क्या अब लाइलाज नहीं रहेगा अल्जाइमर? सालों पुरानी मान्यता को वैज्ञानिकों ने दी चुनौती

cy520520 2025-12-27 16:03:44 views 938
  

अल्जाइमर के मरीजों के लिए नई उम्मीद, अमेरिकी शोधकर्ताओं ने खोजा इलाज का रास्ता (Image Source: AI-Generated)  



आइएएनएस, नई दिल्ली। कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया की जहां अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी को न सिर्फ रोका जा सके, बल्कि पूरी तरह ठीक भी किया जा सके। पढ़ने में यह किसी चमत्कार जैसा लगता है, क्योंकि पिछले 100 सालों से चिकित्सा विज्ञान इस बीमारी को \“लाइलाज\“ मानकर हार मान चुका था, लेकिन अब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी खोज की है जिसने उम्मीद की एक नई मशाल जला दी है। एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि दिमाग के एक खास \“बैलेंस\“ को ठीक करके याददाश्त को वापस लाया जा सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

(Image Source: AI-Generated)
क्या है यह नई खोज?

\“सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन\“ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अल्जाइमर का मुख्य कारण \“नैड प्लस\“ (NAD+) नामक एक सेल्यूलर एनर्जी मॉलिक्यूल का असंतुलन होना है।

वैज्ञानिकों ने अपने शोध में देखा कि अल्जाइमर से पीड़ित इंसानों और इस बीमारी के मॉडल वाले चूहों, दोनों के ही दिमाग में \“नैड प्लस\“ का स्तर तेजी से गिर जाता है।
चूहों पर किया गया सफल प्रयोग

इस सिद्धांत को परखने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में विशेष रूप से तैयार किए गए चूहों पर अध्ययन किया। इन चूहों को जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए ऐसा बनाया गया था कि उनमें इंसानों की तरह अल्जाइमर के लक्षण विकसित हों। इसमें दो तरह के चूहे शामिल थे:

  • एक जिनमें एमीलोइड प्रोसेसिंग में म्यूटेशन था।
  • दूसरे जिनमें टाऊ प्रोटीन का म्यूटेशन था।


जब शोधकर्ताओं ने इन चूहों के दिमाग में गिरते हुए \“नैड प्लस\“ स्तर को वापस संतुलित किया, तो नतीजे चौंकाने वाले थे।
एडवांस स्टेज में भी बीमारी हुई ठीक

यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स के हैरिंगटन डिस्कवरी इंस्टीट्यूट के डॉ. एंड्रयू ए. पाइपर और उनकी टीम ने \“PC3-20\“ नामक एक औषधीय एजेंट का उपयोग करके चूहों के दिमाग में नैड प्लस का बैलेंस दोबारा बनाया। इसके परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे:

  • बीमारी से बचाव: जिन चूहों में अभी बीमारी शुरू नहीं हुई थी, उनमें नैड प्लस बैलेंस बनाए रखने से उन्हें अल्जाइमर हुआ ही नहीं।
  • रिकवरी: सबसे बड़ी बात यह थी कि जिन चूहों में बीमारी बहुत आगे बढ़ चुकी थी (एडवांस स्टेज), उनका इलाज करने पर उनके दिमाग की कार्यक्षमता में सुधार हुआ।
  • याददाश्त लौटी: इलाज के बाद चूहों की दोनों नस्लों ने अपनी सोचने-समझने की क्षमता पूरी तरह वापस पा ली।

भविष्य के लिए नई उम्मीद

डॉ. एंड्रयू ए. पाइपर ने बताया कि दिमाग की ऊर्जा को बहाल करके बीमारी की वजह से होने वाले नुकसान को ठीक किया जा सकता है। यह अध्ययन इस विचार को मजबूती देता है कि अगर दिमाग में नैड प्लस का संतुलन सही कर दिया जाए, तो मरीज रिकवर कर सकते हैं।

हालांकि यह प्रयोग अभी जानवरों (प्रीक्लिनिकल मॉडल) तक सीमित है, लेकिन इसने भविष्य में इंसानों पर होने वाले परीक्षणों के लिए एक बड़ा दरवाजा खोल दिया है। यह निश्चित रूप से चिकित्सा विज्ञान के लिए एक बहुत बड़ी सफलता है।

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