फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिला वर्ष 2025 को सड़क दुर्घटनाओं के भयावह आंकड़ों के साथ अलविदा कह रहा है। जिले में तेज रफ्तार, ड्रंक एंड ड्राइव और यातायात नियमों की अनदेखी के कारण सड़क हादसों का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ता जा रहा है। वर्ष 2025 में 21 दिसंबर तक जिले में कुल 185 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 201 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 112 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह आंकड़े न केवल प्रशासन बल्कि आम लोगों के लिए भी गंभीर चेतावनी हैं।
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वर्ष 2024 में 169 सड़क दुुर्घटनाएं हुुई थी यदि पिछले वर्ष की बात करें तो वर्ष 2024 में जिले में 169 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 172 लोगों की जान गई थी और 132 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। तुलना से स्पष्ट है कि सड़क सुरक्षा को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बावजूद हादसों और मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिला परिवहन विभाग और सड़क सुरक्षा समिति द्वारा जागरूकता अभियान, जांच और कार्रवाई की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर सीमित दिखाई दे रहा है।
तेज रफ्तार और नशे में ड्राइविंग सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में तेज रफ्तार, नशे की हालत में वाहन चलाना, सड़कों पर भारी वाहनों का अवैध रूप से खड़ा होना और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी शामिल है। खासकर युवाओं के हाथों में तेज रफ्तार बाइक आने से स्थिति और चिंताजनक हो गई है। लापरवाही से वाहन चलाने के कारण वे न केवल अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, बल्कि सड़क पर चल रहे अन्य लोगों के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं।
जिले में नहीं है स्थायी ट्रैफिक पुलिस व्यवस्था पश्चिमी सिंहभूम जिले में आज भी स्थायी ट्रैफिक पुलिस व्यवस्था का अभाव है। ट्रैफिक नियंत्रण की जिम्मेदारी जिला पुलिस के सामान्य पदाधिकारियों और जवानों पर ही निर्भर है। जिले की आबादी करीब 19 लाख है, जबकि चाईबासा शहर में ही एक लाख से अधिक लोग निवास करते हैं। इनमें लगभग 40 हजार लोग दोपहिया या चारपहिया वाहन का उपयोग करते हैं।
अतिक्रमण और अव्यवस्था से बिगड़ती स्थिति इसके बावजूद शहर में ट्रैफिक नियंत्रण के लिए कोई ठोस और स्थायी व्यवस्था नहीं की गई है। अक्सर चाईबासा शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। फिलहाल ट्रैफिक पुलिस के नाम पर केवल पोस्ट ऑफिस चौक पर कुछ जवानों की तैनाती की जाती है, जबकि अन्य इलाकों में कोई नियमित निगरानी नहीं होती।
शहर की सड़कें पहले से ही संकरी हैं, ऊपर से दुकानदारों द्वारा किए गए अतिक्रमण ने समस्या को और गंभीर बना दिया है। ट्रैफिक पुलिस की कमी के कारण सड़कों पर अवैध रूप से खड़े वाहनों पर भी कार्रवाई नहीं हो पाती।
ठोस समाधान नहीं निकालते कई बार जाम में एंबुलेंस, कैदी वाहन और स्कूल बसें तक फंसी रहती हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस और दीर्घकालिक समाधान नहीं निकाला जा सका है।
जिले में जनवरी से दिसंबर (21 दिसंबर तक) विभिन्न महीनों में दुर्घटनाओं, घायलों और मौतों का सिलसिला लगातार जारी रहा, जो यह दर्शाता है कि समस्या पूरे वर्ष बनी रही और किसी एक मौसम या माह तक सीमित नहीं थी। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक जिले में स्थायी ट्रैफिक पुलिस, सख्त निगरानी, अतिक्रमण हटाने और नियमों के कठोर पालन की व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक सड़क हादसों पर प्रभावी नियंत्रण संभव नहीं है।
सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े
माह दुर्घटनाएं घायल मौत
जनवरी 24 10 27
फरवरी 18 07 18
मार्च 24 11 20
अप्रैल 13 11 13
मई 19 13 19
जून 15 03 15
जुलाई 17 08 17
अगस्त 06 03 06
सितंबर 16 13 19
अक्टूबर 20 11 21
नवंबर 16 18 16
दिसंबर 13 15 10 |