उत्तर भारत में दूर होगी बिजली की समस्या, BBMB भाखड़ा डैम में आर्टिफिशियल झील बनाकर पैदा करेगी इलेक्ट्रिसिटी

LHC0088 2025-12-3 01:09:17 views 471
  

कृत्रिम झील बना भविष्य में बिजली की मांग होगी पूरी। सांकेतिक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)



रोहित कुमार, नंगल। उत्तर भारत में बढ़ती बिजली की मांग को देखते हुए भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने भाखड़ा डैम क्षेत्र में 1500 मेगावाट क्षमता वाला पम्प्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट(पीएसपी) लगाने की योजना बनाई है। इस परियोजना के तहत ऊपरी जलाशय यानी कृत्रिम झील बनाई जाएगी, जिसमें पानी को कम मांग वाले समय में पंप करके ऊपर स्टोर किया जाएगा और जब बिजली की मांग अधिक होगी, तब वही पानी टरबाइन से नीचे गिराकर बिजली उत्पन्न की जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसे ऊर्जा क्षेत्र में \“पानी की बैटरी\“ भी कहा जाता है। सबसे उपयुक्त स्थल के रूप में रायपुर डोबर उपराला ऊना जिले को चुना गया है। बीबीएमबी ने चार गांवों का सर्वे किया है, जिनमें लीहड़ी और हमीरपुर जिले के दो अन्य गांव भी शामिल हैं। हालांकि, साइट का औपचारिक आवंटन हिमाचल प्रदेश सरकार से अभी लंबित है और बीबीएमबी इसे प्राप्त करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है।

बीबीएमबी ने पहले ही 8 संभावित पम्प्ड स्टोरेज साइट्स की पहचान की है, जिनकी कुल अनुमानित क्षमता लगभग 13,000 मेगावाट है। जिनमें से चार साइट भाखड़ा और चार साइट पोंग डैम के पास चिन्हित की गई है।

भाखड़ा डैम क्षेत्र में चिन्हित प्रमुख साइट्स में लीहड़ी (841 मेगावाट), रायपुर डोबर उपराला (1500 मेगावाट), माजरा (662 मेगावाट) और छकमो (1400 मेगावाट) शामिल हैं। इस परियोजना के सरल तकनीकी विवरणों के अनुसार, ऊपरी जलाशय में पानी रखने की क्षमता लगभग 14.4 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी, जबकि निचला जलाशय (मौजूदा भाखड़ा डैम) लगभग 5.65 अरब क्यूबिक मीटर पानी समेट सकता है।

ऊपरी बांध की ऊंचाई 100 मीटर, लंबाई 500 मीटर और चौड़ाई 10 मीटर होगी। अनुमानित लागत लगभग 6510 करोड़ रुपये है, जिसमें पूंजीगत व्यय (आईडीसी) 668.59 करोड़ रुपये अलग है। निर्माण की कुल अवधि लगभग 4 वर्ष होगी, जिसमें 1 वर्ष की पूर्व-निर्माण तैयारी अलग से शामिल है।

बीबीएमबी के अनुसार साइट आवंटन मिलते ही प्रस्तावित परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर परियोजना के अगले चरण शुरू कर दिए जाएंगे। यह परियोजना न केवल उत्तरी भारत की बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करेगी, बल्कि पीक समय बिजली प्रबंधन, ग्रिड की स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा के संतुलन में भी अहम भूमिका निभाएगी।

चार चिन्हित गांवों में परियोजना लागू होने से स्थानीय रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होगी। बीबीएमबी के अधिकारी मानते हैं कि इस तरह की पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाएं भविष्य में उत्तर भारत के ऊर्जा संकट को कम करने में महत्वपूर्ण साबित होंगी।
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