दिल्ली में सरकार ने 45 अटल कैंटीन की शुरुआत की।
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। राजधानी दिल्ली में दो दिन पहले सरकार ने 45 अटल कैंटीन की शुरुआत की। दिल्ली में करीब 600 झुग्गियां हैं। अटल कैंटीन झुग्गियों के पास ही खोले जा रहे हैं, ताकि मेहनतकश लोगों को उनके आस-पास ही घर के जैसा गरमा-गरम स्वादिष्ट भोजन मिल सके। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पहले फेज में 100 अटल कैंटीन शुरू होनी थीं, जिनमें से 45 में दोनों टाइम भोजन मिल रहा है। जिन इलाकों में अटल कैंटीन चल रही हैं, उसके आसपास की झुग्गियों में अब चूल्हे जलाने की जरूरत नहीं पड़ रही। समय होते ही पूरा का पूरा परिवार ही लाइन में लग रहा है।
एक टाइम का भोजन बनाने में जहां 100 से 150 रुपये खर्च होते थे, अब 25 से 30 रुपये पांच-छह लोग आराम से भोजन कर रहे हैं। अटल कैंटीन में पौष्टिक भोजन मिलने के साथ ही झुग्गियों के मेहनतकश परिवारों की दोनों टाइम मिलाकर लगभग दो सौ रुपये की बचत भी हो रही है।
दक्षिणी दिल्ली के नेहरू नगर में दो दिन पहले जहां केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल व मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अटल कैंटीन की शुरुआत की थी, वहां भी शनिवार दोपहर टोकन के लिए लगभग 200 लोगों की लंबी कतार देखने को मिली। 300 मीटर की दूरी पर ही कर्पूरी ठाकुर जनजीवन कैंप है। अकेले इस कैंप की ही आबादी करीब पांच हजार है।
वहीं 400 मीटर आगे पीजीडीएवी कालेज के पीछे तीन हजार की आबादी वाली दूसरी झुग्गी है। भोजन के समय से काफी पहले ही लोग लाइन में लग जा रहे हैं। 25 व 26 दिसंबर की बात करें तो दो दिनों में दिल्ली के 45 अटल कैंटीनों में लंच और डिनर मिलाकर 33,392 लोगों ने भोजन किया। पहले दिन 17,587 और दूसरे दिन 15,805 थाली की खपत हुई।
घर के पास कैंटीन, 25 रुपये में पूरे परिवार को भोजन
यमुनापार में दिल्ली सरकार ने झुग्गी बस्ती के करीब अटल कैंटीन खोली है। अब झुग्गी बस्ती में खाना बनना बंद हो गया है। झुग्गी वाले कैंटीन में ही भोजन कर रहे हैं। निर्मला नामक महिला ने बताया कि उनके घर पर पांच सदस्य हैं। एक बार का खाना बनाने में 100 रुपये से 150 लगते हैं।
खाना बनाने में मेहनत लगती है, रोटी भी बनानी पड़ती है। घर के पास कैंटीन खुल गई। पांच लोग 25 रुपये में भरपेट खाना खा रहे हैं। टाइम पर खाना भी मिल रहा है। अब घर पर चूल्हा जलाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। एक टाइम के करीब 70 से 80 रुपये खाने पर बच रहे हैं।
राजेंद्र नगर में लंबी कतार, अन्ना नगर में इंतजार
राजेंद्र नगर के बी ब्लाक बुध नगर चौपाल और शिवाजी पार्क नारायणा इंडस्ट्रियल एरिया में खुले अटल कैंटीन में पांच रुपये में भोजन करने के लिए कामगर, बेघर लोग और राहगीर बड़ी संख्या में पहुंच रहे है। बी-ब्लाक बुध नगर अटल कैंटीन पहुंची राजवती ने बताया कि दो दिन से वो और उनका परिवार दो टाइम का खाना यहीं खा रहे हैं। झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग बच्चों के साथ टोकन के लिए लंबी लाइनों में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए।
कैंटीन कर्मचारियों ने बताया मीनू और नियम के मुताबिक एक व्यक्ति को एक बार में चार रोटियां, चावल, दाल और सब्जी दी जानी है, पर लोग 10 से 12 रोटियों की मांगकर खा रहे हैं। टोकने पर बहस कर रहे हैं। अनुशासन बनाए रखना भी बड़ी चुनौती है।
उधर, जेजे कलस्टर अन्ना नगर के अटल कैंटीन की तस्वीर बिल्कुल उलट है। यहां उद्घाटन के समय लगाई गई फूल- मालाएं तो अभी टंगी हैं, पर कैंटीन वीरान है। उद्घाटन के दो दिन बीत जाने के बाद भी यहां न तो कैंटीन का ढांचा पूरी तरह स्थापित हुआ है और न ही भोजन की सप्लाई शुरू हुई।
गिग वर्कर भी लाइन में लगे, पांच रुपये में किया भोजन
विकासपुरी और पालम में खुले अटल कैंटीन में टोकन के लिए लोगों की भीड़ देखने को मिली। इनमें ज्यादातर कामगर और बेघर लोग थे। वहीं पालम में मुख्य मार्ग के किनारे होने के कारण काफी संख्या में गिग वर्कर (डिलीवरी ब्वाय) भी मिले, जो आते-जाते यहां भोजन करने के लिए रुके थे। गिग वर्करों का कहना था कि बाहर से खाना खाने में कम से कम भी 50 से 60 रुपए खर्च हो ही जाते थे, पर पिछले तीन दिन से वे अटल कैंटीन में ही भोजन कर रहे हैं। इससे उनके भी पैसों की बचत हो रही है।
कहीं आधे तो कहीं घंटे भर करना पड़ रहा इंतजार
मंगोलपुरी एन-ब्लॉक में अटल कैंटीन के बाहर टोकन के लिए लोगों की भारी भीड़ दिखाई दी। लगभग 50 से अधिक लोग भोजन के लिए लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। थाली के लिए लोगों को घंटेभर तक इंतजार करना पड़ रहा है। मंगोलपुरी निवासी अश्वनी कुमार ने बताया कि यहां खाने की गुणवत्ता ठीक है, पर भीड़ इतनी है कि भोजन मिलने में काफी समय लग जा रहा है।
लाइन में खड़े हुए लगभग एक घंटा हो चुका है, पर अभी तक टोकन लेने की बारी नहीं आयी। वहीं, मंगोलपुरी जी-ब्लाक स्थित अटल कैंटीन में भी लोगों की कतार दिखी। हालांकि यहां भीड़ कम थी, 10-15 मिनट में लोगों को भोजन के लिए टोकन मिल जा रहा था। प्लंबर का काम करने वाले मोनू ने बताया कि कभी-कभी अचानक भीड़ बढ़ने पर इंतजार थोड़ा लंबा हो जाता है। हालांकि यहां खाने का स्वाद अच्छा है। |