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Justice GR Swaminathan: मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन को लेकर बड़ा विवाद सामने या रहा है। इंडिया ब्लॉक के 100 से अधिक सांसदों ने उनके खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग करते हुए लोकसभा में एक प्रस्ताव पेश किया है। डीएमके, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वाम दलों के सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित इंडिया ब्लॉक के इस महाभियोग प्रस्ताव में न्यायमूर्ति स्वामीनाथन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आइए आपको बताते हैं आखिर कौन हैं वो और उनके क्या है आरोप।
पहले जानिए न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन के बारे में
न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन मद्रास उच्च न्यायालय के एक प्रमुख न्यायाधीश हैं। उनका जन्म 1968 में हुआ था। उन्होंने चेन्नई में अपना अभ्यास शुरू किया और बाद में मदुरै बेंच की स्थापना के बाद वहीं चले गए। उन्होंने कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य किया और 2014 में मदुरै बेंच के लिए सहायक सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी नियुक्त हुए।
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उन्हें जून 2017 में मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, न्यायमूर्ति स्वामीनाथन ने 52,000 से अधिक निर्णय और आदेश पारित किए हैं। उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, कैदियों के अधिकार, दिव्यांगता अधिकार और पशु कल्याण जैसे महत्वपूर्ण फैसले दिए है।
हटाने की क्यों हो रही मांग?
इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने 9 दिसंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को उन्हें हटाने को लेकर प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में न्यायमूर्ति स्वामीनाथन पर कदाचार का आरोप लगाया गया है और बेंच पर उनकी तटस्थता पर सवाल उठाया गया है। प्रस्ताव में एक वरिष्ठ अधिवक्ता और एक विशेष समुदाय के वकीलों के प्रति \“पक्षपात\“ का आरोप लगाया गया है। सांसदों ने यह भी दावा किया है कि उनके कुछ निर्णय \“एक विशिष्ट राजनीतिक विचारधारा\“ को दर्शाते हैं, जो उनके अनुसार संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को कमजोर करता है।
क्या है न्यायाधीश को हटाने की संसदीय प्रक्रिया
न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव संसद के लिए एक जटिल प्रक्रिया है, जिसके लिए सख्त नियमों का पालन करना होता है:
समर्थन की आवश्यकता: एक न्यायाधीश को हटाने के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए कम से कम 100 लोकसभा सदस्यों या 50 राज्यसभा सदस्यों के हस्ताक्षरों की आवश्यकता होती है।
जांच समिति: अगर प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के तहत एक समिति गठित की जाती है जो आरोपों की जांच करती है।
संसदीय वोट: समिति के निष्कर्षों को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाता है। न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रस्ताव को दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित करने के लिए मतदान करना आवश्यक है। |
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