संजय झा, देवेश चंद्र ठाकुर व जीतन राम मांझी। जागरण आर्काइव
राज्य ब्यूरो, पटना। राबड़ी देवी का कोई उल्लेख किए बिना राजद अब बंगले की राजनीति को उस मोड़ पर लाना चाह रहा, जहां पहुंचकर सत्तारूढ़ एनडीए के दिग्गज भी ठिठक जाते हैं।
भवन निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. नवल किशोर यादव ने यह जानने की इच्छा प्रकट की है कि आखिर किस कारण और किस नियम के अंतर्गत जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और सांसद देवेश चंद्र ठाकुर पटना में सरकारी बंगले पर अभी तक काबिज है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह प्रश्न केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के संदर्भ में भी है, जिनकी बहू (दीपा मांझी) को सेंट्रल पुल का बंगला आवंटित है, जबकि वे विधायक मात्र हैं।
प्रश्न यह कि क्या दीपा को वह बंगला नियमानुसार आवंटित हो सकता है? क्या वरीयता इसकी अनुमति देती है? ये सभी बंगले आखिर कब तक खाली होंगे, क्या इसके लिए कोई समय-सीमा निर्धारित है?
नवल किशोर ने लिखा है कि संजय और देवेश को क्रमश: मंत्री और विधान परिषद के सभापति के नाते पटना में सेंट्रल पुल का बंगला आवंटित हुआ था।
क्या 10 गुना राशि का कर रहे भुगतान
अब दोनों उस हैसियत मेंं नहीं रहे, लिहाजा क्या बंगले में बने रहने के लिए वे अनुमानित किराये की दस गुना राशि का भुगतान कर रहे?
अगर नहीं तो किस रसूख से वे बंगले में जमे हुए हैं? क्या वहां कोई तहखाना तो नहीं, जिसे छुपाने के मोह में वे बंगला खाली नहीं कर रहे?
उल्लेखनीय है कि जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार राबड़ी देवी के सरकारी बंगले (10, सर्कुलर रोड) में तहखाने की आशंका प्रकट कर चुके हैं।
वह बंगला पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से राबड़ी देवी को आवंटित हुआ था, जिन्हें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से अब 39, हार्डिंग रोड में शिफ्ट होने का नोटिस मिल चुका है।
10, सर्कुलर रोड को खाली करने की समय-सीमा 25 दिसंबर को ही समाप्त हो गई है, फिर भी राबड़ी वहां बनी हुई हैं। |