Wildlife: कहीं पलामू टाइगर रिजर्व के बाघ की तरह दलमा से गायब न हो जाए हाथी, क्या कहते हैं एक्सपर्ट?_deltin51

deltin33 2025-10-1 13:36:18 views 1261
  कहीं पलामू टाइगर रिजर्व के बाघ की तरह दलमा से गायब न हो जाए हाथी





मनोज सिंह, जमशेदपुर। कहीं पलामू टाइगर रिजर्व की तरह, दलमा से भी गायब न हो जाए हाथी।जिस तरह टाईगर की जनसंख्या बढाने व संरक्षित करने के लिए पलामू टाइगर रिजर्व को केंद्र सरकार ने 1973 में संरक्षित घोषित किया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आज पलामू टाइगर रिजर्व को बाघों के लिए संरक्षित घोषित किए 52 साल हो गए, जिस पर अब तक अरबों रुपये वेतन से लेकर विकास के नाम पर खर्च कर दिए गए, लेकिन आज 52 साल के बाद भी यहां मात्र एक बाघ है।



जिस राह पर पलामू टाइगर रिजर्व से बाघ गायब हो गए, ठीक उसी तरह कभी हाथियों की चिंघाड़ से गूंजने वाला दलमा का इलाका अब सुनसान हो गया है।

बीते छह माह से यहां हाथी ना के बराबर रह रहा है। बीते साल जहां दलमा में 80 से अधिक हाथी पाए गए आज मात्र 10 हाथी कोर इलाके में हैं। बाघ के लिए संरक्षित पलामू टाइगर रिजर्व व हाथियों के लिए संरक्षित दलमा के विकास पर अरबों रुपये पानी की तरह फूंका जा रहा है, लेकिन कोई ठोस प्लान नहीं बनने के कारण धीरे-धीरे हाथियों के लिए संरक्षित दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी से हाथी गायब होता जा रहा है।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ


पलामू टाईगर रिजर्व में बाघ या दलमा में हाथियों की संख्या कम होना चिंता का विषय है। इसका सबसे बड़ा कारण है मानव संसाधन की कमी। सरकार रिजर्व क्षेत्र घोषित तो कर देती है, लेकिन इतने बड़े जंगल की देखरेख के लिए अधिकारी व कर्मचारी का कमी होना सबसे बड़ा कारण है। यदि आपके पास पर्याप्त कुशल कर्मचारी नहीं है तो उसका प्रभाव देखने को मिलता है। निगरानी व प्रबंधन की कमी, प्रशिक्षण की कमी के अलावा विकास के नाम पर उनके रास्ते व निवास स्थल को प्रभावित करना सबसे बड़ा कारण है। -शशिनंद कुलियार, रिटायर्ड पीसीसीएफ, झारखंड


क्या कहते हैं पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के डायरेक्टर


पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी में गिरावट के कई कारण हैं। जिनमें मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध शिकार व टाइगर का आवास का नुकसान शामिल हैं। इसके अलावा विकास के कार्य के कारण जंगल में रहने वाले जानवरों की रहन सहन पर असर डालता है। बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए वन विभाग चारागाहों के विकास, साफ्ट रिलीज सेंटर की स्थापना, गांवों के पुनर्वास और बाघों के प्रवास को बेहतर बनाने जैसे कई उपाय कर रहा है। - एसआर नटेस,फिल्ड डायरेक्टर, पलामू टाइगर रिजर्व


क्या कहते गज परियोजना के उप निदेशक


दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी से हाथी अब चाकुलिया-बहरागोड़ा की तरफ जा रहे हैं।इसका प्रमुख कारण है, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पुरूलिया से लेकर झाड़ग्राम तक हाथी के कोरीडोर पर खोदी गई ट्रेंच व सोलर फेंसिंग के अलावा विकास के नाम पर रेलवे लाइन, सड़कों और नहरों का निर्माण हाथियों के परंपरागत रास्तों में बाधा डालता है। जिसके कारण हाथी इस क्षेत्र को छोड़कर चला जाता है। दलमा में हाथियों की संख्या बढ़ाने पर कई काम हो रहे हैं। उसके रास्ते में बांस के जंगल, के अलावा बड़ी संख्या में फलदार पौधे लगाए गए हैं।आशा है दलमा में हाथियों के लिए पर्याप्त भोजन और पानी उनकी वापसी का कारण बनेगा। - सबा आलम अंसारी, उप निदेशक गज परियोजना




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