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कौन हैं कनोरिया ब्रदर्स, जिनके SREI Group पर लगा PNB के साथ 2434 करोड़ का फ्रॉड करने का आरोप; कभी चलाते थे आटा मिल

Chikheang 4 hour(s) ago views 57
  

1989 में हुई थी श्रेई ग्रुप की शुरुआत



नई दिल्ली। सरकारी पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) ने शुक्रवार को बैंकिंग सेक्टर रेगुलेटर, भारतीय रिजर्व बैंक को श्रेई इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड (SEFL) और श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड (SIFL) के पूर्व प्रमोटरों द्वारा किए गए 2,434 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड की जानकारी दी।
ये दोनों कंपनियां, जिन पर 32,700 करोड़ रुपये का फाइनेंशियल कर्ज था, इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत रेजोल्यूशन प्रोसेस से गुजरीं और नए प्रमोटर नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) ने दिसंबर 2023 में इन्हें खरीद लिया। आगे जानिए कौन इन कंपनियों का फाउंडर। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कौन हैं कनोरिया ब्रदर्स?

श्रेई ग्रुप की शुरुआत हेमंत कनोरिया और सुनील कनोरिया ने की थी और वे ही इसे लीड कर रहे थे, जिसमें हेमंत चेयरमैन थे। कनोरिया पश्चिम बंगाल अपने परिवार की दो आटा मिलें चलाते थे। परिवार के बिजनेस से बाहर निकलने के बाद, उन्होंने अपने भाई सुनील कनोरिया के साथ मिलकर कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए एक फाइनेंसिंग कंपनी शुरू की।
कब हुई थी श्रेई ग्रुप की शुरुआत?

सुनील ने 1989 में अपने भाई हेमंत कनोरिया के साथ मिलकर श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड की शुरुआत की। रिपोर्ट के अनुसार एक समय श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस ने भारत में एक इंफ्रास्ट्रक्चर इक्विपमेंट फाइनेंस कंपनी के तौर पर 30% से ज्यादा मार्केट शेयर हासिल कर लिया था।
BNP पारिबा के साथ जॉइंट वेंचर

कनोरिया बंधुओं ने BNP पारिबा के साथ 50:50 जॉइंट वेंचर स्थापित किया, जिसका फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर इक्विपमेंट और प्रोजेक्ट्स की लीजिंग और फाइनेंसिंग पर था। फिर, 2009 में उन्होंने टाटा टेलीसर्विसेज के साथ एक जॉइंट वेंचर बनाया, जिसके नतीजे में वियोम नेटवर्क्स, एक टेलीकॉम टावर कंपनी बनी।
बाद में 2016 में, Viom नेटवर्क्स में श्रेई की हिस्सेदारी अमेरिकन टावर कॉर्पोरेशन ने खरीद ली।
अक्टूबर 2021 में बोर्ड को हटाया

अक्टूबर 2021 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने SIFL और इसकी फुली सब्सिडियरी SEFL के बोर्ड को हटा दिया था। कोलकाता की कनोरिया फैमिली पहले SIFL और SEFL, इन दोनों कंपनियों को कंट्रोल करती थी, जब तक कि RBI ने मिसमैनेजमेंट के आरोप में उनके बोर्ड को हटा नहीं दिया और इसके बाद दिवालिया कार्रवाई शुरू की।
PNB ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा है कि बैंक ने SEFL और SIFL के पुराने प्रमोटरों के खिलाफ RBI को 1,240.94 करोड़ रुपये और 1,193.06 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड के मामला के बारे में बताया है।

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