जागरण संवाददाता, इटावा। Weather Updates: शीतलहर और गलनभरी सर्दी के बीच मंगलवार को न्यूनतम तापमान में 2.2 डिग्री की कमी आने और दोपहर एक बजे तक धुंध और बदली छाए रहने से लोग घरों के अंदर कंपकपाते रहे। मंगलवार को न्यूनतम तापमान 6.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सोमवार की अपेक्षा 2.2 डिग्री सेल्सियस कम रहा। धुंध छंटने पर दोपहर एक बजे के बाद धूप जरूर निकली लेकिन हवाओं में ठंडक रहने की वजह से लोग दोपहर होने तक आग जलाए बैठे रहे। सर्दी से खुद को बचाने के लिए पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। कुल मिलाकर पिछले करीब एक पखवाड़े से पड़ रही कड़ाके की सर्दी ने लोगों को कंपकपा रखा है।
आधा दिसंबर माह तक सुबह से लेकर शाम ढलने तक धूप रहने की वजह से सुबह- शाम पड़ने वाली सर्दी के बाद 18 दिसंबर से घना कोहरा, शीतलहर चलने से गलन भरी सर्दी ने ऐसा जोर पकड़ा जो अभी तक बरकरार है। इस दौरान न्यूनतम तापमान में इतनी गिरावट देखने को मिली कि इटावा प्रदेश में पहले और दूसरे नंबर पर जा पहुंच गया था। इस दौरान न्यूनतम तापमान छह से सात डिग्री के आसपास ही बना रहा। इस बीच 29 दिसंबर को जरूर न्यूनतम तापमान 8.8 डिग्री पहुंचा, लेकिन 24 घंटे बीतने के बाद 2.2 डिग्री सेल्सियस की गिरावट होने और सर्द हवाओं ने लोगों को हिलाकर रख दिया है।
मौसम विज्ञानी डा.एसएन सुनील पांडेय के अनुसार उत्तर भारत में बारिश और बर्फबारी और कोहरे की स्थिति बनी हुई है। इस वजह से तापमान में उतार चढ़ाव बना रहेगा। जनवरी की शुरूआत में सर्दी बढ़ने की संभावना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ऊसराहार में आलू की फसल में छिड़काव करता किसान। जागरण
फसलों को रोगों से बचाने की सलाह
सर्दी में तापमान निरंतर कम रहने से आलू, टमाटर एवं शाकभाजी फसलों में रोगों की संभावना बनी हुई है। गुणवत्तायुक्त उपज लेने के लिए रोगों से नियंत्रण किया जाना आवश्यक है। ऐसे वातावरण में आलू की पिछेती फसल में झुलसा रोग होने की संभावना अधिक है। खासतौर पर बदली युक्त 80 प्रतिशत से अधिक नम वातावरण एवं 10-20 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर रोग का प्रकोप तेजी से होता है। ऐसी स्थिति में जिला उद्यान अधिकारी श्याम सिंह ने किसानों को इस मौसम में फसलों को राेगों से बचाने के लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी है।
ये है रोग की पहचान
झुलसा रोग की पहचान पत्तियां सिरे से झुलसना शुरू होना एवं भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं। पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंदी दिखाई देती है। इससे बचने के लिए आलू, टमाटर की फसल को अगेती व पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए कार्बेडाजिम 12 प्रतिशत मैंकोजेब 63 प्रतिशत डब्लूपी दवा का 2.5 से 3.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। अथवा प्रोपिनेब 63 प्रतिशत डब्लूपी दवा का 2.5 से 3.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर दोनों में से किसी एक दवा का घोल बनाकर छिड़काव करें।
ऐसे बचाएं पाले से
पाले से बचाने के लिए आवश्यकतानुसार फसलों में नमी बनाये रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करें। पौधशाला के छोटे पौधों को पाले, कोहरे से बचाये जाने के लिए उद्यानों को पालीथीन अथवा बोरा से ढंकें।
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