8वीं सदी के शिलालेख वाली बड़वा पहाड़ी पर शिव मंदिर बदहाल, जनप्रतिनिधियों के आश्वासन खोखले

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बड़वा पहाड़ी पर शिव मंदिर बदहाल



संवाद सूत्र, रामपुर। प्राकृतिक सुंदरता से सुसज्जित बड़वा पहाड़ी पर स्थित भगवान भोले नाथ का मंदिर आज उपेक्षा का शिकार है। लोग इसकी सुंदरता से आकर्षित हो जाते हैं लेकिन यहां मौजूद असुविधा से उनमें निराशा आ जाती है। रामपुर प्रखंड के नौहट्टा गांव के समीप स्थित बड़वा पहाड़ी पर शिव मंदिर प्राचीन है। यही कारण है कि वर्षों से यह जगह उत्तरप्रदेश, झारखंड सहित बिहार के कई जिलों के लोगों के लिए आस्था का केंद्र रहा है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पहाड़ी पर स्थित शिलालेख भी उपेक्षित है। सावन के महीने के हर सोमवार को यहां लोगों की भारी भीड़ होती है। जबकि महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है। अधिकारी व जनप्रतिनिधियों का भी यहां आना जाना लगा रहता है।  

लेकिन इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कोई पहल नहीं की गई। अन्य सुविधाओं की बात तो दूर यहां पेयजल व शौचालय की व्यवस्था नहीं हुई।
आठवीं सदी का है शिलालेख

भभुआ सबार मुख्य पथ पर नौहट्टा गांव के समीप बड़वा पहाड़ी है। पहाड़ी पर भगवान शंकर का प्राचीन मंदिर है। पहाड़ी पर ही मंदिर के कुछ दूरी पर एक महत्वपूर्ण शिलालेख भी है, जो सिद्ध मातृका लिपि में है और 8 वीं सदी का बताया जाता है।  

मंदिर तक जाने के लिए करीब पांच सौ फीट तक ग्रामीणों ने श्रमदान कर पहाड़ी ऊबड़ खाबड़ रास्ता को समतल बनाया है। इसको बनाने में करीब दो माह का समय लगा है।
जनप्रतिनिधियों ने दिया है विकास का आश्वासन

भभुआ के विधायक भरत बिंद ने बड़वा पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर के विकास की दिशा में प्रयास करने का आश्वासन दिया है। जबकि जिला परिषद सदस्य विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल ने पूर्व में कहा था कि पहाड़ी पर मंदिर तक जाने के लिए पथ व दर्शनार्थियों के ठहरने आदि की व्यवस्था के लिए वे पहल करेंगे। लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई।
विशेष अवसर पर उपलब्ध कराई जाती है सुविधा

प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि पर्व के दिन बड़वा पहाड़ी पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर परिसर में मेला लगता है। जहां श्रद्धालु पहुंच कर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। इसके साथ ही आए लोग मेले का आनंद लेते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर में जरूरी सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाता है।  

ऐसे तो हर गांव में शिव मंदिर है। लेकिन बड़वा पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर में पगडंडी के रास्ते पहाड़ी की चढ़ाई कर जलाभिषेक करने का अलग ही महत्व है। यहां साल में दो बार मेला लगता है। जहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
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