Shani Chalisa Lyrics: शनिदेव की कृपा पाने के लिए उत्तम है शनिवार, जरूर करें शनि चालीसा का पाठ

LHC0088 2025-12-20 12:37:34 views 730
  

Shani Chalisa Lyrics in hindi



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सूर्य देव के पुत्र शनि देव को न्याय के देवता और कर्मफल दाता के रूप में जाना जाता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। आप इस दिन पर शनि चालीसा (Shani Chalisa Lyrics) का पाठ जरूर करें। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि शनि देव केवल चालीसा के पाठ से प्रसन्न नहीं होते, बल्कि आपके कर्मों से भी प्रसन्न होते हैं। यदि आप बुजुर्गों, गरीबों और पशुओं की सेवा करते हैं, तो इससे शनि चालीसा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
श्री शनि चालीसा (Shani Chalisa Lyrics)

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

दोहा

पाठ शनिश्चर देव को, की हों \“भक्त\“ तैयार।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

  

(AI Generated Image)
शनि चालीसा की संक्षिप्त व्याख्या (Meaning of Shani Chalisa)

शनि चालीसा का सार भक्ति, अनुशासन और क्षमा पर आधारित है। इसमें मुख्य रूप से शनि देव का स्वरूप का वर्णन किया गया है। उनके हाथ में त्रिशूल और गदा है, वे गिद्ध या कौवे पर सवार रहते हैं और उनका रंग गहरा काला है। वे सूर्य देव और माता छाया के पुत्र हैं।

इस चालीसा में न्याय और दंड के देवता के रूप में भी शनि देव की व्याख्या की गई है। इसमें बताया गया है कि शनि देव की दृष्टि से देवता, ऋषि और दानव कोई भी नहीं बच सकता।

शनि चालीसा का मुख्य संदेश यह है कि जो व्यक्ति लालच, अहंकार और बुराई त्याग कर सच्चे मन से शनि देव की शरण में आता है, शनि देव उसके सारे कष्टों को हर लेते हैं। वे निर्धनों के सहायक और न्याय के रक्षक हैं।
शनि चालीसा से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. शनि चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: इसका पाठ करने के लिए शनिवार का दिन सर्वश्रेष्ठ है। समय की बात करें तो सूर्यास्त के बाद (शाम के समय) पाठ करना सबसे अधिक फलदायी माना जाता है, क्योंकि शनि देव को संध्या काल का स्वामी माना जाता है।

प्रश्न 2. पाठ करते समय मुख किस दिशा में होना चाहिए?
उत्तर: शनि देव पश्चिम दिशा के स्वामी हैं, इसलिए पाठ करते समय अपना मुख पश्चिम (West) दिशा की ओर रखना सबसे अच्छा होता है।

प्रश्न 3. क्या घर पर शनि चालीसा पढ़ना ठीक है?
उत्तर: जी हां, आप घर के मंदिर में शनि चालीसा पढ़ सकते हैं। बस ध्यान रखें कि यदि घर में शनि देव की प्रतिमा या चित्र है, तो उनके साथ सीधे नजरें न मिलाएं (नजरें नीचे की ओर या उनके चरणों की ओर रखें)।

प्रश्न 5. क्या महिलाएं शनि चालीसा का पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: हां, महिलाएं भी शनि चालीसा का पाठ कर सकती हैं और शनि देव की पूजा कर सकती हैं।

यह भी पढ़ें - Shani Dosh Ke Upay: किन लोगों को कष्ट नहीं पहुंचाते शनिदेव, सदा बनी रहती है कृपा

यह भी पढ़ें - आखिर क्यों ऋषि पिप्पलाद ने शनि देव को दिया था दंड? जानिए वो वचन जो आज भी निभा रहे हैं कर्मफल दाता

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
139251

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.