पीतलनगरी की चमक: मुरादाबाद के हस्तशिल्प ने बिखेरा आधुनिकता और परंपरा का जादू

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प्रदर्शनी का अवलोकन करते लोग



जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। प्रधानमंत्री के विजन 2047 को ध्यान में रखते हुए वे पूरी ताकत से नई-नई कलाकृतियों को आकार दे रहे हैं, ताकि आने वाले समय में भारतीय हस्तशिल्प वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत पहचान बना सके। शुक्रवार को कलक्ट्रेट स्थित मुशायरा मैदान में हस्तशिल्प सप्ताह का समापन हुआ। इसमें सजावटी वस्तुएं, होम डेकोर आइटम, लैंप, टेबलवेयर और इंटीरियर से जुड़ी कलाकृतियों को लोगों ने काफी पसंद किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कई स्टालों पर ऐसी कलाकृतियां देखने को मिलीं, जिनमें परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम नजर आया। प्रदर्शनी में मुरादाबाद के हस्तशिल्पियों द्वारा हस्तशिल्प प्रदर्शनी में पीतल, जर्मन सिल्वर, लकड़ी, कांच और अन्य माध्यमों से तैयार की गई आकर्षक कलाकृतियों ने सभी का ध्यान खींचा।

समापन समारोह में प्रशासनिक अधिकारियों और हस्तशिल्प जगत से जुड़े लोगों ने कारीगरों की मेहनत, रचनात्मकता और नवाचार की सराहना की। हस्तशिल्पियों ने पारंपरिक कला के साथ-साथ आधुनिक जरूरतों के अनुरूप तैयार की गई नई-नई कलाकृतियों का भी प्रदर्शन किया।

एक ओर जहां विश्व स्तर पर हस्तशिल्प उत्पादों की बिक्री में कमी देखने को मिल रही है, वहीं दूसरी ओर मुरादाबाद के कारीगर चुनौतियों से घबराने के बजाय और अधिक मेहनत व नवाचार के साथ आगे बढ़ रहे हैं। शुक्रवार को उपायुक्त उद्योग योगेश कुमार, अपर नगर आयुक्त आशुतोष कुमार समेत अन्य समापन कार्यक्रम में पहुंचे थे।

अधिकारियों ने मुरादाबाद के हस्तशिल्पियों द्वारा तैयार की गई कलाकृतियों की बारीकियों, डिजाइन और गुणवत्ता की सराहना की। मुरादाबाद का हस्तशिल्प न केवल प्रदेश बल्कि देश की पहचान है और इसे वैश्विक मंच पर और मजबूती से स्थापित करने की जरूरत है। मुरादाबाद ब्रास कारखानेदार एसोसिएशन अध्यक्ष हाजी आजम अंसारी का कहना था कि कारीगर मेहनत और कला में कमी नहीं छोड़ेंगे।

उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा कि भले ही आज पूरा विश्व प्रतिस्पर्धा में खड़ा हो, लेकिन हिंदुस्तान का हस्तशिल्प अपनी गुणवत्ता, कलात्मकता और सांस्कृतिक गहराई के कारण हमेशा अलग पहचान बनाए रखेगा। पद्मश्री दिलशाद हुसैन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी कलाकृतियों के माध्यम से वे यह साबित करेंगे कि भारतीय हस्तशिल्प ही भारत की असली पहचान है।

निर्यात, प्रशिक्षण, डिजाइन विकास से जुड़ी योजनाओं के माध्यम से कारीगरों को आगे बढ़ाने के प्रयास लगातार होने चाहिए। ऐसे आयोजनों से न केवल कारीगरों का मनोबल बढ़ता है, बल्कि आम लोगों को भी मुरादाबाद की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा से रूबरू होने का अवसर मिलता है। इसमें फहीम मंसूरी, अनवर अब्बासी, नासिर साबरी, ताहिर हुसैन, आबिद अब्बासी, मो. आमिर, इरशाद हुसैन आदि लोग रहे।

  

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