गोड्डा में पेसा कानून से ग्राम सभा को मिली ताकत, 35 मुखियाओं के अधिकार सीमित

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झारखंड में ग्रामसभा को मिली ताकत  



जागरण संवाददाता, गोड्डा। पेसा कानून के लागू होने से अधिसूचित क्षेत्रों की पंचायतों में मुखिया के अधिकार सीमित हो जाएंगे। क्योंकि पेसा अधिनियम ग्राम सभा को अधिक शक्तियां प्रदान करने जा रहा है। पेसा कानून का मुख्य उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करना और निर्णय लेने की शक्ति स्थानीय समुदायों के हाथों में सौंपना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

गोड्डा जिले के दो अधिसूचित प्रखंड सुंदरपहाड़ी और बोआरीजोर के क्रमश: 13 और 22 पंचायतों में इसका सीधा असर पड़ने वाला है। लिहाजा इन दो प्रखंडों की कुल 35 पंचायतों में पेसा कानून का असर वहां के निर्वाचित मुखिया के अधिकारों पर पड़ना अवश्यंभावी है।

पेसा कानून में ग्राम सभा की सर्वोच्चता दी गई है। पेसा अधिनियम के तहत ग्राम सभा में गांव के सभी वयस्क सदस्यों के सामूहिक निर्णय को लागू करने का अधिकार ग्राम प्रधान और उनकी कमेटी के हाथों में होंगे।

निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार सीमित हो जाएंगे। ग्राम सभाओं को अपने जल, जंगल और जमीन से जुड़े मामलों जैसे लघु वन उपज, लघु खनिज और जल निकायों के प्रबंधन, विकास परियोजनाओं या भूमि अधिग्रहण आदि के अधिकार मिल जाएंगे।

यह कानून स्थानीय समुदायों की पारंपरिक प्रथाओं, रीति-रिवाजों और विवादों को सुलझाने के पारंपरिक तरीकों को कानूनी मान्यता भी देगा। ऐसे में मुखिया और निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को पेसा के प्रविधानों के तहत ग्राम सभा के निर्णयों का ही पालन करने की बाध्यता होगी। मुखिया के पारंपरिक प्रशासनिक अधिकार ग्राम सभा के सामूहिक नियंत्रण में आ जाएंगे।

सुंदरपहाड़ी की तिलाबाद पंचायत के मुखिया राजेंद्र सोरेन ने स्वीकारा कि पेसा एक्ट में मुखिया के अधिकार सीमित होंगे। अधिसूचित क्षेत्र में ग्राम प्रधानी व्यवस्था को कानूनी हक मिलेगा। नियमावली के लागू होने पर इसके प्रविधानों पर आगे भी चर्चा होगी।

वहीं, कैरासोल पंचायत के मुखिया संतोष मरांडी ने कहा कि पेसा एक्ट किस तरह लागू होगा, इस पर ही पंचायती राज व्यवस्था बनेगी। पेसा कानून आदिवासियों के हित के लिए बेहतर है। ग्राम सभा सर्वोपरि होगी। ग्राम प्रधान के निर्णय को प्राथमिकता और कानूनी हक मिलेगा।

वहीं, गोराडीह पंचायत के मुखिया कमलेश्वर पहाड़िया ने पेसा कानून में कुछ धाराओं में संशोधन पर ही जोर दिया। खासकर पेसा अधिनियम 1996 के उपबंध 3, 4, 4 बी, 4 एम और 4 ओ व उपबंध 5 में संशोधन की सख्त जरूरत है।
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