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महाकुंभ से वंदे मातरम के 150 वर्ष तक, भारत के लिए सांस्कृतिक उपलब्धियों से भरा रहा 2025

deltin33 2025-12-30 21:57:23 views 626
  

2025 में भारत की सांस्कृतिक विरासत ने रचा इतिहास  



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2025 भारत भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के उत्सव का वर्ष रहा। इस साल जहां प्रयागराज महाकुंभ में \“कलाग्राम\“ के माध्यम से देश की मूर्त-अमूर्त धरोहर का भव्य प्रदर्शन हुआ, तो वहीं, नवंबर में \“वंदे मातरम\“ के 150 वर्ष पूरे होने पर साल भर चलने वाले समारोह का शुभारंभ हआ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

साल 2025 का शानदार अंत दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होने से हुआ। वहीं, मराठा सैन्य परिदृश्य को विश्व धरोहर का दर्जा मिला। कुल मिलाकर संस्कृति मंत्रालय का 2025 का कार्यक्रम कार्यक्रमों से भरा हुआ था।

संस्कृति मंत्रालय ने \“ज्ञान भारतम\“ पोर्टल लॉन्च कर हस्तलिखित विरासत को डिजिटल रूप दिया और बुद्ध अवशेषों की विदेशी प्रदर्शनियों से सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूत किया।

  

जनवरी-फरवरी के दौरान प्रयागराज महाकुंभ में बने तंबू शहर में \“कलाग्राम\“ के माध्यम से महाकुंभ में भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान 10.24 एकड़ के विशाल क्षेत्र में स्थापित, \“कलाग्राम\“ को एक संवेदी यात्रा के रूप में डिजाइन किया गया था।

  

यह भारत की सांस्कृतिक विरासत के मूर्त और अमूर्त पहलुओं को एक साथ लाता है। इसके साथ ही इस खास अवसर को चिह्नित करने के लिए विभिन्न केंद्रीय संरक्षित स्मारकों पर महाकुंभ का लोगो प्रदर्शित किया गया।

संस्कृति मंत्रालय ने नवंबर में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में साल भर चलने वाले समारोहों की शुरुआत की। भोपाल में एक भव्य समारोह के साथ अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती मनाई और देश भर में सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती मनाई।

  
यूनेस्कों से मिली दो उपलब्धियां

इस वर्ष 2025 में देश को उपलब्धियां मिली। पहला पुरस्कार \“भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य\“ के लिए दिया गया, जिसे जुलाई में पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र के दौरान विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था।

दूसरी यह कि 10 दिसंबर को दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया।यह भारत की 16वीं ऐसी वस्तु थी जिसे मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया।

  

इसके अलावा दिसंबर में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए अंतरसरकारी समिति का 20वां सत्र दिल्ली के लाल किले में आयोजित किया गया। यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। नवंबर में नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए अवशेषों का एक हिस्सा थिम्फू में 17 दिवसीय सार्वजनिक प्रदर्शनी के लिए भूटान ले जाया गया था।

संस्कृति मंत्रालय के लिए 2025 एक महत्वपूर्ण इसलिए भी था क्योंकि सितंबर में भारत की हस्तलिखित विरासत को संरक्षित करने, डिजिटाइज करने और प्रसारित करने की एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय पहल \“ज्ञान भारतम\“ का शुभारंभ किया गया था।

12 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ किया। इसमें विकसित भारत 2047 की भावना के अनुरूप भारत की हस्तलिखित विरासत की रक्षा और पुनरुद्धार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई है।

अब आगामी 2026 में सरकार श्रीलंका में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की एक प्रदर्शनी आयोजित करने की योजना बना रही है। फरवरी में कोलंबो में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी आयोजित करने की योजना है।
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