नेमप्लेट तो 1000 में बनवाई, फर्जी दरोगा ने कितने रुपये में खरीदी थी पुलिस की वर्दी? अब दुकानदार पर भी कसेगी नकेल

LHC0088 2025-11-5 23:37:06 views 663
  



रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्या। बाजारों में खुले आम बिक रही सुरक्षा एजेंसियों की वर्दी एवं पहचान से जुड़े अन्य संसाधनों का उपयोग अपराधी भी कर रहे हैं। गत दिनों रामनगरी में पकड़े गए राष्ट्रीय जांच एजेंसी के फर्जी दारोगा सिद्धार्थ निषाद ने इसी सुविधा का दुरुपयोग कर लोगों को ठगना शुरू कर दिया। दारोगा का रूप धारण करने के लिए उसने रिकाबगंज क्षेत्र में स्थित एक पुलिस स्टोर से 2800 रुपये में वर्दी खरीदी थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एक हजार रुपये नेमप्लेट, पुलिस के मोनोग्राम सहित पुलिस से जुड़े अन्य पहचान चिह्न खरीदे थे। एक माह पहले उसने वर्दी खरीदी और दूसरी वर्दी का भी आर्डर दे दिया था। जांच में यह तथ्य सामने आने के बाद पुलिस के माथे पर भी चिंता की लकीरें उभर आयी हैं। पुलिस ने अब संबंधित स्टोर के संचालक पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिसने बिना पहचान पत्र देखे एवं बगैर सत्यापन वर्दी उपलब्ध कराई थी।

गत एक नवंबर को कोतवाली नगर की नवीन मंडी पुलिस ने देवरिया जिले के बरहज पटेलनगर निवासी सिद्धार्थ निषाद को गिरफ्तार किया। वह नवीन मंडी क्षेत्र में किराये का मकान लेकर रहता था। वह अपने को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) का दारोगा बता कर पुलिस भर्ती की तैयारी करने वाले युवाओं को ठगता था।

वह करीब एक माह से यहां रह रहा था। देवनगर निवासी गोल्डन डिजिटल लाइब्रेरी के संचालक सूरज शर्मा ने इस मामले में मुकदमा पंजीकृत कराया है। सूरज से उसने 75 हजार रुपये लिए थे, जबकि उनकी लाइब्रेरी में पढ़ने वाली दो छात्राओं से 17 हजार रुपये पुलिस भर्ती के नाम पर उसने ठगे थे।

रुपये लेने के बाद टालमटोल करने पर सूरज को सिद्धार्थ पर संदेह होने लगा। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने जांच की तो सच्चाई सामने आई। प्रकरण की जांच कर रहे उप निरीक्षक अखिलेश तिवारी ने संबंधित दुकान पर भी जाकर जांच की है। उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जांच की जा रही है, जो प्रकरण सामने आ रहे हैं उनका सत्यापन किया जा रहा है।

सट्टेबाजी में बकायेदार होने के बाद चुना ठगी का नया रास्ता

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि सिद्धार्थ पहले आनलाइन गेमिंग एप ड्रीम इलेवन पर सट्टा खेलता था। उसने आजमगढ़ एवं देवरिया में रहने वाले अपने परिचितों से लाखों रुपये लेकर सट्टा खेला और उसमें बर्बाद हो गया। इसके बाद एनआइए का फर्जी दारोगा बन कर उसने ठगी का नया रास्ता अपनाया।

यहां पर पुलिस भर्ती के नाम पर लाइब्रेरी संचालक व दो विद्यार्थियों को उसने झांसे में लेकर ठगा तथा कुछ और लोग भी उसके जाल में थे। सिद्धार्थ के पकड़े जाने की खबर सार्वजनिक होने के बाद उसके जाल में फंसे लोग पुलिस से संपर्क कर रहे हैं।
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