गोरखपुर में बदला नियम, अब मानचित्र पास होने ...

xiaotean789 2025-9-22 09:05:27 views 1270
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) की सख्ती के बाद गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने निगरानी के लिए नई व्यवसथा शुरू की। 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले व्यावसायिक या आठ फ्लैट से अधिक यूनिट वाले ऐसे आवासीय निर्माण जिसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जाए उनका रेरा में पंजीकरण जरूरी है।




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प्राधिकरण अब ऐसे निर्माण का मानचित्र स्वीकृत करते समय ही मानचित्र अभिलेखों पर यह दर्ज करेगा कि तीन माह के भीतर रेरा में पंजीकरण कराना अनिवार्य है।

इसी तरह रेरा को निगरानी में आसानी हो इसलिए ऐसे मानचित्र स्वीकृत होते ही उसकी सूचना प्राधिकरण, रेरा को भेज देगा। इसके लिए जीडीए के तकनीकी सहायक प्रशांत को रिपोर्ट तैयार करने और सहायक अभियंता राज बहादुर सिंह के माध्यम से उसे समय से रेरा को प्रेषित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।


प्राधिकरण में आनलाइन और शमन मानचित्रों की स्वीकृति को लेकर आयोजित समीक्षा बैठक में प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने ये निर्देश दिए। बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि ज्यादातर आर्किटेक्ट द्वारा निर्धारित प्रारूपों का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे मानचित्रों में अनावश्यक आपत्तियां लग रही हैं और स्वीकृति दर प्रभावित हो रही है।


निर्देश दिया गया कि सभी आर्किटेक्ट को पत्र भेजकर पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुपालन के लिए बाध्य किया जाए। बैठक में सहायक अभियंता राज बहादुर सिंह, संजीव तिवारी, अजय पाण्डेय, ज्योति राय, अवर अभियंता रोहित कुमार पाठक, मनीष त्रिपाठी, प्रभात कुमार, धर्मेन्द्र कुमार गौड़, शोभित कन्नौजिया, अनुपमा, पूनम यादव, संजू शा, तकनीकी सहायक प्रशांत उपस्थित रहे।

विनियमितीकरण वाले क्षेत्रों के लिए एसओपी बनाने के निर्देश

बैठक में चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि विनियमितीकरण क्षेत्र में आने वाले मानचित्रों का निस्तारण मार्गदर्शन के अभाव में अटका हुआ है। इस समस्या के समाधान के लिए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में मानचित्र, वाद एवं नियोजन अनुभागों की संयुक्त बैठक बुला कर एक मानकीकृत प्रक्रिया तैयार करने के निर्देश दिए गए।

समय पर मानचित्र नहीं स्वीकृत होने पर तय होगी जवाबदेही

तय समय अधिक समय से लंबित दो मानचित्रों पर जीडीए के प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने कड़ी नाराज़गी व्यक्त की। स्पष्ट निर्देश दिए कि भविष्य में सभी मानचित्रों का निस्तारण निर्धारित समय के भीतर किया जाए, अन्यथा संबंधित अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई होगी।

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अवर अभियंता रोहित पाठक के पास दो आनलाइन मानचित्र क्रमशः 27 और 23 दिनों से लंबित थे। जांच में पाया गया कि दोनों ही मानचित्र अवैध कालोनियों से संबंधित हैं और स्थल तक पहुंचने में कठिनाई के कारण समय से निरीक्षण नहीं हो सका। हालांकि अधिकारी की सफाई को संतोषजनक नहीं मानते हुए, प्रभारी मुख्य अभियंता ने निर्देश दिए कि भूस्वामियों से व्यक्तिगत और दूरभाषीय संपर्क कर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।


प्रभारी मुख्य अभियंता ने कहा कि मानचित्र स्वीकृति में देरी से न केवल प्राधिकरण की आय प्रभावित होती है बल्कि महानगर के सुनियोजित विकास पर भी असर पड़ता है।
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