Elephant Death: 70 सलाइन के बाद भी नहीं बचा ‘गणेश ठाकुर’, ग्रामीणों ने नम आंखों से दी विदाई

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हाथी को श्रद्धांजलि देते लोग। फाइल फोटो  



संवाद सहयोगी, नीमडीह। सरायकेला खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड के चातरमा गांव में एक जंगली टस्कर हाथी की मौत से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। खेत में गिरे हाथी के शव के पास रविवार की सुबह नीमडीह अंचल अधिकारी अभय कुमार द्विवेदी, चिंगड़ा पांडकिडीह पंचायत की मुखिया दमयंती सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। मृत हाथी को देखने और श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए गांव में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मुखिया दमयंती सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र के लोग हाथी को भगवान गणेश का स्वरूप मानते हैं। यही कारण है कि फसलों को नुकसान पहुंचाने के बावजूद ग्रामीण हाथी को “गणेश ठाकुर” कहकर संबोधित करते हैं। उन्होंने कहा कि हाथी की असमय मृत्यु से पूरे गांव में शोक का माहौल है और लोग इसे एक अपूरणीय क्षति मान रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, वन विभाग की टीम द्वारा दो जेसीबी मशीनों की मदद से हाथी के शव को खेत से बाहर निकाला गया। इसके बाद पशु चिकित्सकों की देखरेख में पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कर शव को नियमानुसार जमीन में दफनाया गया।

वन कर्मियों ने बताया कि उपचार के दौरान पशु चिकित्सकों ने हाथी को बचाने के लिए 70 से अधिक सलाइन की बोतलें चढ़ाईं, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद हाथी की जान नहीं बचाई जा सकी।
संघर्ष के दौरान हो गया था घायल

ग्रामीणों के अनुसार, शुक्रवार की रात अचानक जंगल की ओर से हाथियों के जोर-जोर से चिंघाड़ने की आवाज सुनाई देने लगी थी। इससे यह अनुमान लगाया गया कि दो हाथियों के बीच संघर्ष हो रहा है। आशंका जताई जा रही है कि इसी दौरान यह हाथी खेत के कीचड़ में गिर गया और फिर उठ नहीं पाया। बताया जा रहा है कि हाथी पहले से बीमार था और उसके एक पैर में गंभीर जख्म भी था।

शनिवार की सुबह ग्रामीणों ने देखा कि हाथी खेत में गिरा हुआ तड़प रहा है। इसके बाद तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी गई। मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने हाथी के इलाज की व्यवस्था की, लेकिन स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। खेत के आसपास फैला कीचड़ और पैरों के निशान इस बात की पुष्टि करते हैं कि वहां हाथियों के बीच संघर्ष हुआ था।
शोक का माहौल

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि अभी एक अन्य हाथी क्षेत्र में मौजूद है। शनिवार की रात वह हाथी लाकड़ी गांव के जंगल से निकलकर किसानों की धान की फसल खाने गांव की ओर आ गया था। ग्रामीणों ने सतर्कता दिखाते हुए ट्रैक्टर की मदद से शोर मचाकर हाथी को पुनः जंगल की ओर खदेड़ दिया।

फिलहाल वन विभाग की टीम क्षेत्र में गश्त बढ़ाए हुए है, ताकि हाथी और ग्रामीणों के बीच किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके। हाथी की मौत से जहां गांव में शोक का माहौल है, वहीं लोग वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग भी कर रहे हैं।
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