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Year Ender 2025: आगरा में विकास की रफ्तार, पांच मेट्रो स्टेशन और यमुना नदी पर पुल से बदली तस्वीर

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आगरा का मेट्रो स्टेशन।



जागरण संवाददाता, आगरा। उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) की टीम ने वर्ष 2025 में पांच मेट्रो तैयार कर लिए हैं। आरबीएस कालेज मैदान से बिजलीघर चौराहा तक टनल के निर्माण में तीन माह की देरी हुई। सबसे पहले मोती कटरा क्षेत्र में मकान धंस गए। जब किसी तरीके से इस समस्या से निजात मिली तो बिजलीघर रेलवे पुल पर कार्य बंद हो गया। रेलवे द्वारा अनुमति न देने के कारण एक माह तक कार्य बंद रहा। नवंबर में टनल का निर्माण पूरा हुआ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मेट्रो के दो कॉरिडोर

शहर में मेट्रो के दो कारिडोर हैं। 27 में छह स्टेशनों पर मेट्रो का संचालन हो रहा है। वहीं यमुना नदी पर 200 करोड़ रुपये से पुल का निर्माण हो रहा है। एमजी रोड और नेशनल हाईवे-19 पर एलीवेटेड मेट्रो ट्रैक तेजी से बन रहा है। संयुक्त महाप्रबंधक जनसंपर्क पंचानन मिश्र ने बताया कि 30 किमी लंबे कारिडोर पर तेजी से कार्य चल रहा है।

जनवरी के दूसरे सप्ताह से खंदारी रैंप से लेकर बिजलीघर चौराहा तक मेट्रो का परीक्षण शुरू हो होगा। दो माह तक चलने वाले परीक्षण में चार मेट्रो का प्रयोग किया जाएगा। अप्रैल से पांच स्टेशनों को चालू किया जाएगा। सिकंदरा तिराहा से लेकर टीडीआइ माल तक पहला कारिडोर 14 और आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से कालिंदी विहार तक दूसरा कारिडोर 16 किमी लंबा है।


विजन-2047 में 100 किमी लंबी मेट्रो का प्रस्ताव

यूपीएमआरसी ने हाल ही में विजन-20247 का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है। इसमें 100 किमी लंबी मेट्रो का प्रस्ताव है। वर्ष 2035 तक 65 किमी का निर्माण होगा। मेट्रो का विस्तार होने से जाम की समस्या पर अंकुश लगेगा।


उत्तरी बाइपास में भर सकते हैं फर्राटा

तीन साल पूर्व शुरू हुए उत्तरी बाइपास का निर्माण पूरा हो गया है। नेशनल हाईवे-19 स्थित रैपुरा जाट से लेकर मिडावली हाथरस तक 14 किमी लंबा बाइपास 400 करोड़ रुपये से बना है। बाइपास बनने से सिकंदरा चौराहा पर वाहनों का दबाव कम होगा। रैपुरा जाट से खंदौली पहुंचने में 15 मिनट लगेंगे। बाइपास से यमुना एक्सप्रेसवे में भी पहुंचने में आसानी रहेगी। इस रोड के निर्माण को लेकर डेढ़ दशक पूर्व सपना देखा गया था। इस रोड के कुछ दूरी पर ही न्यू दक्षिणी बाइपास भी है।



आगरा से झांसी तक कवच की मिलेगी सुरक्षा


उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज जोन में आगरा में सबसे पहले कवच प्रणाली का परीक्षण शुरू हुआ था। यह प्रणाली पलवल रेलवे स्टेशन से लेकर वृंदावन रेलवे स्टेशन तक लग चुकी है। अब तक पांच बार परीक्षण भी हो चुका है। कवच प्रणाली को अब वृंदावन रोड से लेकर झांसी तक किया जाएगा। इसका कार्य चालू हो गया है। इस प्रणाली की खासियत यह है कि ट्रेनों की सीधी या फिर पीछे से होने वाली टक्कर को रोका जा सकेगा।

अगर एक मिनट के भीतर लोको पायलट ने पैनल में किसी भी बटन को टच नहीं किया तो यह प्रणाली आटोमेटिक तरीके से सक्रिय हो जाती है। अब तक आठ से अधिक परीक्षण हो चुके हैं। वर्तमान में वंदे भारत एक्सप्रेस में यह प्रणाली आ चुकी है। कई और इंजन में भी आ रही है।  

ट्रेनों को रोकने की जरूरत नहीं


यमुना नदी पर रेलवे का एक और पुल बनकर तैयार हो गया है। यह पुल आगरा फोर्ट को यमुना ब्रिज रेलवे स्टेशन से जोड़ रहा है। 195 करोड़ रुपये से पुल का निर्माण हुआ है। ट्रेनों को 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गुजारा जा रहा है। इससे गुड्स और यात्री ट्रेनों का संचालन आसान हो गया है। अभी तक ट्रेनों को रोकना पड़ रहा था।
वंदे भारत का नहीं पूरा हुआ सपना

