विलुप्ति की कगार से वापस लौटी दून की बासमती, किसानों के चेहरों पर लौटी मुस्कान

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मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन की पहल रंग लाई, किसानों के चेहरों पर लौटी मुस्कान. Concept Photo



जागरण संवाददाता, देहरादून। कभी देहरादून की पहचान मानी जाने वाली दून बासमती अब एक बार फिर खेतों में लहलहाने लगी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जिला प्रशासन की ओर से शुरू हुई पहल ने इस विलुप्त होती सुगंधित फसल को नई राह दी है। सहसपुर व विकासनगर क्षेत्र में किसानों व महिला समूहों ने मिलकर दून बासमती के पुनर्जीवन में अहम भूमिका निभाई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जिलाधिकारी सविन बंसल ने बताया कि जिला प्रशासन, ग्राम उत्थान और कृषि विभाग के संयुक्त प्रयासों से किसानों को रोपाई से लेकर बाजार तक हर स्तर पर सहयोग दिया गया। परंपरागत दून बासमती टाइप-3 की खेती को बढ़ावा देने के साथ किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन भी उपलब्ध कराया गया।

ग्राम उत्थान विभाग ने दून बासमती की 200 से अधिक क्विंटल उपज को ₹65 प्रति किलो के हिसाब से खरीदा। इससे किसानों और महिला समूहों के खातों में 13 लाख रुपये से अधिक की राशि सीधे जमा हुई। किसानों ने इसे बड़ी राहत बताते हुए कहा कि वर्षों बाद किसी पारंपरिक फसल को उचित मूल्य और सीधा बाजार मिला है। किसानों का कहना है कि आधुनिक धान की किस्मों के चलते दून बासमती लगभग समाप्त हो चुकी थी, लेकिन प्रशासन की पहल ने इसे फिर से जीवित कर दिया है। किसानों ने भविष्य में बड़ी मात्रा में इसकी खेती करने का संकल्प भी लिया।
महिला समूह बने आत्मनिर्भरता का माडल

पूरी प्रक्रिया में 200 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों ने सक्रिय भूमिका निभाई। खेतों से लेकर प्रसंस्करण व पैकेजिंग तक महिलाओं की भागीदारी ने दून बासमती को नई दिशा दी है। हिलान्स व हाउस आफ हिमालय के माध्यम से दून बासमती को स्थानीय ब्रांड के रूप में बाजार तक पहुंचाने की तैयारी भी तेजी से चल रही है। इससे महिलाओं के लिए रोजगार के नये द्वार खुलेंगे। समूह की महिलाओं ने कहा कि दून बासमती की सुगंध और पहचान को फिर से जीवित करने का अवसर मिलना उनके लिए गर्व की बात है। आने वाले समय में बाय-प्रोडक्ट के जरिये भी रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।
प्रशासन ने बनाई विशेष कार्ययोजना

जिला परियोजना प्रबंधक कैलाश भट्ट ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह के नेतृत्व में दून बासमती के पुनर्जीवन के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई गई। परंपरागत खेती करने वाले किसानों को पहले चरण में चुना गया और उन्हें क्लाइमेट चेंज आधारित कृषि तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया। वहीं, मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने बताया कि फसल कटाई के बाद चयनित किसानों को कृषि विभाग द्वारा प्रमाणपत्र भी दिए जाएंगे, ताकि दून बासमती को सर्टिफाइड उत्पाद के रूप में स्थापित किया जा सके। उन्होंने कहा कि दून बासमती को उसकी पुरानी पहचान दिलाने के लिए प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।

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