प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। गुरुवार की शाम ढल चुकी थी। सड़क पर गाड़ियों की आवाजाही कम हो चली थी और दिसंबर की ठंड धीरे-धीरे तेज हो रही थी। तभी अचानक पीछे से आई एक बाइक ने थार गाड़ी को ओवरटेक किया। हाथ देकर रुकने का इशारा हुआ। अगले ही पल गालियों की आवाज और फिर हथियार लहराता हुआ हमलावर दिखाई दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह कोई आम टकराव नहीं था, बल्कि गवाह को खामोश कराने की कोशिश थी लेकिन, पुलिस से अभी तक कोई हमलावर हाथ नहीं लगा है। घटना की साजिश जेल में रची जाने की संभावना लग रही है। 25 दिसंबर की शाम करीब 7:15 बजे नया मुरादाबाद निवासी अजय कुमार को शायद अंदाजा भी नहीं था कि अनुज हत्याकांड में गवाही देना उनकी जिंदगी के लिए इतना बड़ा खतरा बन जाएगा।
अजय कुमार अपने साथी सैफ अली के साथ बिजनौर की ओर जा रहे थे। किसी कारण से वापस लौटते हुए जब वह छजलैट थाना क्षेत्र में किशनपुर के पास मोड़ पर पहुंचे, तभी पीछे से बाइक सवार दो युवक आ धमके। पीड़ित की प्राथमिकी के मुताबिक बाइक सवारों ने गाली देते हुए हथियार तान दिए और साफ कहा कि अगर उसने अनुज के मुकदमे में पैरवी और गवाही नहीं रोकी, तो उसे भी उसी तरह मार दिया जाएगा।
धमकी के साथ ही फायरिंग शुरू हो गई। एक गोली थार गाड़ी की ड्राइवर साइड वाली खिड़की पर लगी, दूसरी सामने शीशे के ऊपर। गोलियों की आवाज से सड़क पर सन्नाटा छा गया। जान बचाने के लिए अजय कुमार और उनके साथी गाड़ी छोड़कर पास के गन्ने के खेत में भागे और वहीं छिपकर 112 पर काल कर पुलिस से मदद मांगी।
कुछ ही मिनटों में पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक हमलावर फरार हो चुके थे। इस घटना ने मुरादाबाद में गवाहों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अनुज हत्याकांड कोई मामूली मामला नहीं है। इसके बावजूद मुख्य गवाह को कोई सुरक्षा नहीं दी गई। न तो पुलिस की निगरानी थी और न ही किसी तरह का प्रोटेक्शन था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर हत्या के मामलों में गवाही देने वालों की जान ही सुरक्षित नहीं होगी तो इंसाफ की उम्मीद कैसे की जा सकती है। यह हमला सिर्फ अजय कुमार पर नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था पर सीधा हमला है। मामले में एक और गंभीर पहलू सामने आ रहा है।
पुलिस अनुसार जांच इस बिंदु पर भी हो रही है कि क्या जेल में बंद आरोपितों ने बाहर बैठे अपने साथियों के जरिए यह हमला कराया। जेल से हुई कॉल, मुलाकातों और संपर्कों की जांच जरूरी मानी जा रही है। इससे पहले भी ऐसे मामलों में जेल से ही साजिश रचने के आरोप लगते रहे हैं।
घटना के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक हमलावरों की पहचान या गिरफ्तारी को लेकर कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है। फायरिंग में इस्तेमाल हथियार, बाइक और रास्तों की सीसीटीवी फुटेज की जांच की बात कही जा रही है, लेकिन नतीजे अभी इंतजार में हैं।
पीड़त ने पुलिस से मांग की है कि नामजद सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त धाराओं में कार्रवाई हो, उन्हें और उनके परिवार को तत्काल सुरक्षा दी जाए और जेल में बंद आरोपितो के नेटवर्क की गहराई से जांच कराई जाए। गवाही के लिए अदालत तक पहुंचना आसान नहीं होता, और जब गवाही की कीमत जान से चुकानी पड़े, तो डर और भी गहरा हो जाता है। घटना ने यह सवाल छोड़ दिया है कि क्या गवाह सच बोल पाएंगे या गोलियों का डर उन्हें खामोश कर देगा ?
एक पुरानी हत्या से जुड़ा है यह हमला
यह हमला अचानक नहीं था। अजय कुमार अनुज हत्याकांड में गवाह और पैरोकार हैं। उसी केस की परछाईं इस फायरिंग में साफ दिखाई देती है। पीड़ित ने अपनी तहरीर में कमलवीर को इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता बताया है। अजय कुमार का कहना है कि कमलवीर इस समय जेल से बाहर है, जबकि उसके साथी ललित कौशिक, अमित, मोहित, प्रभाकर, अनिकेत और पुष्पेन्द्र अनुज की हत्या के मामले में पहले से जेल में बंद हैं। सभी को डर है कि अगर गवाही पूरी हुई, तो सजा तय है। इसी डर ने गवाह को निशाना बना दिया।
मलावरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके आगे की कार्रवाई की जा रही है। यह भी देखा जा रहा है कि कहीं जेल में तो यह साजिश नहीं रची गई है। जांच में जो दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
- प्रदीप मलिक, थाना प्रभारी, छजलैट
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