदगी है। प्रदूषण दूर करने के लिए पानी का प्रवाह बढ़ाने के साथ ही नदी में गिरने वाली गंदगी को रोकना होगा। डीपीसीसी को नदी में प्रदूषण से संबंधित आंकड़े भी नियमित रूप से जारी करना चाहिए। अक्टूबर के बाद न तो यमुना और न ही इसमें गिरने वाले नालों के प्रदूषण के आंकड़े जारी किए गए हैं।
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