तुसैनी गांव का वाटर टैंक, जो पड़ा है कई वर्षों से खराब, यहां पर लगाए थे 13 पंप ऑपरेटर। जागरण
जागरण संवाददाता, नूंह। जिले के तुसैनी गांव में सरपंच व जन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लगाए गए फर्जी 13 पंप आपरेटर ने 2016 से लेकर 2019 तक वेतन के नाम पर सरकार को लाखों का चूना लगाते रहे। इनमें तत्कालीन महिला सरपंच का पति भी आपरेटर लगाया हुआ दिखाया हुआ था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पानी पिलाने के नाम 2016 से ही ये लोग वेतन ले रहें हैं। जबकि छह हजार आबादी के इस गांव में 2009 में एक वाटर टैंक पानी के लिए बना था, जो कुछ समय चलने के बाद से ही बंद पड़ा है। गांव में पेयजल तक नहीं, लेकिन लगाए गए आपरेटरों ने कागजों में खूब लोगों की पानी की सेवा की है।
RTI से हुआ खुलासा
मामले का खुलासा गांव के साबिर द्वारा ली गई आरटीआई के माध्यम से हुआ। मामले का पर्दाफास होने के बाद गांव के शिकायतकर्ता ने कई बार सीएम विंडों से लेकर विभाग के अधिकारियों से लिखित शिकायत की। लेकिन हर बार शिकायत को दबा दिया गया।
जिस पर शिकायतकर्ता ने मामले को पुन्हाना की कोर्ट में चुनौती दी गई। अब कोर्ट के आदेश पर 15 लोगों के विरुद्ध पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। इसमें विभाग का एक कनिष्ठ अभियंता तथा पूर्व महिला सरपंच भी शामिल है। विभाग के आलाधिकारी मामले से पल्ला झाड़ रहें हैं।
जानकारी के अनुसार साल 2016 में तत्कालीन सरपंच आरिफा द्वारा अपने पति हाजर व सात अन्य लोगों को पंप आपरेटर दिखाकर जन स्वास्थ्य विभाग के कनिष्ठ अभियंता से सांठगांठ करके सरकार को चूना लगाने का काम किया गया। महिला सरपंच ने अपने पति हाजर खां व अन्य छह को पंप आपरेटर नियुक्त करा दिया।
जबकि इसी गांव के बूस्टिंग स्टेशन पर पुन्हाना नगर पालिका के सात कर्मचारियों को तैनात दिखाकर उनकी सेलेरी भी सरपंच के खाते में ही चार साल तक डलती रही।
पुलिस ने इस मामले में तत्कालीन सरपंच आरिफा, जन स्वास्थ्य विभाग के कनिष्ठ अभियंता मुफीद, हाजर खां, तालिम, अखलाक, आजम, नंद किशोर, इल्यास, साबिर, अलीशेर, राम प्रसाद, सुहेल, महेंद्र, असफाक और मोहम्मद इकबाल के विरुद्ध केस दर्ज किया है। ये सभी लोग अलग अलग गांवों के रहने वाले हैं।
साबिर निवासी तुसैनी ने बताया कि उनके गांव की करीब छह हजार की आबादी है। जिसमें पीने के पानी की किल्लत है। गांव में पीने का पानी तक नहीं है। साल 2009 में रेनीवेल परियोजना के तहत उनके गांव जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक पानी का बूस्टिंग स्टेशन बनवाया गया था। जिसमें एक दो साल तक तो सुचारू रूप से पानी आया, उसके बाद पानी आना बंद हो गया।
आरोप है कि साल 2016 में इसी बूस्टिंग स्टेशन पर जन स्वास्थ्य विभाग के कनिष्ठ अभियंता मुफीद निवासी गोकलपुर से सांठगांठ करके तत्कालीन सरपंच ने अपने पति हाजर सहित सात लोगों को फर्जी तरीके से पंप आपरेटर दिखाकर उनके नाम से वेतन उठाया गया।
शिकायतकर्ता ने जन स्वास्थ्य विभाग से आरटीआई के तहत एक जनवरी 2016 से एक जनवरी 2019 तक उनके गांव में बूस्टिंग स्टेशन पर कितने पंप आपरेटर लगे हुोने की सूचना मांगी थी।
विभाग के जवाब में हाजर खान निवासी तुसैनी, तालिम, अखलाक, तैय्यब, नंद किशोर, इल्यास, साबिर, अलीशेर को पंप आपरेटर दिखाकर तत्कालीन सरपंच आरिफा के पंचायती खाते में कनिष्ठ अभियंता मुफीद द्वारा उक्त फर्जी लोगों की सेलेरी डलवाई गई।
इसके अलावा आरोपित आजम, असफाक, मोहम्मद इकबाल, सुहेल, महेंद्र को पुन्हाना नगर पालिका द्वारा कर्मचारी दिखाकर तुसैनी गांव के पंचायत खाते में ही इनकी भी सेलेरी डलवाई गई। जबकि यहां पर कोई कर्मचारी धरातल पर मौजूद ही नहीं थे।
2011 से बंद पड़ा था स्टेशन
जिस बूस्टिंग स्टेशन पर इतने कर्मचारियों को पंप आपरेटर एक साथ दिखाया गया, वह 2011 से ही बंद पड़ा है। जिसका वेतन साल 2016 से 2019 तक 4629 रुपये प्रति पंप आपरेटर था। चार साल के कार्यकाल में सरकार को करीब 29 लाख रुपये की राशि गलत तरीके से उठाकर खुर्द बुर्द की गई।
जब इस बारे में पुन्हाना सदर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर ओमबीर से बात की गई तो उन्होंने मामला संज्ञान में नहीं होने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया। इतना बड़ा मामला थाना प्रभारी के संज्ञान में नहीं होना लापरवाही को दर्शाता है।
यह मामला मेरे समय का नहीं है। मेरी पोस्टिंग यहां पर साल 2025 में हुई है। मेरे से पहले यहां क्या हुआ क्या नहीं हुआ। उसका मुझे पता नहीं है। जो गलत करेगा, वो भुगतेगा। विभाग अब केवल कोशल रोजगार के तहत लगे कर्मचारियों का ही वेतन डालता है। -
रोहित कुमार, कार्यकारी अभियंता जन स्वास्थ्य विभाग पुन्हाना |