बदलती लाइफ स्टाइल से तनाव में मानसिक परेशानी की सबसे बड़ी वजह है उदास। (प्रतीकात्मक फोटो)ी
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। बदलती लाइफ स्टाइल से तनाव में मानसिक परेशानी की सबसे बड़ी वजह है उदासी (मूड आफ सैडनेस), जिससे लगभग 25 प्रतिशत लोग पीड़ित हैं। प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अप्रैल से नवंबर तक टेली मानस सेवा के तहत जारी रिपोर्ट के अनुसार, 46 हजार कालरों में लगभग 25 प्रतिशत लोग उदासी के कारण मानसिक परेशानी का सामना कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एनसीडी (नान कम्यूनिकेबल डिजीज) के मानसिक कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. रमित सिंह ने बताया कि टेली मानस की रिपोर्ट के मुताबिक बीते आठ महीनों में प्रदेश में 46 हजार से अधिक लोगों ने टेली मानस के माध्यम से काउंसिलिंग कराई। इनमें से 24.5 प्रतिशत लोगों में मानसिक परेशानी की सबसे बड़ी वजह लगातार उदासी पाई गई। इसमें 4.37 प्रतिशत लोग हिंसात्मक घटना के अनुभवों से मानसिक रूप से दिक्कत में हैं।
उन्होंने बताया कि यह उदासी केवल कुछ समय की निराशा नहीं, बल्कि लंबे समय तक बने रहने वाली मानसिक स्थिति है, जो व्यक्ति के सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 18.98 प्रतिशत लोग अत्यधिक तनाव से जूझ रहे हैं। काम का दबाव, पारिवारिक जिम्मेदारियां, आर्थिक समस्याएं और भविष्य को लेकर अनिश्चितता इसके प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कालेज के मानसिक रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. विवेक गुप्ता ने बताया कि जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डा. आशीष कुमार का कहना है कि उदासी, तनाव और नींद की कमी जैसी समस्याएं अक्सर एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। परेशानी महसूस होने पर कम से कम समय अकेले रहें। दोस्तों, परिचितों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताएं, अपनी बात साझा करें और जरूरत पड़ने पर पेशेवर मदद लेने से न हिचकें। मेडिकल कालेज की मानसिक की ओपीडी में प्रतिदिन 80 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं।
नींद न आना भी मानसिक परेशानी की बड़ी वजह
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 12.47 प्रतिशत लोग नींद न आने की समस्या से परेशान हैं, जो धीरे-धीरे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचा रही है। 11.38 प्रतिशत लोग विभिन्न प्रकार के फोबिया यानी डर से पीड़ित हैं। इनमें अकेले रहने का डर, भीड़ से घबराहट, बीमारी का भय और भविष्य को लेकर आशंका शामिल है।
4.37 प्रतिशत लोग किसी न किसी हिंसात्मक घटना के अनुभव के कारण मानसिक रूप से परेशान हैं, जिसका असर उनके व्यवहार और सामाजिक जीवन पर पड़ रहा है। |