बिहार ही नहीं, अब देश के 9 राज्यों में होगी मखाना की खेती; BAU उपलब्ध कराएगा सस्ता बीज

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बिहार का सबौर मखाना-1। फाइल फोटो  



जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिहार की विशिष्ट जलीय फसल मखाना को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने की दिशा में बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर ने भी ठोस पहल की है। गैर-पारंपरिक मखाना उत्पादक राज्यों में सबौर मखाना-1 किस्म के बीज उत्पादन और क्षेत्र विस्तार के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर कार्ययोजना तैयार की गई है। इस संबंध में बैठक आयोजित कर कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने जानकारी साझा की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बैठक को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि मखाना पोषण सुरक्षा, किसानों की आय वृद्धि और कृषि निर्यात के लिहाज से एक रणनीतिक फसल के रूप में उभर रहा है। सबौर मखाना-1 के माध्यम से बीएयू, सबौर गैर-पारंपरिक राज्यों में वैज्ञानिक तरीके से मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

अनुसंधान निदेशक डॉ. ए. के. सिंह ने बताया कि सबौर मखाना-1 का क्षेत्र विस्तार सुदृढ़ अनुसंधान, ब्रिडर बीज उत्पादन और केवीके आधारित प्रसार प्रणाली पर आधारित है। लक्ष्य आनुवंशिक शुद्धता बनाए रखते हुए समय पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराना और किसानों की भागीदारी से सतत बीज मूल्य श्रृंखला विकसित करना है।

बैठक में निदेशक (प्रसार शिक्षा) डॉ. एस. के. पाठक, निदेशक (बीज एवं फार्म) डॉ. एम. फिजा अहमद, विभिन्न केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक, विषय विशेषज्ञ और बीपीएसएसी, पूर्णिया के अधिकारी उपस्थित रहे।
255 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध होगा बीज

बैठक में निर्णय लिया गया कि सबौर मखाना-1 किस्म का विस्तार छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, मणिपुर, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर सहित नौ गैर-पारंपरिक राज्यों में किया जाएगा। इसके लिए बीएयू द्वारा सत्यापित और लेबलयुक्त बीज की आपूर्ति की जाएगी।

वर्तमान में बीज की उपलब्धता बीपीएसएसी, पूर्णिया तथा केवीके अररिया और कटिहार सहित विश्वविद्यालय के अधीनस्थ संस्थानों के माध्यम से सुनिश्चित की गई है। कुल 100 क्विंटल बीज 255 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराया जाएगा।
प्रति राज्य औसतन तीन हेक्टेयर क्षेत्र में होगी खेती

उपलब्ध कराए जाने वाले बीज से लगभग 30 हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना की खेती की जाएगी। प्रति राज्य औसतन तीन हेक्टेयर क्षेत्र को योजना में शामिल किया गया है। बीज की अनुशंसित दर 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है।

योजना से संबंधित सभी विवरण राष्ट्रीय मखाना बोर्ड, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजे जाएंगे, ताकि जनवरी 2026 के पहले सप्ताह तक संबंधित राज्यों को समयबद्ध बीज उठाव के लिए सूचित किया जा सके।
तकनीकी पैकेज भी कराया जाएगा उपलब्ध

बीएयू द्वारा बीज के साथ पैकेजिंग सामग्री और मखाना उत्पादन की अनुशंसित तकनीक (पैकेज ऑफ प्रैक्टिस) भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए ड\. अनिल कुमार, सहायक प्राध्यापक (उद्यानिकी), बीपीएसएसी, पूर्णिया को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
ब्रिडर बीज उत्पादन योजना को मिली मंजूरी

बैठक में वर्ष 2025–26 के लिए सबौर मखाना-1 की ब्रिडर बीज उत्पादन योजना को स्वीकृति दी गई। इसके तहत कुल 14.70 हेक्टेयर क्षेत्र में बीज उत्पादन किया जाएगा। इसमें बीपीएसएसी, पूर्णिया के अलावा कटिहार, अररिया, सुपौल, किशनगंज और सहरसा के केवीके शामिल होंगे।

केवीके सहरसा में ब्रिडर बीज उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने की संभावनाओं पर भी विचार किया गया। साथ ही आगामी वर्ष के लिए किसान सहभागितात्मक बीज उत्पादन (एफपीएसपी) कार्यक्रम पर चर्चा करते हुए राष्ट्रीय मखाना बोर्ड से अग्रिम रूप से श्रेणीवार बीज मांग प्राप्त कर प्रभावी क्रियान्वयन का निर्णय लिया गया।
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