आगरा रेल मंडल द्वारा चार वंदे भारत का संचालन किया जा रहा है। यह सभी ट्रेनें वर्ष 2024 में मिली थीं। वर्ष 2025 में तीन से चार ट्रेनों का प्रस्ताव तैयार हुआ। मगर, एक भी ट्रेन को हरी झंडी नहीं मिल सकी।

तीसरी रेल लाइन का तेजी से चल रहा कार्य


आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का दबाव कम करने के लिए कीठम से भांडई के मध्य तीसरी रेल लाइन बिछाई जा रही है। यह कार्य डेढ़ साल पूर्व चालू हुआ था। अगले साल तक यह कार्य पूरा हो जाएगा। इससे मालगाड़ियों के संचालन में आसानी रहेगी। ऐसी ट्रेनें जो आगरा कैंट रेलवे स्टेशन में नहीं रुकती हैं। वह सभी सीधे तीसरी रेल लाइन से होकर गुजर सकेंगी।
गगनयान से लेकर हैवी ड्राप सिस्टम का परीक्षण

हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की टीम ने कई नए रिकार्ड बनाए हैं। गगनयान मिशन का रिकवरी सिस्टम विकसित किया है। इस सिस्टम के आधा दर्जन से अधिक परीक्षण हुए। हर परीक्षण में सिस्टम पूरी तरह से सफल रहा। वहीं हैवी ड्राप सिस्टम सहित अन्य परीक्षण भी हुए हैं। रिकवरी सिस्टम को हवाई वितरण अनुसंधान कार्यालय परिसर में रखने के लिए विशेष कक्ष बनाया गया है।  

बाउंड्रीवाल बनकर तैयार, अब सिविल एन्क्लेव का इंतजार


खेरिया एयरपोर्ट के नए सिविल एन्क्लेव का निर्माण तेजी से चल रहा है। यह कार्य अगले साल तक पूरा होगा। 23 हेक्टेयर में बन रहे नए सिविल एन्क्लेव में 343 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं एयरपोर्ट की नई बाउंड्रीवाल भी बनकर तैयार हो गई है। अब गेट लगना बाकी रह गया है। धनौली गांव की तरफ शानदान गेट बनेगा। वहीं जल्द ही एयरपोर्ट के विस्तार और टैक्सी ट्रैक का निर्माण चालू होने जा रहा है। इसके लिए धनौली, अभयपुरा और बल्हैरा गांव में 37 हेक्टेयर भूमि की खरीद हो चुकी है। यह कार्य 225 करोड़ रुपये से होगा। इसमें दो साल का समय लगेगा।


आरओबी बनने से जाम पर लगेगा अंकुश

116 करोड़ रुपये से रेलवे द्वारा शाहगंज स्थित रुई की मंडी, बारह खंभा और नगला छऊआ रेलवे फाटक पर रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) का निर्माण किया जा रहा है। यह कार्य एक साल में पूरा होगा। आरओबी बनने से शाहगंज क्षेत्र में जाम की समस्या पर अंकुश लगेगा। अभी रुई की मंडी रेलवे फाटक एक घंटे में दो से तीन बार बंद होता है। इससे वाहनों की लंबी लाइन लग जाती है।


एक्सप्रेसवे देंगे विकास को रफ्तार

प्रदेश का पहला यमुना एक्सप्रेसवे आगरा में वर्ष 2012 में बना था। इसके बाद लखनऊ एक्सप्रेसवे का निर्माण हुआ। अब आगरा को दो और एक्सप्रेसवे मिल गए हैं। इसमें पहला एक्सप्रेसवे खंदौली से अलीगढ़ के मध्य बन रहा है। इसके निर्माण पर 3200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसे यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा। दूसरा एक्सप्रेसवे ग्वालियर होगा। इसे ग्वालियर से लेकर आगरा तक बनाया जाएगा। इसके निर्माण पर 4200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। चंबल नदी पर हैंगिंग पुल बनाया जाएगा।
अगले साल तक बनकर तैयार होगी रोड

यमुना एक्सप्रेसवे को ग्वालियर रोड से जोड़ने के लिए तीन चरण में इनर रिंग रोड बन रही है। 300 करोड़ रुपये से आठ किमी रोड मार्च 2026 तक बनकर तैयार होगी। अब तक तीन बार रोड के कार्य में बदलाव हो चुका है। रोड बनने से यमुना और लखनऊ एक्सप्रेसवे से ग्वालियर रोड पहुंचना आसान हो जाएगा।


300 करोड़ से बनेगा बाइपास

एत्मादपुर तहसील के सामने नेशनल हाईवे पर जाम की समस्या को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 300 करोड़ रुपये से सात किमी लंबा बाइपास का प्रस्ताव तैयार किया था। एनएचएआइ नई दिल्ली से सैद्धांतिक अनुमति मिल चुकी है।


फ्लाईओवर बनने से राह होगी आसान

रामबाग चौराहा से टेढ़ी बगिया चौराहा तक फ्लाईओवर का निर्माण होना है। फ्लाईओवर बनने से जाम की समस्या पर अंकुश लगेगा। इससे वाहन चालकों की राह आसान हो जाएगी। यह कार्य 65 करोड़ रुपये से होगा।
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